61 साल बाद जलसमाधि से निकलेंगे भगवान रंगनाथ समेत आठ देवता, जानें क्या है पूरा मामला
भाखड़ा बांध से बनी गोबिंद सागर झील में 61 साल पहले जलसमाधि लेने वाले भगवान रंगनाथ के मंदिर समेत हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर शहर के आठ मंदिरों को शिफ्ट करने की योजना सिरे चढ़ती दिख रही है। आठवीं और नौवीं सदी में शिखर शैली में बने इन मंदिरों को बंदला रोड पर काला बाबा कुटिया के पास बिजली बोर्ड की जमीन में स्थानांतरित किया जाएगा। इसके लिए सवा आठ बीघा भूमि मंजूर हुई है। जिला प्रशासन तीन-चार दिन में जमीन को भाषा एवं संस्कृति विभाग के नाम स्थानांतरित कर देगा। भाखड़ा बांध बनने से वर्ष 1960 में बिलासपुर के कई ऐतिहासिक मंदिर गोबिंदसागर झील में डूब गए थे। इनमें रंगनाथ मंदिर, खनेश्वर, नर्वदेश्वर, गोपाल मंदिर, मुरली मनोहर मंदिर, बाह का ठाकुरद्वारा, ककड़ी का ठाकुरद्वारा, नालू का ठाकुरद्वारा, खनमुखेश्वर मंदिर प्रमुख हैं। इनमें कई मंदिर गोबिंदसागर झील में डूब गए, जबकि कुछ मंदिर हर साल झील का पानी बढ़ने से समाधि लेते हैं, जबकि गर्मियों में गाद में धंसे दिखाई देने लगते हैं। इन्हें निकालने के लिए प्रशासन और सरकार सालों से काम कर रहे हैं। इन मंदिरों के साथ जिले के लोगों की आस्था जुड़ी हुई है। उपायुक्त पंकज राय ने कहा है कि मंदिरों को शिफ्ट करने के लिए प्रशासन तीन प्रस्तावों शिफ्टिंग, लिफ्टिंग और रेप्लिका प्रणाली पर काम कर रहा है। इनमें से जो भी संभव होगा, इसके तहत इन्हें सुरक्षित किया जाएगा। इसके लिए दक्षिण भारत के विशेषज्ञों से भी बात हो चुकी है। जल्द ही विशेषज्ञों के साथ शिमला में राज्यस्तरीय बैठक कर मंदिरों को शिफ्ट करने का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।
क्या है शिफ्टिंग, लिफ्टिंग और रेप्लिका
शिफ्टिंग में मंदिरों के पत्थरों को निकालकर समान शैली के आधार पर मंदिरों का निर्माण किया जाएगा या अगर संभव हुआ तो मंदिरों को उठाकर चिह्नित जगह पर स्थापित किया जाएगा। लिफ्टिंग में मंदिरों को गोबिंदसागर झील के किनारे ही 20 फीट ऊपर उठाया जाएगा, ताकि मंदिर पानी में न डूबें। वहीं रेप्लिका में मंदिरों को उसी शैली में नया प्रतिरूप बनाकर उन्हें चिह्नित जगह पर स्थापित किया जाएगा।