बनबसा में पांच महार रेजिमेंट का 78वां स्थापना दिवस धूमधाम से मना
बनबसा/चम्पावत। भारतीय सेना की पांच महार रेजिमेंट के पूर्व सैनिकों ने रेजिमेंट का 78वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया। रेजिमेंट के शहीदों के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद दो मिनट का मौन रख उन्हें याद किया गया। क्षेत्र में पांच महार रेजिमेंट के पहली बार आयोजित किए गए कार्यक्रम में बनबसा, टनकपुर, चकरपुर और खटीमा से आए पूर्व सैनिकों ने प्रतिभाग किया।
बनबसा निवासी लेफ्टिनेंट गणेश पाल की अध्यक्षता और सूबेदार गंगा दत्त भट्ट के संचालन में हुए कार्यक्रम का शुभारंभ दीप जलाकर किया गया। पूर्व सैनिकों ने महार रेजिमेंट गीत प्रस्तुत किया। सूबेदार गंगा दत्त भट्ट ने पांच महार रेजिमेंट के स्थापना से अब तक के इतिहास की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रेजिमेंट को एक परमवीर चक्र, छह शौर्य चक्र, 13 सेना मेडल, एक युद्ध सेवा मेडल, एक विशिष्ट सेवा मेडल, सेनाध्यक्ष के 38 प्रशस्तिपत्र और जीओसी के 54 प्रशस्ति पत्र मिले हैं। सूबेदार जेएन रखोलिया ने रेजिमेंट के शौर्य गाथा सुनाई। कार्यक्रम में सूबेदार आनंद नाथ गोस्वामी, भूपेंद्र चंद, राजेंद्र पोखरिया, नायब सूबेदार किशन सिंह और गोपाल सिंह धामी, हवलदार सोबन सिंह धामी, नर बहादुर, लक्ष्मण चंद, दीपक सिंह चड्डा, मनोहर सिंह, विनोद चंद, दान सिंह, नरेश चंद्र जोशी, सुरेश चंद, त्रिलोक सिंह, महेश चंद्र कलौनी ने भी विचार रखे।
गौरव पूर्ण इतिहास है पांच महार रेजिमेंट का
पांच महार रेजिमेंट की स्थापना 23 मार्च 1948 में मेजर सौरभ सिंह के नेतृत्व में हुई थी। रेजिमंट को भारत-पाकिस्तान सीमा पर गश्त लगाने और पाक सैनिकों की घुसपैठ रोकने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। रेजिमेंट को एक फरवरी 1951 को दूसरी स्काउट बटालियन सेंट्रल विंग बार्डस स्काउट का नाम दिया गया। बटालियन को वर्ष 1964 में 5 महार बार्डस के नए स्वरूप में नामांकित किया गया। वर्ष 1965 में कच्छ सेक्टर, 1969 से 73 तक उरी सेक्टर, 1982 से 1986 तक मीजोरम, 1989 में अरुणाचल प्रदेश, 1991 से 1992 तक पंजाब में ऑपरेशन रक्षक में जिम्मेदारी दी गई। वर्ष 1993 में यूनिट को सोमालिया में यूएन मिशन में भेजा गया, इसमें 1,98,000 वर्ग किमी क्षेत्र पर नजर रखने का काम सौंपा गया।
