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चम्पावत: सीमांत चम्पावत जिले को नई पहचान देगा ‘कॉर्बेट ट्रेल’

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नेपाल सीमा से लगे चम्पावत जिले को दुनिया के मशहूर शिकारी जिम काॅर्बेट से नई पहचान मिलेगी। चम्पावत जिले में वर्ष 1907 से 1946 के बीच इस अंग्रेज शिकारी ने सात आदमखोर बाघ को मार लोगों को आतंक से निजात दिलाई थी। अब काॅर्बेट से जुड़े डाकबंगलों और रूट को नया स्वरूप दिया जाएगा। इसके लिए जिले में 4,69,44,000 रुपये से छह ट्रेल के प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजे गए हैं। इस काॅर्बेट ट्रेल से पर्यावरण प्रेमी सैलानियों के आने के साथ ही पर्यावरण को बचाए रखते हुए स्वरोजगार के मौके बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। युवाओं को काॅर्बेट से जुड़ी जगहों की जानकारी देकर गाइड और दूसरे कार्यों के रोजगार से जोड़ा जाएगा। कलढुंगा डाक बंगले की मूल वास्तुकला को बनाए रखते हुए जीर्णोद्धार किया जाएगा। वन विश्राम भवन (एफआरएच) के पास शारदा नदी के किनारे के स्थान को विकसित किया जाएगा। इससे पर्यटकों को शारदा नदी का नजारा भी दिखेगा।
टाक में वर्ष 1938 में नरभक्षी बाघ के शिकार वाले स्थान पर आम और जामुन के पेड़ लगाकर संरक्षित किया जाएगा। जिले में चम्पावत, तल्लादेश, बूम-कलढुंगा-चूका-टाक, देवीधुरा-पाटी-धूनाघाट, पनार घाटी, दुर्गापीपल-डांडा-लधिया घाटी में जिम काॅर्बेट ट्रेल बनाई जाएगी। वन विभाग ने डीपीआर तैयार कर प्रस्ताव शासन को भेजा है। इसमें काॅर्बेट से जुड़े जंगलों से जुड़े कई स्थानों को मूल रूप में संवारने के लिए सात ट्रैकिंग रूट बनाए जाएंंगे। लघु वृत्तचित्र, धूनाघाट में साइन बोर्ड और काॅर्बेट और वन्यजीव संरक्षण से संबंधित पुस्तकालय जैसे 12 अन्य काम कराए जाएंगे।

इको डेवलपमेंट कमेटी गठित होगी
चम्पावत। काॅर्बेट ट्रेल के तहत चूका में इको डेवलपमेंट कमेटी (ईडीसी) का गठन किया जाएगा। पार्किंग के साथ कैंपिंग सुविधा विकसित होगी। ग्रामीण युवाओं को काॅर्बेट से जुड़े आसपास के स्थानों के लिए गाइड का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे होने वाली आय का उपयोग स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य और बच्चों की पढ़ाई में किया जाएगा। अवैध शिकार रोकने के लिए ईडीसी और वन विभाग के बीच अनुबंध। इसी तरह गौड़ी ग्राम पर्यावरण विकास समिति का गठन किया जाएगा। बर्दोली और पैंती गांव के युवाओं को जानकारी देकर गाइड के रूप में रोजगार के मौके उपलब्ध कराए जाएंगे।

काॅर्बेट ट्रेल में होंगे ये काम
बूम-कलढुंगा-चूका-टाक ट्रेल (124.31 लाख रुपये)
चूका-टाक ट्रेक रूट, ककरालीगेट में प्रवेशद्वार निर्माण, कलढुंगा और बूम एफआरएच का सुदृढ़ीकरण।
देवीधुरा-पाटी-धूनाघाट ट्रेल (109.26 लाख रुपये)
घाट और देवीधुरा में प्रवेशद्वार, धूनाघाट और केदारनाथ एफआरएच का सुदृढ़ीकरण।
दुर्गापीपल-डांडा-लधिया घाटी ट्रेल ( 74.46 लाख रुपये)
दुर्गापीपल एफआरएच का सुदृढ़ीकरण। तीन ट्रैकिंग रूट दुर्गापीपल-सुकुनी, सुकनी-मथियाबांज, मथियाबांज-चल्थी।
तल्लादेश ट्रेल (65.74 लाख रुपये)
हरम में प्रवेशद्वार निर्माण, मंच एफआरएच का सुदृढ़ीकरण, खेत से बमनगांव और ठुलाकोट से डुमानी गधेरा ट्रैक रूट।
चम्पावत ट्रेल: (56.49 लाख रुपये)
फूंगर चौकी सुदृढ़ीकरण और गौड़ी से बागबरुड़ी तक ट्रैक रूट।
पनार घाटी ट्रेल : (39.18 लाख रुपये)
रामेश्वर एफआरएच का सुदृढ़ीकरण।

जिम काॅर्बेट ट्रेल सुधारने के लिए 4,69,44,000 रुपये का प्रस्ताव वन विभाग ने तैयार किया है। काॅर्बेट से जुड़े स्थानों से संबंधित छह ट्रेल के प्रस्ताव हैं। इन प्रस्तावों को शासन को भेजा गया है। मंजूरी के बाद इस पर काम शुरू होगा। काॅर्बेट ट्रेल से देश-विदेश के प्रकृति प्रेमी सैलानियों की आमद होने के साथ ही स्थानीय रोजगार के मौके भी बढ़ेंगे। आरसी कांडपाल, डीएफओ, चम्पावत