मिशन-41 : 25 मिमी का सरिया और लोहे के पाइप बने बाधा, ऑगर मशीन से रोकी गई ड्रिलिंग
उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए आपरेशन जारी है। तमाम कंपनियां, इंजीनियर व विशेषज्ञ लगातार कार्य करते हुए मजदूरों तक पहुंच बनाने के प्रयासों में जुटे हैं, लेकिन बाधाएं हैं कि बार बार सामने आ रही हैं। इस बार भूस्खलन के मलबे में 25 मिमी की सरिया व लोहे के पाइप ड्रिलिंग में बाधा बने हैं। ऑगर मशीन के आगे आई बाधाओं को हटाने का काम शुरू किया जा रहा है। इसमें सात से आठ घंटे का समय लगता है। बरमा निकाल कर आगे आई बाधाओं को एक टीम पाइप में घुसकर गैस कटर से काट रही है।
मशीन के सामने आए लोहे क पाइप, रुका ड्रिलिंग का काम
सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए ड्रिलिंग कर रही अमेरिकी ऑगर मशीन के सामने फिर बाधा आ गई। आज साढ़े चार बजे मशीन से करीब 24 घंटे बाद फिर ड्रिलिंग शुरू की गई थी, लेकिन फिर ऑगर के आगे सरिया व लोहे के पाइप आ गए हैं। एनएचआईडीसीएल के महाप्रबंधक कर्नल दीपक पाटिल ने कहा कि मशीन के आगे बार-बार लोहे की चीजें आने से ड्रिलिंग का कार्य प्रभावित हो रहा है। बताया कि अभी 47 मीटर तक ड्रिलिंग हुई है। करीब दस मीटर तक और ड्रिलिंग होना शेष है।
सीएम धामी ने लिया टनल का जायजा
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शुक्रवार को सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया। इस दौरान उन्होंने टनल में चल रहे राहत एवं बचाव कार्यों के संबंध में जानकारी ली।उन्होंने कहा कि यह अत्यंत चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरा रेस्क्यू अभियान है। टनल में फंसे 41 लोगों की बहुमूल्य जिंदगी को बचाने की जिम्मेदारी हम सब पर है। अभियान में जुटे लोगों को पूरी दक्षता, क्षमता, तत्परता और सावधानी के साथ मिशन को कामयाब बनाने में दिन रात जुटे रहना होगा। इस काम के लिए संसाधनों की कोई भी कमी नहीं होने दी जाएगी।
एनडीएमए की मीडियो की सलाह- समय सीमा को लेकर अनुमान न लगाएं
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने मीडिया को सलाह दी कि बचाव अभियान पूरा होने की समयसीमा के बारे में अनुमान न लगाएं। इससे गलत धारणा बनती है।
जानें शुक्रवार को क्या क्या हुआ
सुबह 8 बजे : टनल के भीतर ऑगर मशीन रुकी हुई थी। बाहर सुरक्षित ड्रिल से पूर्व की तैयारियां की जा रहीं थीं।
सुबह 11 बजे : जियो फिजिकल एक्सपर्ट की टीम भीतर गई। करीब 45 मिनट तक उन्होंने भीतर की मैपिंग की और रिपोर्ट दी कि अगले 5 मीटर तक लोहे का कोई अवरोध नहीं है।
दोपहर 3:50 : एनएचआईडीसीएल के एमडी महमूद अहमद, उत्तराखंड के सचिव डॉ.नीरज खैरवाल ने ऑपरेशन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि सभी तरह की बाधाओं को हटाकर ऑगर मशीन को दोबारा शुरू किया जा रहा है।
शाम 4:30 बजे : करीब 24 घंटे बाद ऑगर मशीन को फिर शुरू किया गया।
शाम 6:40 बजे : मशीन काफी धीमी गति से आगे बढ़ ही रही थी। करीब 1.5 मीटर चलने के बाद ही मशीन के सामने अवरोध आ गया। बताया जा रहा है कि इन अवरोधों में 25 मिमी तक के सरिये भी हैं। नतीजतन मशीन रोक दी गई। मशीन के बर्मे को भी नुकसान पहुंचा।
रात 8 बजे : मशीन के बर्मे को फिर बाहर निकालने की प्रक्रिया तेज हुई। समाचार लिखे जाने तक भीतर की अड़चनों को दूर करने का काम जारी था।
जियो फिजिकल जांच भी नहीं आ पाई काम
ऑपरेशन सिलक्यारा को शुक्रवार को शुरू करने से पहले एनएचआईडीसीएल ने पारसन कंपनी के जियो फिजिकल विशेषज्ञों से टनल के मलबे की मैपिंग कराई, जिसमें बताया कि अगले 5 मीटर तक कोई लोहे जैसा अवरोध नहीं है। हालांकि उनकी मैपिंग का ये फार्मूला 1.5 मीटर बाद ही फेल हो गया।