ऋषेश्वर मंदिर धर्मशाला पर कब्जे का आरोप, स्वामी मोहनानंद तीर्थ को धर्मशाला से हटाने की मांग
लोहाघाट। स्थानीय लोगों ने मनोज कुमार तिवारी उर्फ स्वामी मोहनानंद तीर्थ पर ऋषेश्वर मंदिर शिवालय की धर्मशाला पर अवैध कब्जे का आरोप लगाते हुए उन्हें वहां से तत्काल हटाने की मांग की है। इसके लिए बारह गांव देवडांगर समिति ने मंगलवार से तहसील परिसर में धरना शुरू कर दिया। उन्होंने मांग पूरी होने तक धरना देने का ऐलान किया है। देवडांगर समिति के अध्यक्ष भुवन चंद्र बिष्ट के नेतृत्व में विभिन्न स्थानों से आए देवडांगरों ने धरना दिया। उन्होंने कहा कि ऋषेश्वर मंदिर 12 गांवों की आस्था का केंद्र रहा है। मंदिर में रह रहे स्वामी सोशल मीडिया पर अनर्गल बयानबाजी कर मंदिर की छवि को धूमिल कर आस्था को ठेस पहुंचा रहे हैं। ऋषेश्वर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष प्रहलाद सिंह मेहता का कहना है कि प्रशासन कई बार मंदिर समिति पर प्रतिबंध लगाने का प्रयास कर चुका है, लेकिन प्रशासन ने स्वामी के आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र की जांच नहीं की। इनमें स्वामी मोहनानंद तीर्थ का नाम मनोज कुमार तिवारी दर्ज है। कहा कि जब इन पहचान पत्रों में कहीं भी बाबा का जिक्र नहीं है, तो प्रशासन उन्हें बाबा कैसे मान रहा है? समिति ने प्रशासन से बाबा की छानबीन करने की मांग की है। मेहता ने कहा कि देवडांगरों के आंदोलन को ऋषेश्वर प्रबंधन समिति पूरा समर्थन देगी। आंदोलन में दीवान सिंह ढेक, डॉ. महेश ढेक, रमेश माहरा, कैलाश मेहता, पूरन मेहता, महेश डांगी, ललित मोहन जोशी, जितेंद्र राय, हरीश कापड़ी, सागर राय आदि थे। वहीं स्वामी मोहनानंद तीर्थ का कहना है कि सरकारी प्रमाणपत्रों में उनका नाम मनोज कुमार तिवारी है। उन्होंने 22 वर्ष पूर्व अपना पिंडदान कर आवाहन अखाड़े में संन्यास लिया है। अखाड़े ने स्वामी मोहनानंद के नाम से उन्हें प्रमाणपत्र दिया है। जिस किसी को उनके संन्यासी होने में कोई शंका है तो वह आवाहन अखाडे़ में जाकर उसके सभापति से प्रमाण ले लें। मोहनानंद ने कहा कि ऋषेश्वर मंदिर आश्रम में संन्यासी लंबे समय से रह रहे हैं। 45 वर्ष तक आश्रम के स्वामी रहे हीरानंद ने उन्हें आश्रम की जिम्मेदारी दी थी। पिछले कुछ वर्षों से कुछ लोगों ने यहां विवाद पैदा किया है। स्वामी मोहनानंद ने कहा कि न्याय पाने के लिए वह सर्वोच्च अदालत तक जाएंगे।