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आबादी के लिए खतरा बन सकता है बाटनागाड़ का मलबा, एसडीएम ने इंजीनियरों के साथ किया निरीक्षण

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टनकपुर। मां पूर्णागिरि धाम में बाटनागाड़ नाले में आ रहा भारी मलबा बूम गांव के लिए खतरा बन गया है। नाले और मलबे का रुख सड़क के रास्ते बहकर गांव के करीब पहुंच गया है, जो अधिक बारिश होने पर गांव के लिए खतरा बन सकता है। बुधवार को एसडीएम सुंदर सिंह ने लोनिवि और सिंचाई विभाग के इंजीनियरों के साथ स्थलीय निरीक्षण कर बचाव के लिए जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए। इंजीनियरों के मुताबिक सड़क पर करीब चार फीट तक मलबा आया है, जिसे हटाकर रास्ता खोलने में कम से कम पांच दिन का समय लगेगा। इधर श्यामलाताल में बिसौरिया नाले से लगी पहाड़ियां लंबे समय से दरक रही हैं, जिसका मलबा नाले में डंप होकर बाटनागाड़ पहुंच रहा है। सिंचाई विभाग के एसडीओ आरके यादव और लोनिवि की जेई तनुजा देव ने बताया कि मलबे से नाले का रुख आबादी की ओर मुड़ गया है, जिसे रोकने के लिए जेसीबी और पोकलेन से कटाव वाले स्थान में भरान कराया जा रहा है।

पूर्णागिरि धाम की आवाजाही फिलहाल पूरी तरह बंद, भैरव मांदिर क्षेत्र में फंसीं कई कारें

मंगलवार सुबह से बंद टनकपुर-भैरव मंदिर (पूर्णागिरि) सड़क के हाल दूसरे दिन और भी ज्यादा खराब हो गए। टनकपुर से आठ किलोमीटर दूर पूर्णागिरि मार्ग पर बाटनागाड़ क्षेत्र में आठ फीट ऊंचा मलबा एकत्र हो गया है। मंगलवार तड़के से इस मार्ग पर वाहनों की आवाजाही बंद है। पूर्णागिरि क्षेत्र में फंसे करीब 40 तीर्थयात्रियों को बाटनागाड़ के आसपास के कठिन रास्तों से निकाला जा रहा है। ये यात्री कानपुर सहित कई जगहों के हैं। एसपी देवेंद्र पींचा ने बताया कि फिलहाल आवाजाही बंद होने से मां पूर्णागिरि धाम की यात्रा भी रोकी गई है। चार जीप-कार भैरव मंदिर क्षेत्र में फंसी हैं। बाटनागाड़ के मलबे से निर्माणाधीन टनकपुर-जौलजीबी सड़क पर बाटनागड़ से चूका के बीच में आवाजाही ठप है। मंदिर समिति के अध्यक्ष पंडित किशन तिवारी ने प्रशासन से आग्रह किया है कि पोकलेन मशीन से मलबा हटवाकर जल्द आवाजाही शुरू कराई जाए।

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