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चम्पावत : गांव में प्रसव के बाद डोली से अस्पताल लाए गए जच्चा-बच्चा

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चम्पावत। पहाड़ के तमाम गांव आज भी ऐसे हैं, जहां से सड़क कोसों दूर है। जिसके चलते ग्रामीणों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऐसा ही एक गांव चम्पावत जनपद के लोहाघाट ​ब्लाक का भी है। गांव नाम है शील। सड़क न होने का खामियाजा शील गांव के लोगों को भी भुगतना पड़ता है। गांव वालों एक ​बार फिर से दिक्कतों का सामना करना पड़ा। गांव में प्रसव के बाद तबियत बिगड़ने पर प्रसूता और नवजात शिशु को डोली से पांच किमी दूर लाए और फिर रविवार से यहां से लोहाघाट अस्पताल पहुंचाया। इलाज के बाद जच्चा-बच्चा की हालत में सुधार बताया गया है।

ग्रामीण सामाजिक कार्यकर्ता रमेश सिंह ने बताया है कि शनिवार रात ढाई बजे गर्भवती मनीषा देवी को प्रसव पीड़ा उठी। उन्हें पैदल अस्पताल ले जाने में दिक्कत को देखते हुए आशा कार्यकर्ता निर्मला और कुछ अन्य महिलाओं ने गांव में ही प्रसव कराया। कई ग्रामीण रविवार सुबह जच्चा-बच्चा को डोली के सहारे पांच किमी की खड़ी चढ़ाई और उबड़-खाबड़ रास्ते को पार कर मुख्य सड़क तक लाए। यहां से वाहन के जरिये उन्हें उप जिला अस्पताल पहुंचाया गया। जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित हैं। ग्रामीणों का कहना है कि मुख्यमंत्री ने बाराकोट ब्लॉक के सुतेड़ा से शील गांव के लिए सड़क निर्माण की कुछ समय पहले घोषणा की थी लेकिन सड़क बनाने की कवायद नहीं हो सकी है। इस कारण दुर्गम रास्तों पर चलने के लिए ग्रामीण मजबूर हैं।

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