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चम्पावत : सड़क के अभाव में चार घंटे तक डंडे से लटका कर ढोया गया शव

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चम्पावत। सड़क का अभाव सीमांत के गांवों के लोगों के लिए जीते जीते तो मुसीबत का सबब तो बनता ही है, लेकिन एक बुजुर्ग के लिए मरने के बाद भी सड़क का अभाव सालता रहा। बुजुर्ग की मौत होने के बाद उनके शव को गांव तक ले जाने के लिए ग्रामीणों को एक डंडे का सहारा लेना पड़ा। भारी बारिश के बीच ग्रामीण बुजुर्ग के शव को पन्नी में लपेट कर डंडे के सहारे करीब 12 किमी दूर गांव तक ले गए। उसके बाद अंतिम संस्कार किया गया।

सीमांत तल्लादेश के ग्राम खटगिरी निवासी 65 वर्षीय संतोष सिंह का सोमवार को उपचार के दौरान निधन हो गया। वे बीमारी से जूझ रहे थे। भारी बारिश व सड़क के अभाव के चलते परिजनों व ग्रामीणों के लिए उनके पार्थिव शरीर को गांव तक ले जाना चुनौती बन गया। चम्पावत से मंच तक तो परिजन निजी वाहन से 32 किलोमीटर सफर कर लाए। आगे 12 किलोमीटर का रास्ता बारिश और फिसलन भरी पगडंडियों से गुजरता था। यहां न सड़क थी और न ही कोई साधन।

मजबूरी में ग्रामीणों ने डंडे पर पन्नी की चादर से शव को लपेटा, रस्सी से कसकर बांधा और कंधों पर उठाकर खटगिरी गांव तक ले गए। चार घंटे तक बारिश से भीगते, फिसलते और थकते हुए वे संतोष सिंह को घर तक लाए। यह नजारा देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं। गांव के प्रेम सिंह, बचन सिंह, रवींद्र, गणेश, हिमांशु, राजन सिंह, श्याम सिंह, केशव सिंह और अमित बताते हैं कि सड़क न होने का खामियाजा अब मृतक भी भुगत रहे हैं। कई बार सर्वे हुआ। नेता आश्वासन देते रहे लेकिन आज तक गांव तक सड़क का सपना अधूरा है। घर पर पत्नी चंचला देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। संतोष सिंह अपने पीछे दो बेटे कुंदन सिंह और देवेंद्र सिंह छोड़ गए हैं। दाेनों काम की वजह से बाहर रहते हैं। पिता की खबर सुनकर वे लौटने की कोशिश में हैं लेकिन रात तक पहुंच नहीं सके।

यह कोई पहली घटना नहीं। कुछ दिन पहले बकोड़ा गांव का एक मरीज भी डोली में मंच तक लाया गया था। फिर ग्राम प्रधान की मां को चोट लगने पर उन्हें भी सीम होते हुए टनकपुर तक पहुंचाया गया। हर बार त्रासदी के बाद सड़क का सर्वे शुरू होता है और फिर विवादों या लापरवाही में अटक जाता है।