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बर्फ की चादरों और तपते रेगिस्तान के बीच तपकर ही जन्म लेता है एक सच्चा ‘हिमवीर : डीआईजी रवि कुमार

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लोहाघाट/चम्पावत। जब कोई वीर हिमवीर की वर्दी पहनता है, तो उसके भीतर सिर्फ एक ही लक्ष्य रह जाता है.. राष्ट्र की सेवा और उसकी अस्मिता की रक्षा। न हिमालय की भीषण ठंड उसे रोक पाती है, न थार की तपती रेत। यही अदम्य साहस और निस्वार्थ समर्पण उसे ‘हिमवीर’ की पहचान दिलाता है।

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भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) की 36वीं वाहिनी के तीन दिवसीय भ्रमण के दौरान महानिरीक्षक (डीआईजी) रवि कुमार ने यह बात कहते हुए हिमवीरों के उत्साह को नई ऊर्जा से भर दिया। इस अवसर पर आयोजित भव्य परेड की सलामी लेते हुए उन्होंने कहा ‘हमारे हिमवीर वही हैं जो विषमतम परिस्थितियों में भी मुस्कुराते हुए मातृभूमि की रक्षा में तैनात रहते हैं। उनके लिए कर्तव्य ही धर्म है और सीमा ही मंदिर।

परेड संचालन सहायक सेनानी प्रिंस दत्ता द्वारा किया गया। इसके पश्चात डीआईजी ने बटालियन के डेमो स्टेशन, गोदाम, बैरकें, मेस और एमटी सेक्शन का गहन निरीक्षण किया और हिमवीरों से आत्मीय संवाद स्थापित किया। उन्होंने ‘हिमवीर वाइब्स वेलफेयर एसोसिएशन’ की सराहना करते हुए कहा कि यह संगठन न केवल सैनिकों बल्कि उनके परिवारों के सम्मान और अधिकारों की रक्षा में भी अग्रणी है। हमारे संस्कार हमें सिखाते हैं कि सबसे पहले उस वीर की पत्नी को नमन किया जाए, जिसने राष्ट्ररक्षा के लिए अपने जीवनसाथी को देश को समर्पित किया’

पाकिस्तान के विरुद्ध हालिया अभियान में सैनिकों की वीरता का उल्लेख करते हुए डीआईजी ने कहा कि, जिस प्रकार देशवासियों ने सैनिकों और उनके परिवारों को सम्मान दिया है, वह हमारी सामूहिक शक्ति का परिचायक है। डीआईजी रवि कुमार ने यह भी बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में रोजगार सृजन हेतु एक नई पहल की जा रही है, जिसके तहत स्थानीय लोगों को आईटीबीपी आवश्यक प्रशिक्षण देकर उनके उत्पाद खरीद रही है। इससे उन गांवों में पुनः जीवन लौट रहा है, जहां से कभी लोग पलायन कर चुके थे। सेना भी अब इस पहल को अपनाने जा रही है। अपने संबोधन के अंत में उन्होंने हिमवीरों को सदा सतर्क और सजग रहने का आह्वान करते हुए कहा हमें हमेशा यह मानकर ड्यूटी करनी है कि दुश्मन हमारे सामने खड़ा है। तभी हम हर चुनौती से पहले ही निपटने को तैयार रहेंगे।

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