उत्तराखंड के दो लाल बिपिन चंद्र जोशी और बिपिन रावत! दोनों ही जनरल, एक जैसा नाम और मां भारती की सेवा करते-करते हो गए अमर
कल 8 दिसंबर को मां भारती की सेवा करते-करते देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत शहीद हो गए। उनके निधन से पूरे देश में शोक की लहर है। आज उनके पार्थिव शरीर को दिल्ली लाया जायेगा और कल सैन्य सम्मान के साथ उनको अंतिम विदाई दी जायेगी। इसे संयोग कहें या दुखद दुर्योग उत्तराखंड से दो जनरल भारत को मिले और दोनों ही देश की सेवा करते-करते शहीद हो गए। इत्तेफाक की बात यह है कि दोनों के नाम भी एक ही जैसे, ‘जनरल बिपिन रावत’ और ‘जनरल बिपिन चंद्र जोशी’। लगभग 27 साल पहले 19 नवम्बर 1994 को जनरल बिपिन चंद्र जोशी का थल सेनाध्यक्ष रहते हुए आकस्मिक निधन हो गया था और कल 8 दिसम्बर 2021 को देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत वीरगति को प्राप्त हुए। जनरल बिपीन चंद्र जोशी भारतीय सेना के 17वें चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (सीओएएस) थे। उनका जन्म उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में 5 दिसम्बर 1935 में हुआ और 19 नवंबर 1994 को नई दिल्ली सैन्य अस्पताल में ह्रदय आघात से उनकी मृत्यु हो गई। बताया जाता है कि वे 1995 में सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन इससे पहले वो दुनिया को अलविदा कह गए। जनरल जोशी भारतीय थल सेनाध्यक्ष पद पर पहुंचने वाले उत्तराखंड के पहले सैन्य अधिकारी बने थे। आर्मी चीफ बनने से पहले बिपिन चंद्र जोशी डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन और जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ (दक्षिणी कमान) जैसे अहम पदों पर भी रह चुके थे। जनरल जोशी को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और एडीसी से भी नवाजा गया
वहीं देश के पहले सीडीएस बिपिन रावत की बात करें तो उनका जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में 16 मार्च 1958 में हुआ और 8 दिसम्बर 2021 को तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलिकॉप्टर हादसे में उनका निधन हो गया। जनरल बिपिन रावत के सैन्य सफर पर नजर डाली जाए तो उन्होंने जनवरी 1979 में सेना में मिजोरम में प्रथम नियुक्ति पाई। इसके बाद उन्होंने नेफा इलाके में तैनाती के दौरान बटालियन की अगुवाई की। वहीं कांगो में संयुक्त राष्ट्र की पीसकीपिंग फोर्स की भी अगुवाई की। 1 सितंबर 2016 को उन्होंने सेना के उप’प्रमुख का पद संभाला। फिर 31 दिसंबर 2016 को वह सेना प्रमुख बने। इसके बाद साल 2020 के 1 जनवरी को देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाया गया।



