टिकट बेचने के आरोप लगने से क्षुब्ध हरीश रावत ने कहा- मुझे पार्टी से निष्कासित कर दिया जाए
उत्तराखंड में चुनाव हारने के बाद कांग्रेस के कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष रणजीत रावत द्वारा टिकट बेचने के आरोप लगाए जाने से क्षुब्ध होकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा है कि उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया जाए। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा हार के लिए भितरघात को जिम्मेदार बताए जाने के बाद नेता-प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह द्वारा हार का ठीकरा रावत पर फोड़ने के अगले ही दिन पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत सिंह रावत ने हरीश रावत पर चुनाव में पैसे लेकर टिकट बेचने का सनसनीखेज आरोप लगाकर पार्टी में तूफान खड़ा कर दिया था। रावत ने इस बयान ने दिल्ली के दस जनपथ तक को हिला दिया। पैसे लेकर टिकट बांटे जाने के आरोप पर अब पूर्व मुख्यमंत्री ने ऐसा मोर्चा खोल दिया है जो इस लड़ाई को निर्णायक मोड़ पर ले जाने के लिए काफी है।
हरीश रावत ने अब पार्टी से खुद को ही निष्काषित किये जाने की मांग कर दी है। मंगलवार की सुबह रणजीत रावत के बयान की तमाम अखबारी सुर्खियों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने सोशल मीडिया एकाउंट से यह मांग कांग्रेस आलाकमान से करते हुए लिखा है कि “पद और पार्टी टिकट बेचने का आरोप अत्यधिक गंभीर है और यदि वह आरोप एक ऐसे व्यक्ति पर लगाया जा रहा हो, जो मुख्यमंत्री रहा है, जो पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष रहा है, जो पार्टी का महासचिव रहा है और कांग्रेस कार्यसमिति का सदस्य है और आरोप लगाने वाला व्यक्ति भी गंभीर पद पर विद्यमान व्यक्ति हो और उस व्यक्ति द्वारा लगाये गये आरोप को एक अत्यधिक महत्वपूर्ण पद पर विद्यमान व्यक्ति व उसके सपोटर्स द्वारा प्रचारित-प्रसारित करवाया जा रहा हो, तो यह आरोप और भी गंभीर हो जाता है। यह आरोप मुझ पर लगाया गया है। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि कांग्रेस पार्टी मेरे पर लगे इस आरोप के आलोक में मुझे पार्टी से निष्कासित करे। होली बुराईयों के समन का एक उचित उत्सव है, होलिका दहन और हरीश रावत रूपी बुराई का भी इस होलिका में कांग्रेस को दहन कर देना चाहिए।” अपनी इस पोस्ट में हरीश रावत ने पार्टी प्रभारी देवेंद्र यादव, प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी व राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को भी टैग किया है। हालांकि हरीश रावत की इस पोस्ट पर अभी पार्टी आलाकमान या दूसरे खेमे की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन इतना तय है कि चुनावी हार के बाद पार्टी में रार इस स्तर तक पहुंच चुकी है कि बिना बहुत बड़े उलट-फेर के यह किसी सूरत शान्त होती नजर नहीं आती। पहले से ही तमाम झंझावतों से जूझ रहा कांग्रेस पार्टी आलाकमान इस रार पर क्या एक्शन लेता है, यह देखना दिलचस्प होगा।