उत्तराखंड : DM से फरियादी बोले- ‘बीमार मुर्गे की तरह’ स्कूल पहुंचते हैं शिक्षक
डीएम ने दिए निर्देश स्कूल से 8KM के दायरे में रहेंगे सरकारी टीचर्स
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए सरकार भले ही बड़े-बड़े दावे कर रही हो, लेकिन सरकारी स्कूलों में लगातार घटती छात्र संख्या इससे उलट तस्वीर पेश कर रही है। निजी स्कूलों की ओर छात्रों का बढ़ता रुझान इस बात का प्रमाण है कि सरकारी विद्यालयों में पढ़ाई की गुणवत्ता को लेकर अभिभावकों का भरोसा लगातार कमजोर हो रहा है। इसी मुद्दे को मंगलवार को कीर्तिनगर में आयोजित तहसील दिवस में एक फरियादी द्वारा प्रमुखता से उठाया गया।

फरियादी ने अधिकारियों के सामने कहा कि सरकारी विद्यालयों में बच्चों की शिक्षा के प्रति शिक्षकों का ध्यान बेहद कम है। अधिकतर शिक्षक दूरदराज क्षेत्रों से वाहनों से विद्यालय पहुंचते हैं और औपचारिकता पूरी कर वापस लौट जाते हैं, जिससे पढ़ाई की वास्तविक गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। उन्होंने जिलाधिकारी से मांग की कि यदि शिक्षक विद्यालय क्षेत्र के समीप ही निवास करें, तो विद्यालय में उनकी उपस्थिति और शिक्षा पर ध्यान बढ़ेगा, जिससे बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सकेगा।
मामले को गंभीरता से लेते हुए टिहरी जिलाधिकारी निकिता खंडेलवाल ने फरियादी की शिकायत पर सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को लेकर बड़ा निर्देश जारी किया है। अब सरकारी शिक्षक संबंधित विद्यालय के आठ किलोमीटर के दायरे में ही निवास करेंगे। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को आदेश दिया कि इस संबंध में औपचारिक आदेश जारी कर अनुपालन सुनिश्चत कराया जाए। प्रशासन का मानना है कि इस व्यवस्था से शिक्षकों की विद्यालय में उपस्थिति बेहतर होगी और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा।

दरअसल, कीर्तिनगर में आयोजित तहसील दिवस के दौरान इस फरियादी ने आरोप लगाया कि कई शिक्षक अपने बच्चों को शहरों के अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में पढ़ाते हैं, जबकि खुद रोजाना दूर-दराज से गांव के स्कूलों में पहुंचते हैं, जिससे बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। फरियादी का कहना था कि शिक्षकों की देर से पहुंचने, जल्दी लौटने और गांव से दूर रहने की वजह से स्कूलों में पढ़ाई का स्तर लगातार गिर रहा है। उन्होंने कहा कि ये शिक्षक ‘बीमार मुर्गों की तरह’ स्कूल पहुंचते हैं और स्कूल पहुंचने पर इनकी नींद खुलती है।’
डीएम ने कहा कि शिक्षक यदि विद्यालय के निकट रहेंगे तो समय पर स्कूल पहुंचना, छात्रों को पर्याप्त समय देना और शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाना सुनिश्चित हो सकेगा। स्थानीय लोगों ने डीएम के इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे बच्चों की पढ़ाई पर सकारात्मक असर पड़ेगा और शिक्षकों की जवाबदेही भी बढ़ेगी।


