श्रावणी पर्व रक्षाबंधन की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति
चम्पावत। श्रावणी पर्व यानी रक्षाबंधन पर्व पर श्रावणी उपाकर्म की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। प्रचलित पंचांगों और सरकारी कलेंडरों में रक्षाबंधन की तिथि 12 अगस्त निर्धारित की गई है जबकि संस्कृत के प्रकांड विद्वान डा.कीर्तिबल्लभ सक्टा के अनुसार श्रावणी उपाकर्म के लिए 11 अगस्त की तिथि उपयुक्त है। वह कहते हैं कि जो लोग वेद पढ़ते हैं, वेद पढ़ाते हैं, संस्कृत पढ़ते हैं और संस्कृत पढ़ाते हैं, कर्म कांड करते हैं उनको रक्षाबंधन के दिन श्रावणी उपाकर्म अवश्य करना चाहिए। यह उपाकर्म श्रावणी पूर्णिमा को यजुर्वेदियों के लिए बताया गया है। इस वर्ष यह तिथि थोड़ा बहुत दोषयुक्त हो गई है जो 11 अगस्त को है। दूसरे दिन उदय काल में पूर्णिमा तो है परंतु शास्त्रीय मान जो उपाकर्म के लिए बताया गया है उसके अंतर्गत नहीं आती। अतः उपाकर्म के योग्य नहीं है। इसलिए पूरे भारत में जो वेद पाठी हैं, संस्कृत सेवी हैं, कर्मकांडी हैं उनके लिए 11 अगस्त को ही श्रावणी उपाकर्म और रक्षाबंधन पातालगत भद्रा या अभिजित मुहूर्त या पुच्छ भद्रा में मनाना ही शास्त्र सम्मत है। निर्णय सिंधु, निर्णयामृत धर्म सिंधु आदि ग्रंथों में भी यही कहा गया है।