अल्मोड़ा : रोशन बानो ने अपनाया हिन्दू धर्म, बनी रोशनी, धर्म परिवर्तन की बताई हैरान कर देने वाली वजह, आंखों से छलक पड़े आंसू
अल्मोड़ा जिले के रानीखेत की रोशन बानू सनातनी बन गई हैं। देवभूमि की सांस्कृतिक नगरी में जन्मी पली बढ़़ी रोशन ने अपने परिजनों के अत्याचार से आहत होकर अपना धर्म त्याग दिया और हिन्दू धर्म अपना लिया। रोशन ने अपना नाम रोशनी कर लिया है। उसने बताया कि वह घर में सबसे बड़ी हैं। बचपन से ही उसने बेटा होने का फर्ज निभाया। साल 2012 में बरेली से नर्सिंग का कोर्स पूरा करने के बाद हवालबाग ब्लाक में रोशनी को पहली तैनाती मिली। इस दौरान उसने नौकरी के साथ सोबन सिंह जीना परिसर अल्मोड़ा से स्नातक किया। साल 2017 में नागरिक चिकित्सालय रानीखेत में रौशनी ने बतौर नर्स ज्वाइन किया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रोशनी ने बताया कि उसने अपने परिवार में बेटे का फर्ज निभाते हुए रोशन ने भाई को बीएड और दूसरी बहन को नर्सिंग कालेज में दाखिला दिलाया। रोशनी ने आरोप लगाया कि उसका भाई अकसर हिंसा करता है। रोशनी ने बताया कि उसने बैंक से लोन लेकर मकान खरीदा, लेकिन उसका भाई मकान को अपने नाम करने के लिए लड़ने लगा। जब उसने समझाया कि ऋण चुकाए बिना मकान पर अधिकार नहीं हो सकता है, तो उसके भाई ने परिवार के सामने उसकी पिटाई कर डाली। इस अपराध में पिता भी साथ देने लगे।
रोशनी के अनुसार टम्टा मोहल्ला अल्मोड़ा निवासी उसके पिता बशीर अहमद प्रताड़ित कर कहते थे। पिता अकसर उसको मार डालने की धमकी देते थे। जिसको लेकर डरी सहमी रोशनी ने कोतवाली में तहरीर दी। बाद में उसके पिता ने माफीनामा दिया। रोशनी ने बताया कि वह रानीखेत में किराए में रहने लगी। आरोप लगाया कि परिजन वहां आकर भी मारपीट करने लगे। रोशनी ने यह भी कहा कि पिता होने के बावजूद वह चाहते थे कि बेटी मर जाएगी तो प्रापर्टी उनके नाम हो जाएगी। आखिर में परिवार की प्रताड़ना से तंग आकर उस सनातन को अपनाने का कड़ा फैसला लिया। 2022 में रोशनी ने स्वजनों से रिश्ता तोड़ अपनी संपत्ति से बेदखल कर दिया। रोशनी ने धमकियों के बीच रानीखेत पुलिस व प्रशासन के सहयोग की सराहना की।
रौशनी ने कहा कि ‘ऐसा नहीं है कि किसी से प्रभावित हूं। अपने ही घर समाज से प्रताडित हूं। जिस गाडी से दुर्घटना हो जाय दोबारा उसमें बैठने से डर लगता है। मेरे साथ तो उत्पीड़न हुआ। मानसिक संतुलन बिगाड़ा गया। अवसाद की दवाएं खाई। कैसे भूल सकती हूं। तबियत बिगड़ी तो सोने की चेन तक उतार ली गई। ऐसे में मैं कैसे वापस जा सकती हूं। मरना पसंद है लेकिन अपने समुदाय में वापस नहीं जाऊंगी। बीते दिसंबर एसडीएम कार्यालय हल्द्वानी में सूचना दी। अनुमति मिलने पर चार दिसंबर को आर्य समाज मंदिर हल्द्वानी में स्वेच्छा से सनातन को अपना लिया। मैं चाहूंगी कि मेरी आने वाली पीढ़ी वैदिक संस्कृति, शास्त्रों का ज्ञान ले और नारी को सम्मान देने वाले सनातन धर्म का प्रचार प्रसार भी करे।
वहीं इस बारे में रोशनी के पिता बसीर अहमद ने साफ तौर पर कहा कि बेटी के सभी आरोप निराधार हैं। कहा मैंने पूरी जिम्मेदारी से बेटी को पढ़ाया और बरेली से जीएनएम कराते हुए उसे अपने पैरों पर खड़ा किया। हल्द्वानी में मकान भी दिलवाया। बेटे के नाम पर मकान की रजिस्ट्री करने के दबाव का आरोप गलत है। हमें लगता है कि इसके पीछे उसे कोई भड़का रहा है, जिसका पता लगाने की वह कोशिश कर रहे हैं।