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चम्पावत : गुरु गोरखनाथ धाम में 271.39 लाख रुपये से होंगे विकास कार्य, प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति मिली

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चम्पावत। जनपद के सीमांत मंच तामली क्षेत्र में स्थित गुरु गोरखनाथ धाम में पर्यटन सुविधाओं को विकसित किए जाने को लेकर प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति हुई प्राप्त।

वित्तीय वर्ष 2023-24 अंतर्गत जनपद के गुरु गोरखनाथ धाम में पर्यटक अवस्थापना सुविधाओं को विकसित किए जाने की शासन द्वारा प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति प्राप्त हो गयी है। यह जानकारी देते हुए जिलाधिकारी नवनीत पांडेय ने अवगत कराया कि गुरु गोरखनाथ धाम में पर्यटक अवस्थापना सुविधाओं को विकसित किए जाने के लिए कार्यदाई संस्था उत्तराखंड पेयजल संसाधन विकास एवं निर्माण निगम लोहाघाट को 271.39 लाख की धनराशि की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई है।
जिसके अंतर्गत प्रस्तावित कार्यों में मंच में हिमालय दर्शन के लिए वॉच टावर एवं कैफेटेरिया, मंच से गोरखनाथ ट्रैक रूट का पडंजा के रूप में विकास, गुरु गोरखनाथ की मूर्ति की स्थापना, धाम में टॉयलेट का विकास, चाहरदिवारी का निर्माण, रैन वाटर हार्वेस्टिंग का विकास, मंदिर के 3 गेटों का पुनर्निर्माण, मंदिर परिसर में पटाल से फर्श का निर्माण तथा समस्त मार्ग में बेंचेस एवं साइनेज की स्थापना की जाएगी। साथ ही उन्होंने बताया कि स्वीकृत धनराशि से मदानुसार यथा शीघ्र कार्य प्रारंभ किया जाएगा।

नेपाल सीमा से लगे गुरु गोरखनाथ धाम में मिलता है राख का प्रसाद, सतयुग से जलती आ रही अखंड धूनी

नेपाल सीमा से लगे तल्लादेश क्षेत्र के मंच में स्थित गुरु गोरखनाथ धाम अपनी अनूठी मान्यताओं के कारण देश-विदेश में प्रसिद्ध है। मान्यता है कि धाम में सतयुग से अखंड धूनी जलती आ रही है। इसी अखंड धूनी की राख को प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में बांटा जाता है। मंदिर की अखंड धूनी में जलाई जाने वाली बांज की लकड़ियां पहले धोई जाती हैं। धाम में नाथ संप्रदाय के साधुओं की आवाजाही रहती है। चम्पावत से करीब 40 किमी दूर यह स्थान ऊंची चोटी पर है। यहां पहुंचने के लिए मंच तक वाहन से जाया जा सकता है। उसके बाद दो किमी पैदल चलना पड़ता है। कहा जाता है कि सतयुग में गोरख पंथियों ने नेपाल के रास्ते आकर इस स्थान पर धूनी रमाई थी। हालांकि, धूनी का मूल स्थान पर्वत चोटी से नीचे था, लेकिन बाद में उसे वर्तमान स्थान पर लाया गया। मान्यता है कि यहां सतयुग से धूनी प्रज्ज्वलित है।

400 वर्ष पूर्व चंद राजाओं की ओर से चढ़ाया गया घंटा भी मौजूद
धाम के महंत सोनू नाथ के अनुसार सतयुग में गुरु गोरखनाथ ने यह धुनी जलाई थी। मंदिर में करीब 400 वर्ष पूर्व चंद राजाओं की ओर से चढ़ाया गया घंटा भी मौजूद है।

बड़ी संख्या में धाम में पहुंचते हैं निसंतान दंपती
मंच में स्थित गुरु गोरखनाथ मंदिर आध्यात्मिक पीठ के रूप में पूरे उत्तर भारत में प्रमुख है। धाम में बड़ी संख्या में निसंतान दंपती पहुंचते हैं।

गुरु गोरखनाथ धाम को गोरक्षक के रूप में भी पूजा जाता है
गोरख पंथियों की ओर से स्थापित गुरु गोरखनाथ धाम को गोरक्षक के रूप में भी पूजा जाता है। क्षेत्र की कोई भी उपज हो या दूध, सबसे पहले धाम में चढ़ाया जाता है।