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चम्पावत में डॉ. तिलकराज जोशी के काव्य संग्रह ‘याद में किसकी न जाने’ का हुआ विमोचन

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चम्पावत में डॉ. तिलकराज जोशी के काव्य संग्रह का विमोचन करते मुख्य अतिथि पद्मश्री यशोधर मठपाल व अन्य।




चम्पावत। साहित्यिक एवं सांस्कृतिक चेतना मंच की ओर से आयोजित कार्यक्रम में मंच के अध्यक्ष डॉ.तिलकराज जोशी के काव्य संग्रह ‘याद में किसकी न जाने’ व मंच की सदस्य सरोज यादव के कविता संग्रह ‘जब लहरें शोर मचायें’ का विमोचन किया गया। रविवार को जीआईसी चौक स्थित शिवा रेजीडेंसी में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ.यशोधर मठपाल रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार त्रिभवुन गिरी महाराज ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में पहरू पत्रिका के सम्पादक डॉ.हयात सिंह रावत, पालिकाध्यक्ष विजय वर्मा, संयुक्त निदेशक विद्यालयी शिक्षा अशोक जुकरिया, एसडीएम सल्ट गौरव पांडेय, महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ.प्रणीता नंद, जवाहर नवोदय विद्यालय के प्रधानाचार्य संजय शुक्ला व अमरनाथ वर्मा रहे। संचालन डॉ.बीसी जोशी व डॉ.सतीश पांडेय ने किया।





मुख्य अतिथि पद्मश्री यशोधर मठपाल ने डॉ.तिलकराज जोशी व सरोज यादव को उनकी पुस्तकों के विमोचन पर बधाई दी। साथ ही उन्होंने कुमाऊंनी भाषा, संस्कृति तथा अस्मिता को पुनस्र्थापित करने का आह्वान किया। कार्यक्रम के दौरान काव्य गोष्ठी का भी आयोजन किया गया। गोष्ठी की शुरुआत करते हुए डॉ.तिलकराज जोशी ने कहा ‘याद में किसकी न जाने, गुनगुनाना चाहता हूं। दर्द किस किस के न जाने, मैं सुनाना चाहता हूं।’ सरोज यादव ने ‘ वक्त के कागज पे, संघर्षों की चटक स्याही से, डॉ.कीर्तिबल्लभ सक्टा ने कुमाऊंनी कविता सुनाई। बीडी फुलारा ने ‘कभी ख्वाबों में आते हो, कभी यादों से जाते हो, डॉ.बीसी जोशी ने ‘चिट्टी भुलिगै चुलान भुलिगै, खोल मोल ठुल चाक कुड़ी दान भुलिगै, कविता सक्टा ने ‘बहुत याद आता है बचपन सुहाना, डॉ.सतीश चंद्र पांडेय ने ‘जब तक सांसें चलें, हमें कुछ अच्छा करके जाना है। सब पर प्यार लुटाना है, प्यार सभी का पाना है।’ प्रकाश चंद्र जोशी शूल ने ‘हम अपने गम नहीं बताएंगे, करना सकोगे कम नहीं बताएंगे। पूछोगे कि कातिल कौन है तेरा, नाम तुम्हारा हम नहीं बताएंगे’ कविता सुनाई। हिमांशु जोशी ने ‘गांव छूटते जा रहे, बसे शहर बाजार। कंक्रीट के जंगल से कैसे चले बयार। ‘मिथ्या रिश्तों ने रचा नया एक संसार, सभी मनायें अपनों के बिन सारे त्यौहार। दोहे सुनाए।




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