पूर्व सीएम हरीश रावत ने किया चीड़ के पेड़ की महिमा का बखान, वीडियो शेयर किया

उत्तराखंड में चीड़ के पेड़ को भले ही दावाग्नि का कारण माना जाता हो, लेकिन इसका उल्लेख पुराणों में भी मिलता है। पूर्व सीएम हरीश रावत ने चीड़ के पेड़ और उसके फल को लेकर एक वीडियो शेयर करते हुए पेड़ की महिमा और फल के फायदे गिनाए हैं। ये पहला मौका नहीं है, हरीश रावत इससे पहले भी उत्तराखंड के उत्पादों को बढ़ावा देते दिखाई दिए हैं और उनके औषधीय गुणों से लोगों को परिचित कराते आए हैं। वो कभी पहाड़ी फल काफल, नींबू पार्टी तो कभी पहाड़ी भट्ट की दाल व गहत की दाल और झंगोरे की खीर की पार्टी लोगों को देते रहे हैं। गौर हो कि पर्वतीय अंचलों में चीड़ के पेड़ बहुआयात में मिलते हैं, जो कहीं भी उग जाते हैं। इसके लिए पानी की ज्यादा जरूरत भी नहीं पड़ती है। वहीं चीड़ का पिरूल जंगलों में आग लगने का मुख्य कारण माना जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों में घर के फर्नीचर के लिए इस पेड़ की लकड़ी का उपयोग किया जाता है। जाड़ों में इसके फल सूखने पर आग तापने के काम आते हैं। वहीं इस पेड़ का पुराणों में भी उल्लेख मिलता है। जिसकी कहानी पूर्व सीएम हरीश रावत अपनी जुबानी सुनाते नजर आए। हरीश रावत ने कहा ये उत्तराखंड के सुपरिचित चीड़ के पेड़ के फल हैं। इनको श्यौता और श्यौतेके ठीठा भी कहते हैं। किंदवंती है कि जब सागर के पुत्र श्राप ग्रस्त हो गए तो भगीरथ गंगा को लेकर के आए ताकि पूर्वज श्राप मुक्त हो सकें। मां गंगा ने गंगासागर में उनको श्राप मुक्त कर दिया, तो सागर के पुत्र बोले मां अब हम कहां जाएंगे। वो युग बीत गए जब हम पैदा हुए थे, तो मां गंगा ने कहा मैं तुम्हें अपने आंचल में समेटूंगी, तुम मेरे साथ चलो मेरे मायके, वो गंगोत्री एरिया में आए और मां ने कहा अब तुम एक वृक्ष के रूप में यहां विद्यमान रहोगे और तुम बहुउपयोगी वृक्ष कहलाओगे, तुम्हारे जो फल होंगे, सौ-सौ दाने उनसे निकलेंगे और जहां-जहां, चाहे तुम पत्थर पर भी गिरोगे तो पत्थर पर भी तुम अंकुरण ले लोगे। इसलिए चीड़ का पेड़ कठिन से कठिन स्थान पर भी उठ जाता है। आज भले ही चीड़ हमारे लिए दिक्कत सुधा हो गया हो, मगर यह चीड़ के वृक्ष मां गंगा
के परम पुत्र सागर के ताड़ित पुत्र हैं। ठीठे (चीड़ के फल) के अंदर जो फल निकलता है, वह एक कवर में होता है और चिल्गोजे से ज्यादा पौष्टिक होता है। लोग इसका इस्तेमाल ग्रामीण क्षेत्रों में जाड़ों में करते हैं और बड़ी पौष्टिकता देता हैै। इस ठीठे को शुभंकर भी माना जाता है, शुभ माना जाता है। यह किसी भी तरीके की बला से आदमी और घर को बचाने का काम करते हैं, इसीलिए लोग इनको अपने घरों में ड्राइंग रूम या अन्य महत्वपूर्ण स्थान पर रखते हैं। जहां देव पूजन होता है वहां पर भी इसको रखा जाता है, तो मैं आज उनके दाने निकालने के लिए ताकि इसके स्वाद का आनंद लिया जा सके, वर्षों हो गए इनके स्वाद का आनंद नहीं लिया है तो आज वह आनंद
लेने के लिए मैं समय का उपयोग कर रहा हूं।


