उत्तराखण्ड

पूर्व केंद्रीय मंत्री बची सिंह रावत पंचतत्व में विलीन, राजकीय सम्मान के साथ हुई अंत्येष्टि, जानें कैसे बने वे ‘बचदा’

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उत्तराखंड भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री बची सिंह रावत सोमवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। रानीबाग के चित्रशिला घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उनकी अंत्येष्टि हुई। उनके बेटे शशांक रावत ने मुखाग्नि दी। इससे पहले उनके पार्थिव शरीर को भाजपा के कुमाऊं संभाग कार्यालय में अंतिम दर्शन के लिए रखा गया था। सीएम तीरथ सिंह रावत, केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक, कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत, उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धन सिंह रावत, सांसद अजय भट्ट, अजय टम्टा ने पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।  बची सिंह रावत का पार्थिव शरीर दो बजे करायल जौलासाल स्थित आवास पर पहुंचा। शव यात्रा तीन बजे भाजपा कार्यालय पहुंची। बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता और आम लोग अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। अंत्येष्टि संस्कार में मेयर जोगेंद्र रौतेला, भाजपा जिला अध्यक्ष प्रदीप बिष्ट, पूर्व दायित्वधारी हेमंत द्विवेदी, विधायक पुष्कर सिंह धामी, राजकुमार ठुकराल, पूर्व सासद बलराज पासी, सुरेश तिवारी, अजय राजौर, पूर्व विधायक नारायण पाल, अनिल कपूर डब्बू, सुरेश भट्ट, विजय बिष्ट, सुरेश तिवारी, प्रमोद बोरा, योगेश रजवार आदि मौजूद थे। सीएम तीरथ सिंह रावत ने कहा कि बचदा सरलता और सादगी के प्रतीक थे। जब वे केंद्र में मंत्री थे तब उत्तराखंड में कई केंद्रीय विद्यालयों की स्थापना हुई। बचदा ने वर्ष-2004 में आर्य भट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल को केंद्रीय दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके इस योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। सीएम रावत ने कहा कि बचदा का जाना पूरे प्रदेश के लिए बड़ी क्षति है जिसकी भरपाई संभव नहीं है। गौरतलब है कि शनिवार को स्वाथ्य खराब होने पर उन्हें एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था। एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश थपलियाल ने बताया कि प्रारंभिक जांच में बची सिंह रावत को सांस लेने में कठिनाई हो रही थी और उनके फेफड़ों में संक्रमण की भी शिकायत थी। इमरजेंसी में आवश्यक जांच के बाद उन्हें वार्ड में स्थानांतरित कर दिया गया था। लेकिन रविवार रात करीब पौने नौ बजे उन्होंने एम्स में अंतिम सांस ली। 

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बची सिंह रावत (बचदा) को जहां रानीखेत विधानसभा से पहले भाजपा विधायक होने का गौरव प्राप्त था, वहीं उनकी पृष्ठभूमि भी जन आंदोलनों से जुड़ी रही है। नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमे भी उन्होंने निशुल्क लड़े। कई आंदोलनों में उनकी सक्रिय भूमिका रही। 1988 में वह ताड़ीखेत ब्लॉक प्रमुख का चुनाव हारे। इसके बाद बचदा भाजपा संगठन को रानीखेत में स्थापित करने में जुट गए। पूरी विधानसभा में उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ संगठन को न केवल मजबूत किया, वरन कार्यकर्ताओं को एकजुट भी  किया। 1989 में वह हालांकि विधानसभा चुनाव हार गए, लेकिन 1991 में वह भाजपा की ओर से रानीखेत विधानसभा से निर्वाचित होने वाले पहले विधायक बने। 1994 में फिर पार्टी ने उन्हें विधायक का चुनाव लड़ाया और वह जीत गए। उन्होंने अविभाजित उत्तर प्रदेश विधानसभा में उपराजस्व मंत्री बनाया गया। इसके बाद बचदा ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1996 के लोकसभा चुनाव में पहली बार सांसद का टिकट मिला और बचदा ने अपने प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत को हराया। 1998 में भी वह लोकसभा के सदस्य बने। 1999 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर उन्होंने हरीश रावत को हराया। 2004 में बचदा ने फिर से लोकसभा का चुनाव जीता। इस बार उन्होंने हरीश रावत की पत्नी रेणुका रावत को हराया था। 

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नवीन सिंह देउपा

नवीन सिंह देउपा सम्पादक चम्पावत खबर प्रधान कार्यालय :- देउपा स्टेट, चम्पावत, उत्तराखंड