चम्पावत: आपातकाल की बरसी पर भाजपा ने किया गोष्ठी का आयोजन, आपातकाल लोकतंत्र सेनानी पांडेय सम्मानित
चम्पावत। भाजपा के महा जनसंपर्क अभियान के तहत जिला कार्यालय में आपातकाल दिवस की बरसी पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस दौरान आपातकाल लोकतंत्र सेनानी सुरेश पांडेय को सम्मानित किया। वक्ताओं ने कहा कि देश में आपातकाल लोकतंत्र पर हमला और काला अध्याय है।

जिलाध्यक्ष निर्मल माहरा ने अध्यक्षता करते हुए अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने अपनी सरकार को बचाने के इरादे से देश में लोकतंत्र की हत्या कर आपातकाल लगाया। मुख्य अतिथि आपातकाल लोकतंत्र सेनानी व जेल गए चम्पावत के पवेत निवासी सुरेश पांडेय रहे। उन्होंने बताया कि तत्कालीन सरकार ने अन्याय और अत्याचार की पराकाष्ठा पार कर दी। 1975 आपातकाल के विरोध में उठी प्रत्येक मुखर आवाज को कांग्रेस सरकार ने दमनकारी नीतियों से प्रतिबंधित कर दिया और नौजवानों को जेल में डाला। विरोध करने पर नाखून उखाड़ दिए जाते थे, उल्टा लटकाकर मारा जाता था। एक पार्टी व परिवार ने देश के लोकतंत्र की हत्या करने के लिए लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन किया।
प्रदेश मंत्री हेमा जोशी, वरिष्ठ भाजपा नेता श्याम पांडेय, शंकर पांडेय, हरीश पांडेय ने तत्कालीन कांग्रेस की सरकार को दमनकारी बताया। कहा कि इसे युवाओं को जानने की आवश्यकता है। आपातकाल के दर्द को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। इस दौरान डाक्यूमेंट्री के माध्यम से आपातकाल में हुई घटनाओं को दिखाया। संचालन जिला महामंत्री मुकेश कलखुड़िया ने किया। इस दौरान कार्यक्रम संयोजक व भाजपा जिला उपाध्यक्ष प्रकाश पांडेय, मंडल अध्यक्ष सुनील पुनेठा, नवीन भट्ट, प्रकाश बिनवाल, विधायक प्रतिनिधि प्रकाश तिवारी, ब्लाक प्रमुख रेखा देवी, वरिष्ठ नेता सुरेश भट्ट, एनडी गड़कोटी, शंकर पांडेय, त्रिलोक गिरी, गिरीश जोशी, बहादुर फर्त्याल, कैलाश पांडेय, प्रकाश पांडेय, सुरेश जोशी, चंदन बोहरा, भाजयुमो जिलाध्यक्ष गौरव पांडेय, जिला मंत्री विकास गिरी, मंडल अध्यक्ष ललित देउपा, किसान मोर्चा जिला मंत्री जगदीश पनेरू, भाजपा मंडल पदाधिकारी हरीश जोशी, आनंद अधिकारी, जगदीश कलौनी, रमेश खाती, हेम शर्मा, अजय प्रहरी, अजय चौधरी, भगवान लाल, पीतांबर गहतोड़ी, महेन्द्र गहतोड़ी आदि कार्यकर्ता मौजूद रहे।
एक कमरा, छह लोग, वहीं करते थे शौच
चम्पावत। आपातकाल में जेल रहे सुरेश पांडेय ने स्वयं का अनुभव बताते हुए कहा कि जब उस दौरान वह जेल में जब वह बंद थे, तो एक कमरे में छह लोग रहते थे। अत्याचार की पराकाष्ठा यह थी कि उन्हें शौच के लिए भी बाहर नहीं जाने दिया करता था। जेल के कमरे में ही एक गढ्ढा था, उसी में सभी बारी-बारी से शौच करते थे और अन्य लोग मुंह विपरित दिशा में करते थे।
