चम्पावत : सेब उत्पादन कर अपनी आर्थिकी को बढ़ा रहे हैं जनपद के युवा काश्तकार, आदर्श जनपद बनाने में दे रहे हैं योगदान
चम्पावत। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की परिकल्पना जनपद चम्पावत को ‘आदर्श जनपद’ बनाए जाने के लिए जिले के प्रगतिशील युवा काश्तकार भी अपना योगदान दे रहे हैं। जिनके द्वारा बागवानी के क्षेत्र में बेहतर कार्य कर जिले में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया जा रहा है। युवा यहां की भौगोलिक परिस्थिति के अनुसार सेब उत्पादन में बेहतर कार्य कर अपनी आर्थिकी को बढ़ा रहे हैं और लोगों को भी सेब उत्पादन हेतु जागरूक एवं प्रेरित कर रहे हैं।
जिला उद्यान अधिकारी टी.एन पांडे ने अवगत कराया की राज्य सरकार द्वारा संचालित मिशन एप्पल योजना के अंतर्गत जनपद के उच्च उत्पादन वाली उन्नत प्रजातियों तथा क्लोनल मूल वृन्तो के प्रयोग से सिंचाई सुविधा के साथ सुनियोजित बागवानी तकनीक अपनाते हुए अति सघन रोपण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कृषकों को प्रोत्साहित करने के लिए 0.40 हे०(20 नाली) क्षेत्र में इकाई स्थापना हेतु कुल लागत का 60 प्रतिशत राजसहायता प्रदान की जाती है।
जनपद चंपावत विकासखंड चंपावत (शक्तिपुरबुंगा, दुधपोखरा, नरसिंहडांडा, पुनावे, सिप्टी), लोहाघाट (डूंगरीफर्त्याल, खेसकांडे, फोर्टी, पाटन, कोलीढेक) एवं पाटी (बुंगाबिरोड़ा, खेतीखान, देवीधुरा) की भौगोलिक स्थिति के अनुसार यहां की जलवायु से उत्पादन के लिए अत्यधिक अनुकूल है।
उन्होंने बताया की विगत 3 वर्षों में योजना अंतर्गत जनपद में 10 हे० क्षेत्रफल में सेब (ग्रैनी स्मिथ, किंटराट, रेडलमगाला, डार्कबैरन गाला, जिरोमाइन, स्पर आदि प्रजाति) उद्यानों की स्थापना का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। इसके अतिरिक्त राजकीय उद्यान चौबटिया से प्राप्त डबल सेब ग्राफ्ट फल पौधों का वितरण भी कृषकों को किया गया। इसी प्रकार कुल 108 सेब सघन उद्यानों की स्थापना का कार्य जनपद में पूर्ण कर लिया है।
रूट स्टॉक आधारित पौधे होने के कारण सामान्य प्रजाति से आधे समय एक से तीन वर्ष में ही सेब के पौधे में फल आ जाते हैं। प्रतिवृक्ष प्रारंभिक अवस्था में 5 से 7 किलोग्राम फल उत्पादन होता है एवम फलों की गुणवत्ता अच्छी होने के कारण फलों को बाजार भाव भी अच्छा मिलता है। पांच नाली क्षेत्र में अति सघन योजना अंतर्गत सब के ढाई सौ पौधे आरोपित किए जाते हैं। जिसमें प्रारंभिक वर्षों में कृषक द्वारा 1500 किलोग्राम सब का उत्पादन एवं इंटरक्रॉपिक फसल (शिमला मिर्च, बंदगोभी, फ्रेंच बीन आदि) से लगभग 2.25 लाख वार्षिक आय भी अर्जित की जाती है। जिससे जनपद के काश्तकारों की आर्थिक स्थिति मजबूत होने के साथ ही वह अन्य को भी इस बागवानी के क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध करा कर आर्थिक रूप से सशक्त बना रहे हैं।