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AIFF संविधान में ‘सुप्रीम’ बदलाव, उत्तराखंड पर पड़ेगा असर, सुबोध उनियाल को छोड़नी होगी ‘कुर्सी’

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देहरादून। देश में नए फुटबॉल संविधान लागू होने के बाद सभी राज्यों में फुटबॉल एसोसिएशन में कई बड़े बदलाव देखने को मिलेंगे। उत्तराखंड की बात करें तो यहां उत्तराखंड फुटबॉल एसोसिएशन के अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल हैं। एआईएफएफ के नये संविधान के लागू होने के बाद सुबोध उनियाल को उत्तराखंड फुटबॉल एसोसिएशन के अध्यक्ष पद से हटना होगा।

लंबे समय से देश में फुटबॉल प्रतिस्पर्धा को लेकर चले आ रही कानूनी लड़ाई अब अपने परिणाम पर पहुंच पाई है। सुप्रीम कोर्ट ने लंबे समय से चले आ रहे विवाद के बाद अब देश में फुटबॉल खेल प्रतियोगिता को लेकर लोकतांत्रिक बायोलॉज के साथ संविधान की स्थापना की है। अब इसी संविधान के साथ देशभर में फुटबॉल फेडरेशन चलेंगे। इसी पर राज्यों में भी फुटबॉल संघ फुटबॉल की प्रतिस्पर्धा को आगे बढ़ने का काम किया जाएगा।

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पूर्व न्यायाधीश एल नागेश्वर राव द्वारा तैयार किए गए इस नए फुटबॉल संविधान के अनुसार ही खेल संघ के नए पदाधिकारी की अहरर्ता और अधिकार सुनिश्चित किए जाएंगे। फुटबॉल के नए संविधान के अनुसार कुछ बड़े बदलावों की अगर बात की जाए तो संघों के नए ढांचे में पदाधिकारियों के लिए कार्यकाल सीमा 12 वर्ष की अवधि की गई है। संघों का प्रतिनिधित्व वाली 14 सदस्यीय कार्यकारी समिति और अविश्वास प्रस्ताव जैसे प्रमुख बदलाव शामिल हैं।

AIFF के सुप्रीम बदलाव की बड़ी बातें…

— 12 अक्टूबर को AIFF की एजीएम बैठक हुई।
— AIFF की एजीएम बैठक में सुप्रीम संविधान को लेकर हुआ निर्णय।
— AIFF की एजीएम बैठक में 32 सदस्यों ने हिस्सा लिया। 29 सदस्यों ने ‘सुप्रीम’ बदलाव के प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया।
— न्यायधीश एल नागेश्वर राव ने तैयार किया एआईएफएफ का संविधान मसौदा। मसौदे को कुछ संशोधनों के साथ AIFF ने मंजूर कर लिया है।
— अनुच्छेद 23.3 और अनुच्छेद 25.3 (सी) और (डी) को लेकर सुप्रीम कोर्ट से मांगा स्पष्टीकरण।

साल 2017 में, खेल कार्यकर्ता और वकील राहुल मेहरा ने अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (AIFF) के चुनावों को चुनौती देते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में एक मामला दायर किया था। उन्होंने आरोप लगाया कि यह संस्था भारत की राष्ट्रीय खेल संहिता का उल्लंघन कर रही है। पुराने एआईएफएफ संविधान में केवल अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष ही पदाधिकारी थे, जबकि नए संविधान में सभी 14 सदस्यों को पदाधिकारी माना गया है। वहीं इसके अलावा मंत्री पद पर रहते हुए खेल संघ के किसी पदाधिकारी पद पर रहने की अनुमति नहीं होगी। वहीं, सरकारी सेवाओं में कार्यरत लोगों के लिए भी विशेष दिशा निर्देश जारी किए गए हैं।

पुराने एआईएफएफ संविधान में कोई भी व्यक्ति पहली बार निर्वाचित होने के बाद भी अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ सकता था। नए संविधान में केवल उन्हीं लोगों को अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने की अनुमति है, जिन्होंने कार्यकारी परिषद में एक कार्यकाल पूरा कर लिया हो। पुराने एआईएफएफ संविधान में राज्य फुटबॉल संघों को संबद्ध करने के मानदंड तो थे, लेकिन निष्कासन के कोई नियम नहीं थे। नए संविधान में, यदि कोई राज्य फुटबॉल संघ संबद्धता मानदंडों को पूरा नहीं करता है, तो निष्कासन संभव है।

उत्तराखंड में जिला और राज्य स्तर पर कोई गतिविधि नहीं हो रही है। उत्तराखंड राज्य फुटबॉल संघ पहाड़ों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की तरह काम कर रहा है। जहां मरीज़ों को उच्चतर केंद्रों में रेफर किया जाता है। अब ऐसा नहीं होगा। राज्य फुटबॉल संघ को हर साल अपनी गतिविधियों का विवरण और बैलेंस शीट जमा करनी होगी।

महासंघ में मंत्रियों के पद धारण करने पर प्रतिबंध…

किसी भी पदाधिकारी का अधिकतम कार्यकाल 12 वर्ष होगा। अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाने का नया प्रावधान होगा। उत्तराखंड फुटबॉल एसोसिएशन के उपाध्यक्ष देवेंद्र बिष्ट ने कहा है कि निश्चित तौर से नए फुटबॉल संविधान को लेकर जो गाइडलाइन होगी उसे उत्तराखंड में भी लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा फुटबॉल संविधान को लेकर लंबे समय से कानूनी लड़ाई चल रही थी। इस वजह से खेल काफी ज्यादा प्रभावित हो रहा था। उन्हें उम्मीद है कि अब फुटबॉल के क्षेत्र में राज्य और देश आगे बढ़ेगा। उन्होंने कहा उत्तराखंड में फुटबॉल को लेकर बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं।