आदर्श चम्पावत : सड़क सुविधा के अभाव में युवाओं का कंधा बना बीमार बुजुर्ग महिला का सहारा…
सीमांत के ग्राम बकोड़ा की 65 साल की कलावती देवी को बीमार होने पर 15 किमी तक डोली से लाने को मजबूर हुए ग्रामीण
तल्लादेश क्षेत्र में सड़क की कमी से बेहाल हैं सेहत के हाल, 2012 में स्वीकृत है मंच-बकोड़ा सड़क, वन अनापत्ति आ रही है आड़े
चम्पावत। तीन दिन बाद देश आजादी की 79वीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी कर रहा है, लेकिन आज भी देश के तमाम गांव ऐसे हैं जहां बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। विकास के दावों के बीच ऐसे ग्रामीणों को आए दिन दुश्ववारियों का सामना करना पड़ता है। चम्पावत जनपद का सीमांत क्षेत्र के तमाम गांव आज भी ऐसे हैं, जहां विकास की किरण नहीं पहुंच सकी है। मुख्यमंत्री के विधानसभा क्षेत्र वाले जनपद को सरकार ‘आदर्श जनपद’ बनाने को लेकर तमाम कार्य करने को लेकर आए दिन बड़ी बड़ी बातें करती रहती है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
चम्पावत जिले के सीमांत क्षेत्र तल्लादेश के ग्राम बकोड़ा की एक बीमार महिला को सड़क के अभाव के चलते 15 किमी तक एक डंडे के सहारे एक किस्म की डोली बना कर सड़क तक पहुंचाया गया। सड़क का अभाव लोगों को किस कदर अखरता है, यह बकोड़ा गांव के लोगों से अधिक कौन जान सकता है। बकोड़ा गांव की एक बीमार महिला को 15 किलोमीटर तक एक डंडे के आसरे कंधे में ढोकर सड़क तक पहुंचाया गया। इसके बाद रोड से 35 किलोमीटर दूर चंपावत के एक निजी अस्पताल लाया गया।
करीब 12 साल पूर्व मंजूर होने के बाद भी मंच से बकोड़ा तक की रोड का काम शुरू नहीं हो सका है। आज 12 अगस्त की सुबह बकोड़ा गांव की कलावती (65) की अचानक तबीयत बिगड़ी। परिजनों के मुताबिक उन्हें सांस लेने में दिक्कत हुई, तो उन्हें गांव के लोगों की मदद से एक डंडे के आसरे अस्पताल तक लाया गया। ग्राम प्रधान रवींद्र रावत का कहना है कि कुछ युवाओं ने डोली तैयार की और फिर एक डंडे में कपड़ा बांधकर बुजुर्ग कलावती को बिठाया। बीच-बीच में हल्की बारिश के बीच बारी-बारी से युवाओं ने कंधा देकर 4 घंटे से अधिक समय में 15 किलोमीटर का रास्ता तय किया। मनीष बोहरा, प्रकाश बोहरा, राहुल बोहरा, मनोज, विनोद, नरेंद्र, दयाल, विकास आदि युवाओं की मदद से बीमार महिला को निजी अस्पताल तक लाया गया। इलाज के बाद महिला की तबीयत में मामूली सुधार है।
ग्रामीणों का कहना है कि बकोड़ा में न रोड है न कोई स्वास्थ्य की सुविधा है, पढ़ाई की व्यवस्था भी आठवीं तक है। मंच-बकोड़ा रोड 2012 में स्वीकृत होने के बावजूद आगे नहीं बढ़ सकी है। बस पैदल चलना उनकी किस्मत में है। उनकी जिंदगी घोड़े खच्चरों के आसरे है। इसका नुकसान वक्त पर इलाज नहीं मिलने से लेकर कृषि उपज का दाम नहीं मिलने, ढुलान की वजह से सामान का महंगा होने से लेकर आठवीं से आगे की पढ़ाई के लिए 15 किलोमीटर दूर जाने की मजबूरी है। वहीं लोनिवि चम्पावत खंड के अधिशासी अभियंता मोहन चंद्र पलडिया का कहना है कि मंच-बकोड़ा सड़क में वन अनापत्ति की अड़चन आ रही थी। अब एक महीने पूर्व इस सड़क को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में स्थानांतरित कर दिया गया है। पीएमजीएसवाई चम्पावत खंड के अधिशासी अभियंता त्रिभुवन नारायण बिष्ट का कहना है कि अभी इस सड़क की पत्रावली विभाग तक नहीं पहुंची है। पत्रावली आने के बाद इस सड़क का प्रस्ताव बनाकर भेजने के साथ वन अनापत्ति दूर करने की कार्यवाही की जाएगी।
