प्रचार के रंग # गीतों के जरिये मतदाताओं के दिलो दिमाग पर छा जाने का हो रहा प्रयास
चम्पावत। विधानसभा चुनाव में अब कुछ ही दिन शेष हैं। ऐसे में पार्टियां और प्रत्याशी मतदाताओं को रिझाने के लिए जी-जान एक किए हुए हैं। घर-घर प्रचार के साथ सोशल मीडिया पर भी प्रत्याशियों की सक्रियता बनी हुई है। इसके साथ ही राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों ने प्रचार के लिए विशेष गाने भी बनवाए हैं। वे गीतों के जरिये मतदाताओं के दिलो दिमाग पर छा जाने का प्रयास कर रहे हैं। जनसंपर्क पर भी लगातार जोर दिया जा रहा है। इसके अलावा फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम सरीखे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर चुनावी सरगम के माध्यम से मतदाताओं में पैठ बनाने की कवायद जारी है। सत्तारूढ़ भाजपा के अलावा प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के साथ ही आम आदमी पार्टी ने चुनाव प्रचार में कई लोकगायकों की सेवाएं ली हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के चुनाव प्रचार में जहां प्रसिद्ध पार्श्व गायक जुबिन नौटियाल के अलावा लोकगायक हरीश जोशी हरू आदि लोकगायकों की ओर से गाए गीत चुनावी फिजां में गूंज रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के समर्थन में लोकगायिका माया उपाध्याय के गीत की भी खूब धूम मची है। लोकगायक सुरेश राजन, हेमा ध्यानी, प्रकाश बिनवाल आदि के गीत भी प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार के प्रमुख अस्त्र बने हैं।
राजनीतिक गीतों के बोल
भाजपा थीम सांग: जहां पवन बहे संकल्प लिए, जहां पर्वत गर्व सिखाते हैं। जहां ऊंचे-नीचे सब रस्ते बस भक्ति के सुर में गाते हैं। उस देवभूमि के ध्यान से ही मैं धन्य-धन्य हो जाता हूं… (जुबिन नौटियाल)
कांग्रेस: हरदा हमारा आला दोबारा, आस लागि रौ-आस लागि रौ, उत्तराखंड सारा… (माया उपाध्याय)
भाजपा विधायक कैलाश गहतोड़ी: हिट ददा-दीदी वोट दिउंना, कैलाश गहतोड़ी कैं फिर जितूना… (हरीश जोशी)
आप प्रत्याशी मदन महर: नैया जोश, नैया रंग, मदन भाई संग, गौं-गौं शहर-शहर, मदन महर की चल रै लहर। (प्रकाश चंद्र)
पूर्व कांग्रेस विधायक हेमेश खर्कवाल: चंपावत को एक्के लाल, हेमेश खर्कवाल-हेमेश खर्कवाल, विकासै की बनाछी मिसाल, हेमेश खर्कवाल… (सुरेश राजन)
…ठक-ठका-ठक ईवीएम का बटन दबाने की अपील
चम्पावत। विधानसभा चुनाव के लिए विभिन्न दलों के प्रत्याशियों के बीच मतदाताओं को आकर्षित करने की जोर आजमाइश की जा रही है तो निर्वाचन आयोग भी मतदान के लिए लोगों को जागरूक कर रहा है। मतदान करने की अपील के साथ ही उन्हें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के संचालन की जानकारी भी दी जा रही है। लोकप्रिय गीत …टक टका टक कमला बाटुली लगाए की तर्ज पर मतदाताओं से …ठक ठका ठक ईवीएम का बटन दबाने की अपील संबंधी पैरोडियां तैयार की जा रही हैं।
पिछले चुनाव से बढ़ा गीतों का चलन
इन दिनों कई क्षेत्रों में लाउडस्पीकर लगी कई गाड़ियां दौड़ रहीं हैं। लाउडस्पीकर में दिन भर स्थानीय लोक गायकों की ओर से तैयार किए गए गीत बजाकर वोट मांग जा रहे हैं। कुमाऊंनी गीतों में कोई दल उपलब्धियां बता रहा तो कोई दल नाकामी बता रहा है। चुनावी मौसम में तैयार किए गए गीत लोगों की जुबां पर हैं। वर्ष 2017 विधानसभा चुनाव के बाद गीतों के माध्यम से प्रचार करने का प्रचलन काफी बढ़ा है जबकि 2012 और 2007, 2002 में इस तरह प्रचार प्रसार नहीं किया जाता है। बताया जा रहा है कि चुनावों में नेताओं के लिए तैयार कर रहे कुमाऊंनी गीतों के लिए लोकगायकों को अच्छा पैसा मिल रहा है। चुनाव के बहाने लोकगायकों को रोजगार भी मिल रहा है।
