देवीधुरा की ऐतिहासिक बग्वाल # इस बार अधिकतम 75 लोग ही हो सकेंगे शामिल!
चम्पावत। जनपद के देवीधुरा में स्थित मां वाराही मंदिर के प्रांगण में हर साल रक्षाबंधन के दिन होने वाली ‘बग्वाल’ इस बार भी सांकेतिक रूप में होगी। कोरोना की वजह से इस बार भी न तो मेला लगेगा और न ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। बग्वाल से संबंधित पूजा में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ अधिकतम 75 लोग ही शामिल हो सकेंगे। ग्रामीणों को घरों में मां का प्रसाद भेजा जाएगा। एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बुधवार को पीठीचार्य कीर्ति बल्लभ जोशी ने कहा है कि रक्षाबंधन के दिन होने वाली ऐतिहासिक बग्वाल में केवल 75 लोग ही शामिल हो सकेंगे। बीते दिनों देवीधुरा में मंदिर कमेटी और प्रशासन के बीच हुई बैठक में ये निर्णय लिया गया है। दो टीके लगा चुके और कोविड रिपोर्ट निगेटिव आने वाले लोग ही बग्वाल खेल सकेंगे। उन्होंने कहा इस बार बग्वाल में बाहरी व्यक्तियों को प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा। बग्वाल के दिन एंटीजन और आरटीपीसीआर रिपोर्ट दिखाए बगैर किसी को भी वालिक पोस्ट से आगे आने की अनुमति नहीं होगी। कहा तीन अगस्त को रक्षा बंधन के दिन प्रत्येक खाम के अधिकतम दस-दस सदस्य ही सांकेतिक बग्वाल पूजा में शामिल हो सकेंगे। चार अगस्त को मां का डोला मुचकुंद ऋषि आश्रम जाएगा। इस डोले में भी तीन-चार से अधिक लोग प्रतिभाग नहीं कर सकेंगे। बग्वाल पूजा अर्चना के लिए जिला पंचायत की ओर से सफाई कर्मी और सेनेटाइजर आदि की व्यवस्था की जाएगी। पूजा संपन्न होने के बाद प्रत्येक खाम के प्रधान घर-घर जाकर लोगों को प्रसाद वितरित करेंगे।
पीठाचार्य ने कीर्ति बल्लभ जोशी ने बताया कि मां वाराही धाम में चतुर्दशी यानि 21 अगस्त तक लगातार पूजा का आयोजन किया जाएगा। गुरुवार को वीराचार पूजन होगा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने बताया है कि 22 अगस्त को चार खाम और सात थोक के लोग मां वाराही की पूजा करेंगे। ऋषि तर्पण के साथ जनेऊ की प्रतिष्ठा की जाएगी। इसी दिन होने वाली सांकेतिक बग्वाल से पूर्व मां वाराही के सिंहासन को भंडार गृह से नंदग्राम तक लाया जाएगा। बग्वाल के बाद विशेष पूजा का आयोजन होगा। उन्होंने बताया कि 23 अगस्त को मां वाराही के डोले को मुचकुंद ऋषि के आश्रम तक लाया जाएगा। 24 अगस्त को चांद्रायण पर्व मनाया जाएगा। इसके बाद जन्माष्टमी तक मां वाराही धाम में विशेष पूजन किया जाएगा।