अच्छी खबर : पूर्णागिरि की मुख्य पहाड़ी की दरार भरने का काम पूरा, डेढ़ साल में पूरा हो सका चुनौतीपूर्ण कार्य
टनकपुर। मां पूर्णागिरि धाम के मुख्य मंदिर की पहाड़ी की दरार को भरने (रिस्टोरेशन) का काम पूरा हो गया है। पहाड़ी के कई हिस्से में पांच इंच गहरी दरारें थीं। बेहद चुनौतीपूर्ण इस कार्य को डेढ़ साल में पूरा किया गया। पहाड़ी की दरारों को भरने की इस परियोजना की कवायद 2008 से शुरू हुई थी। मंदिर समिति के अध्यक्ष पंडित किशन तिवारी का कहना है कि इस काम के पूरा होने से मंदिर की सुरक्षा और मजबूत हुई है।
पूर्णागिरि मंदिर शिवालिक क्षेत्र में स्लेटी बलुआ पत्थर वाली चट्टानों पर स्थित है। मुख्य पहाड़ी के पास दो दशक से लगातार दरारें आ रही थीं। इसकी सुरक्षा के लिए दरारों की मरम्मत का काम विश्व बैंक की निर्माण शाखा हल्द्वानी खंड ने नवंबर 2021 से शुरू किया। दरार को भरने से पूर्व मुख्य मंदिर के पीछे के हिस्से का जियोटेक परीक्षण कराया गया था। भूगर्भवेत्ताओं के सुझावों के आधार पर डीपीआर और डिजाइन बनाया गया था। 395.99 लाख रुपये से इस काम को पूरा करने वाली स्टोनफील्ड कंस्ट्रक्शन ने मंदिर के शिखर से करीब 30 मीटर नीचे तक दरार भरने के अलावा मुख्य मंदिर के पास ग्राउंटिंग (कंक्रीट की दरारों की मरम्मत के साथ टाइलों में अंतराल को भरने, जोड़ों को सील करने और मिट्टी के स्थिरीकरण की प्रक्रिया), दोनों तरफ से जाली लगने सहित कई सुरक्षागत कार्य कराए। इससे मुख्य मंदिर पहाड़ी का सुरक्षाचक्र और बेहतर हुआ है।
2008 से शुरू परियोजना में तीन एजेंसी बदलीं और सात ने किया सर्वे
मां पूर्णागिरि धाम के मुख्य मंदिर की पहाड़ी की दरारों को भरने की यह परियोजना 2008 से शुरू हुई। एजेंसी और निर्माण खंड बदलने से भी काम शुरू नहीं हो सका है। सबसे पहले इसका जिम्मा लोनिवि को दिया गया। फिर 2017 में यह काम विश्व बैंक की निर्माण शाखा बेड़ीनाग को दिया गया। अब फरवरी 2021 में बेड़ीनाग से हल्द्वानी खंड स्थानांतरित किया गया था। मुआयना और सर्वे भी सात कंपनियों ने किया। एनएचपीसी, केंद्रीय जल आयोग, वाप्कोस, कर्नाटक के कोलार की कंपनी, ग्रीस की ओमी कारन कप्पा, पुणे की जैनेस्ट्रो और गुरुग्राम की इंडस कंसल्टेंट कंपनी ने भी यहां मुआयना और सर्वे किया।
पूर्णागिरि के मुख्य मंदिर के पास की पहाड़ी संवेदनशील और जटिल थी लेकिन विभाग तमाम चुनौतियों के बीच इस काम को डेढ़ साल में पूरा कराने में सफल रहा। पहाड़ी को बहुत अधिक छेड़ा नहीं गया है। मुख्य मंदिर की पहाड़ी के वजन का परीक्षण कराने के बाद परिक्रमा पथ पर निर्णय लिया जाएगा। पीसी तिवारी, एई, विश्व बैंक निर्माण खंड, हल्द्वानी