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मां बाराही धाम में मची रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की धूम

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देवीधुरा/चम्पावत। बाराही धाम के सांस्कृतिक मंच में उत्तराखंड की विभिन्न स्थानों की संस्कृति का ऐसा समागम रहा, जिसमें दर्शक अपने स्थानों में थिरकने लगे तथा उन्हें एक दूसरे स्थानों की संस्कृति से रूबरू होने का भी अवसर मिला। मौका था उत्तरांचल स्वर संगम लखनऊ के तत्वावधान में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से मां बाराही लोक सांस्कृतिक कला केंद्र हल्द्वानी के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का प्रदर्शन।

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कार्यक्रम का शुभारंभ बाराही मंदिर कमेटी के मुख्य संरक्षक लक्ष्मण सिंह लमगड़िया द्वारा द्वीप प्रज्वलन एवं कलाकारों द्वारा मां बाराही की वंदना से की गई। मुख्य अतिथि ने उत्तरांचल सुर संगम के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा संस्कृति ही हमें एक दूसरे से जोड़ती है। इस कार्य में उत्तरांचल सुर संगम के अध्यक्ष चेतन भैया निरंतर अपने सराहनीय प्रयासों से उत्तराखंड की विलुप्त होती जा रही है संस्कृति को स्वर देते आ रहे हैं। कार्यक्रम का संचालन करते हुए सुर संगम के अध्यक्ष चेतन भैया ने गहड़वाल खाम के प्रमुख 95 वर्षीय त्रिलोक सिंह बिष्ट समेत सभी अतिथियों व कलाकारों को शाल उड़ाकर उन्हें सम्मानित किया।

कलाकारों की प्रस्तुति बाराही धाम में होने वाले ऐतिहासिक बग्वाल एवं गढ़वाल की नंदा राजरात यात्रा का दिलकश नजारा था। “गोरखा चेली भागुली” बोल पर छपेली नृत्य, रिकी, देवेंद्र भट्ट,आदित्य, हरीश नारायण सिंह, पंकज कुमार, ममता भट्ट, दीपा बिष्ट, दिव्या, निशा, प्रियंका की शानदार प्रस्तुतियों में दर्शकों को थिरकाए रखा। जबकि हारमोनियम में लय,राकेश ने, तबले में ताल रुद्राक्ष ने ढोलक में थाप विनोद ने तथा बांसुरी में सूरज ने अपने सुरीले स्वर से सभी को तन मन से तरंगित कर दिया। राजेंद्र प्रसाद, गिरीश वरगली, रेखा वरगली व जानकी के एकल गीतों ने तो समां ही बांध दिया। चेतन भैया ने सभी का स्वागत एवं आभार प्रकट किया। इस मौके पर मंदिर कमेटी के अध्यक्ष मोहन बिष्ट, पूर्व अध्यक्ष खीम सिंह लमगड़िया, महामंत्री रोशन लमगड़िया ग्राम प्रधान ईश्वर बिष्ट, प्रकाश चंद्र, राजू बिष्ट, चंदन बिष्ट, दीपक चम्याल, हयात सिंह बिष्ट आदि तमाम प्रमुख लोग भी कार्यक्रम के गवाह बने।

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