अल्मोड़ा: वन पंचायत में बनाए जा रहे रिजॉर्ट को तोड़ने की होगी कार्रवाई
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सरपंच को हटवाना होगा अतिक्रमण, अन्यथा गरजेगी विभाग की जेसीबी
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उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले के भैसियाछाना ब्लॉक स्थित थिकलना गांव में भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष और निवर्तमान ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह राणा के अवैध रिजॉर्ट को परसों प्रशासन और वन विभाग की टीम ने सील कर दिया है। जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडे के निर्देश पर सोमवार को प्रशासन और विभाग की संयुक्त टीम थिकलना पहुंची हुई थी। यहां वन पंचायत की भूमि पर राजेंद्र सिंह राणा का रिजॉर्ट बन रहा था। एक रिजॉर्ट पूर्व में तैयार हो चुका था। ये दोनों ही निर्माण वन पंचायत की भूमि पर बने मिले। साथ ही एक रिजॉर्ट का निर्माण कार्य चल रहा था।
बताया जा रहा है कि वहां पर करोड़ों का अवैध खनन डंप किया गया था। पहाड़ छलनी कर करोड़ों की पत्थर निकाले गए थे। हालात देख प्रशासन की टीम भी दंग रह गई थी। प्रशासन ने सरपंच को तीन दिन के भीतर अतिक्रमण हटवाने और 93.64 घन मीटर अवैध पत्थर निकालने के जुर्म में राजेंद्र राणा पर जुर्माना लगाने के निर्देश दिए हैं। यदि आज इस पर वन पंचायत की ओर से कार्रवाई नहीं हुई तो कल प्रशासन अपनी ओर से सख्त एक्शन लेते हुए अवैध निर्माण को ढहा देगा। साथ ही जुर्माना भी खुद ही वसूल करेगा। हालांकि मामले में आरोपी प्रधान ने गलती को स्वीकार किया है। साथ ही वह जुर्माने की राशि जमा करने को तैयार भी है, लेकिन बन चुके रिर्जार्ट और निर्माणाधीन भवन पर किसी प्रकार की कार्रवाई न हो इसके लिए प्रयास शुरू हो गए हैं। सूत्रों के मुताबिक ग्रामीणों को अपने पक्ष में करने की कोशिश की जा रही है।
इधर, कनारीछीना के वन रेंजर नवीन टम्टा के मुताबिक प्रशासन और वन विभाग की टीम में नाप-जोख कर भवन और खनिज को सीज करने की कार्रवाई पूरी कर ली है। मामला वन पंचायत भूमि का है। इसके चलते सरपंच ही अतिक्रमण हटाने और जुर्माना लगाने की कार्रवाई करेगा। अगर कार्रवाई नहीं होती है तो वन विभाग स्वयं एक्शन लेगा। हालांकि आरोपी राजेंद्र राणा का कहना है कि पुरानी रंजिश में शिकायत की गई थी। ग्रामीणों के साथ बैठकर विवाद सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है। प्रशासन की ओर से जांच की गई है। जांच में जो भी सामने आएगा वह मुझे मान्य होगा। कहा कि प्रशासन की कार्रवाई के खिलाफ मेरा कोई विरोध नहीं है।
मुझ पर कार्रवाई हुई तो सभी लपेटे में आएंगे
बताया जा रहा है कि प्रशासन की कार्रवाई के बाद सोमवार रात आरोपी पक्ष की ओर से गांव में बैठक बुलाई गई थी। बताया ये जा रहा है कि बैठक में ग्रामीणों से आपस में सुलह करने की बात उठी। ये भी चेताया गया कि यदि एक पर कार्रवाई होती है तो अन्य लोग भी जद में आएंगे। शिकायतकर्ता सरपंच से मामले में सुलह करने की बात कही गई है। वहीं, वन विभाग का कहना है कि वन पंचायत सरपंच होने के नाते पहली कार्रवाई शिकायतकर्ता की ओर से ही की जाएगी। सरपंच ही अतिक्रमण हटाएगा और जुर्माना भी ठोकेगा। इसके लिए तीन-चार दिन का समय दिया गया है। अगर किसी कारणवश सरपंच कार्रवाई नहीं करता है तो वन विभाग खुद एक्शन लेगा और कार्रवाई की जाएगी।