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हरिद्वार में भगवानपुर ब्लॉक प्रमुख करुणा कर्णवाल निलंबित, लगा गंभीर आरोप, जानें क्या है पूरा मामला…

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हरिद्वार। उत्तराखंड में हरिद्वार जिले के भगवानपुर ब्लॉक प्रमुख करुणा कर्णवाल को गुरुवार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। आरोप है कि करुणा कर्णवाल के ताऊ और दर्जाधारी राज्यमंत्री देशराज कर्णवाल ही उनके स्थान पर ब्लॉक प्रमुख के कार्यों का संचालन कर रहे थे। मामले की शिकायत मिलने पर प्रशासन ने जांच शुरू की थी। जांच में पाया गया कि करुणा कर्णवाल अपने अधिकारों और दायित्वों का निर्वहन स्वयं नहीं कर रही थीं। जांच रिपोर्ट के आधार पर पंचायती राज निदेशक निधि यादव ने उसके निलंबन के आदेश जारी किए हैं।

शिकायत और वीडियो साक्ष्य बने आधार…

बेहड़ेकी सैदाबाद की क्षेत्र पंचायत सदस्य पूर्णिमा त्यागी ने शिकायत की थी कि ब्लॉक प्रमुख करुणा अपने दायित्व नहीं निभा रही हैं और उनके ताऊ देशराज कर्णवाल कार्यालय में बैठकर सभी निर्णय लेते हैं। इसके अलावा सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो और अन्य साक्ष्यों में भी यह बात सामने आई थी। करुणा कर्णवाल वर्ष 2022 में भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी के रूप में ब्लॉक प्रमुख बनी थीं। उस समय भी उनके कार्य करने के तरीके को लेकर कई बार सवाल उठे थे। निलंबन के बाद शासन ने भगवानपुर ब्लॉक के प्रशासनिक और वित्तीय कार्यों की देखरेख के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है।

समिति में तीन क्षेत्र पंचायत सदस्यों को शामिल किया गया है, जो फिलहाल ब्लॉक के सभी कार्यों का संचालन करेंगे। इस कार्रवाई के बाद क्षेत्र में राजनीतिक चर्चाएं तेज हो गई हैं। सत्तारूढ़ पार्टी के स्थानीय नेताओं में भी इस कदम को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।

इस मामले को लेकर विपक्ष ने भाजपा पर जोरदार हमला बोला है। उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने कहा, ‘यह सत्ता के खुले दुरुपयोग का मामला है। वीडियो में स्पष्ट है कि देशराज कर्णवाल ब्लॉक प्रमुख की भूमिका निभा रहे थे, जबकि करुणा कर्णवाल सिर्फ नाम मात्र की प्रतिनिधि थीं।’ उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा महिलाओं को सिर्फ चेहरा बनाकर सत्ता की बागडोर पुरुषों को ही सौंपती है। यह भाजपा का नया मॉडल बन गया है — मंचों से ‘नारी शक्ति’ की बात और ज़मीन पर महिलाओं को परिवार के पुरुषों की कठपुतली बना देना। यही है इनका असली ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ मॉडल,’। इसके साथ ही उन्होंने सवाल उठाया कि यदि प्रशासन के पास वीडियो जैसे पुख्ता सबूत पहले से मौजूद थे, तो कार्रवाई में इतना विलंब क्यों हुआ? क्या भाजपा सरकार तब तक चुप बैठी रहती है जब तक मामला मीडिया में ना आए?