कुमाऊं में लंपी को लेकर अलर्ट, पशुओं के लिए ऊधमसिंह नगर और यूपी की सीमा सील
गोवंशीय पशुओं में होने वाले लंपी वायरस को लेकर कुमाऊं मंडल में अलर्ट जारी हो गया है। ऊधमसिंह नगर जिले और यूपी सीमा से आने वाले पशुओं के लिए सीमाएं सील रहेंगी। लंपी वायरस से बचाव के लिए जिले में 18 हजार वैक्सीन पहुंच गई हैं। वायरस के कारण दूध उत्पादन में भी गिरावट दर्ज की जा रही है।
चम्पावत जिले में पशु चिकित्सकों की टीम ने 64 सैंपल एकत्र कर बरेली स्थित आईवीआरआई लैब के लिए भेज दिए गए हैं। पशु रोग अनुसंधान प्रयोगशाल की संयुक्त निदेशक डॉ. सपना मिश्रा ने बताया कि सैंपलिंग टीम का गठन किया गया है। पंतनगर विश्वविद्यालय के शैक्षणिक डेयरी फार्म पर बाहरी लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है। डीन पशु चिकित्सा ने बताया कि विश्वविद्यालय, पशुपालन विभाग के लगातार संपर्क में है। चम्पावत जिले में 71 मवेशी बीमार हैं। उधर, नैनीताल जिले में रोजाना औसतन 90 हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है। लंपी वायरस के मामले आने के बाद रोजाना करीब 1000 लीटर दूध के उत्पादन में गिरावट आई है। ओखलकांडा क्षेत्र में लंपी वायरस की वजह से 27 गौवंशीय पशुओं की मौत हो चुकी है। यहां और भी कई गौवंशीय पशु इस बीमारी की चपेट में है। नैनीताल दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा ने बताया है कि लंपी वायरस की रोकथाम के लिए टीम को सक्रिय किया गया है।
उधर, पशुपालन विभाग ने ऊधमसिंह नगर और नैनीताल से 30 पशुधन प्रसार अधिकारियों को पिथौरागढ़ पहुंचने के निर्देश दिए हैं। शनिवार को इन्हें प्रभावित क्षेत्रों में पशुओं के टीकाकरण के लिए भेजा जाएगा। अपर मुख्य पशु चिकित्साधिकारी पंकज जोशी ने बताया है कि पशु अब बीमारी से उबरने लगे हैं। अभी 586 पशु बीमारी से प्रभावित हैं।
उत्तराखंड में फिर लंपी का कहर, चार दिन में चपेट में आए 3000 से अधिक पशु, इस साल 32 की हो चुकी मौत
उत्तराखंड में एक बार फिर से लंपी रोग ने कहर बरपा दिया है। चार दिन के भीतर पर्वतीय जिलों में तीन हजार से अधिक पशु रोग की चपेट में आ गए हैं। चार जिलों में इससे 32 पशुओं की मौत भी हो चुकी है। रोग की रोकथाम के लिए सरकार ने प्रदेश के अंदर एक जिले से दूसरे जिले और बाहरी राज्यों से पशुओं के परिवहन पर एक माह तक की रोक लगा दी है। साथ ही पशुपालन विभाग के अधिकारियों, कर्मचारियों की छुट्टियों व प्रतिनियुक्ति पर अग्रिम आदेश तक रोक लगाई है।
बुधवार को विधानसभा स्थित सभाकक्ष में प्रेसवार्ता में पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि कुमाऊं मंडल में आने वाले जिलों में लंपी रोग फैला रहा है। अल्मोड़ा, बागेश्वर, चमोली, चंपावत, पिथौरागढ़, नैनीताल, रुद्रप्रयाग जिलों में 3131 पशु रोग की चपेट में आए हैं। इनमें 1669 रोगग्रसित पशु ठीक भी हुए हैं। 32 पशुओं की अब तक मौत हुई। प्रदेश में रोग से ठीक होने की दर 53.3 प्रतिशत और मृत्यु दर 1.02 प्रतिशत है।
पशुपालन मंत्री ने कहा कि रोग से बचाव के लिए पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है। नौ मई तक प्रदेश में 7.43 लाख पशुओं का टीकाकरण किया जा चुका है। आगामी 10 दिनों के भीतर रोग प्रभावित क्षेत्रों में शत-प्रतिशत पशुओं का टीका लगाया जाएगा। गढ़वाल मंडल से भी प्रभावित क्षेत्रों में अतिरिक्त टीमें टीकाकरण करने के लिए लगाई गई हैं। विभाग के पास वर्तमान में 3.24 लाख वैक्सीन की डोज उपलब्ध हैं। रोग की रोकथाम के लिए विभाग ने सभी जिलों को दिशानिर्देश जारी किए हैं। सभी पशुपालकों से आग्रह किया कि गोशाला में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। मच्छर व मक्खी से रोग एक पशु से दूसरे पशु में फैलता है।
2022 में 921 पशुओं की लंपी रोग से हुई थी मौत
पहली बार उत्तराखंड में 2022 में लंपी रोग ने दस्तक दी थी। उस समय देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल में 36 हजार से अधिक पशु रोगग्रसित पाए गए। इनमें 921 पशुओं की मौत हुई थी। इस बार रोग पर्वतीय क्षेत्रों में फैल रहा है। रोग की रोकथाम में सहायता के लिए पशुपालन विभाग ने दो टोल फ्री नंबर 1962 और 18001208862 जारी किए हैं। इसके लिए निदेशालय में कंट्रोल रूम स्थापित किया गया।
