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चम्पावत : ठेकेदारों ने उठाई नई टेंडर नियमावली निरस्त करने की मांग, ईपीएफ की अनिवार्यता भी खत्म हो

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चम्पावत। राजकीय ठेकेदारों ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेज कर नई टेंडर नियमावली निरस्त करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि नई टेंडर नियमावली से स्थानीय ठेकेदारों के बेरोजगार होने की नौबत आ गई है। ये नियमावली छोटे ठेकेदारों के हित में नहीं है। वहीं ठेकेदारों ने पालिकाध्यक्ष से ठेकेदारी रजिस्ट्रेशन में ईपीएफ की अनिवार्यता को समाप्त करने की मांग की है।

राजकीय ठेकेदार संघ के अध्यक्ष व राज्य आंदोलनकारी मंदीप ढेक के नेतृत्व में सीएम कैंप कार्यालय के माध्यम से सीएम धामी को भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि नई नियमावली स्थानीय छोटे ठेकेदारों के हित में नहीं है। नगर पालिका निकायों में छोटे ठेकेदारों से ठेकेदारी रजिस्ट्रेशन में ईपीएफ प्रमाणपत्र की अनिवार्यता की गई है। वहीं अन्य राजकीय निर्माण कार्य करवाने वाले विभागों में अनुभव प्रमाण पत्र 25 फीसद से से बढ़ाकर 80 फीसद कर दिया गया है। ज्ञापन में कहा गया है कि पूर्व में लोनिवि 1.50 करोड़ रुपये तक के रोड के कार्य को बिना अनुभव के आधार पर सिंगल बिड पर होते थे। साथ ही 3 वर्ष के टर्नओवर के आधार पर होने वाले टेंडर की समय सीमा भी बढ़ाकर अब 5 वर्ष कर दी गई है। ज्ञापन में मांग की गई है कि 50 लाख तक के कार्य ऑफ लाइन निविदा के आधार पर किए जाए, ताकि स्थानीय ठेकेदारों को कार्य मिल सके। पूर्व में सरकार के कैबिनेट मीटिंग में 10 करोड़ तक के कामों को स्थानीय ठेकेदारों द्वारा कराने का निर्णय भी लिया था। ठेकेदार संघ ने टेंडर नियमावली को बदलाव को निरस्त कर पूर्व की नियमावली से निर्माण कार्य कराने का आग्रह किया है। ऐसा नहीं होने पर उनके बेरोजगार होने के खतरे से लेकर स्थानीय रोजगार पर असर पड़ेगा।

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उधर, ठेकेदारों ने पालिकाध्यक्ष प्रेमा पांडेय को सौंपे गए ज्ञापन में ठेकेदारी रजिस्ट्रेशन में ईपीएफ की अनिवार्यता को समाप्त करने की मांग की है। ज्ञापन देने वालों में प्रकाश चंद्र भट्ट, नवीन चंद्र उप्रेती, रितेश तड़ागी, गिरीश जोशी, अनिल सिंह, अजय सिंह महर, विकास सिंह कुंवर आदि शामिल रहे।