बदहाली # हरी झंडी दिखाने तक सीमित रही एंबुलेंस व्यवस्था
चम्पावत। बाराकोट तहसील क्षेत्र के लिए मिली एंबुलेंस की व्यवस्था केवल हरी झंडी दिखाने तक सीमित रही। तीन सप्ताह में एक बार भी एंबुलेंस के चक्के नहीं घूम पाए। ऐसे में मरीजों को इसका कितना लाभ मिला होगा, इसका अंदाजा लगाना किसी के लिए भी मुश्किल नहीं है। एंबुलेंस को लेकर राजनीति भी खूब हो रही है, लेकिन मरीजों को जो झेलना हो रहा है, उससे किसी को कोई सरोकार नहीं। जिम्मेदार लोग केवल राजनीति चमकाने में लगे हैं। एक बार फिर से 108 एंबुलेंस सेवा की उम्मीद जताई जा रही है। अब देखना होगा कि क्या क्षेत्र के लोगों की एंबुलेंस की मुराद पूरी होती है कि नहीं।
तहसील और ब्लॉक मुख्यालय होने के बावजूद बाराकोट की स्वास्थ्य सेवा नहीं सुधर सकी है। 40 हजार से अधिक की आबादी वाले इस क्षेत्र के लोगों के लिए एक्सरे और खून की जांच की सुविधा भी नहीं है। यहां 108 सेवा भी नहीं है। पिछले महीने भेजी गई एंबुलेंस भी उपयोग लायक नहीं है, जबकि इस अवधि में बाराकोट क्षेत्र से नौ से अधिक लोगों को हायर सेंटर भेजा गया। 108 सेवा से वंचित बाराकोट क्षेत्र के लिए 23 जनवरी को एंबुलेंस भेजी गई थी। तब विधायक पूरन सिंह फर्त्याल ने इसे हरी झंडी दिखाई थी, लेकिन 25 दिन बाद भी इसका उपयोग नहीं हो सका। वैसे बाराकोट के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं की भारी कमी है। इसमें दो एलोपैथिक डॉक्टरों के अलावा फार्मेसिस्ट और वार्डब्वॉय की तैनाती है, लेकिन जरूरी सुविधाएं न होने से यहां कम ही मरीज पहुंचते हैं। ओपीडी में औसतन रोजाना 25 मरीज आते हैं। वहीं सीएमओ डॉ. आरपी खंडूरी का कहना है कि बाराकोट की एंबुलेंस सिर्फ व्यवस्था बनाने के लिए दी गई थी। 108 सेवा की एंबुलेंस आने पर इसे वापस ले लिया जाएगा। इसका उपयोग आपदा प्रबंधन और वीआईपी के लिए किया जाएगा।
दो हफ्ते के भीतर बाराकोट को मिलेगी पहली 108 एंबुलेंस
चम्पावत। 108 एंबुलेंस सेवा के लिए बाराकोट का इंतजार जल्द खत्म होने वाला है। बाराकोट को पहली 108 एंबुलेंस 28 फरवरी से पहले मिल जाएगी। 108 सेवा के जिला प्रबंधक भास्कर शर्मा ने बताया कि जिले के लिए पांच नई एंबुलेंस स्वीकृत हुई है। इन एंबुलेंसों के संचालन के लिए इमरजेंसी मेडिकल तकनीशियन और पायलट हैं। पंचेश्वर, मंच, चल्थी, चंपावत में 108 एंबुलेंस मिलेंगी।
एंबुलेंस में न उपकरण लगे हैं और न हीं स्टाफ है। ईंधन की व्यवस्था भी नहीं की गई है। एंबुलेंस का पंजीकरण भी नहीं किया गया है। ऐसे में एंबुलेंस का संचालन न तकनीकी रूप से संभव है और न ही व्यावहारिक रूप से। डॉ. मंजीत सिंह, प्रभारी चिकित्साधिकारी, बाराकोट