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धराली नहीं पहुंच पाए हरीश रावत, आधे रास्ते से वापस लौटे, सरकार से किया ये आग्रह

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उत्तरकाशी। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को नलूणा के पास गंगोत्री हाईवे बंद होने की वजह से आपदाग्रस्त धराली नहीं पहुंच पाए। वे नलूणा से ही वापस लौट आए। हालांकि, अब नलूणा में हाईवे खुल गया है। वहीं, नलूणा से वापस लौटने के बाद उत्तरकाशी में मीडिया से मुखातिब हुए। जहां उन्होंने सरकार से धराली आपदा प्रभावित कृषि और होटल-होम स्टे संचालकों का ऋण माफ करने की मांग की। साथ ही प्रभावितों को रोजगार दोबारे स्थापित करने के लिए ब्याज मुक्त ऋण देने की सिफारिश की।

बता दें कि मंगलवार यानी 26 अगस्त को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आपदा प्रभावितों को मिलने के लिए सड़क मार्ग से धराली जा रहे थे, लेकिन नलूणा के पास गंगोत्री हाईवे बंद होने से वे धराली नहीं जा सके। हालांकि, अब हाईवे को खोल दिया गया है। वहीं, वापस लौटने के बाद हरीश रावत ने उत्तरकाशी जिला मुख्यालय स्थित लोनिवि गेस्ट हाउस में पत्रकारों से वार्ता की। इस दौरान पूर्व सीएम एवं कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर आपदाएं आ रही है। ऐसे में हम लोगों को नुकसान की प्रकृति का आकलन करना चाहिए। ताकि, भविष्य में धराली जैसी आपदाओं से बचा जा सके।

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हरीश रावत ने आगे कहा कि सभी हिमालयी राज्यों को मिलकर एक राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिए। ताकि, आपदाओं से निपटने में मदद मिल सके। जलवायु परिवर्तन का सबसे ज्यादा प्रभाव हिमालयी राज्यों पर पड़ रहा है। ऐसे में हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक साथ मिलकर केंद्र सरकार से आपदाओं से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति बनानी चाहिए। यूपीए सरकार ने जलवायु परिवर्तन को लेकर 8 मिशन लॉन्च किए थे, जिनमें से एक मिशन हिमालयी राज्यों के लिए भी था। पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि साल 2015 में उनकी सरकार ने प्रदेश में खतरे की जद में आए 434 गांव का सर्वेक्षण कराया था, जिसमें धराली भी शामिल था। उन्होंने आपदा प्रभावित सीमांत गांवों में गैस और राशन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए उत्तरकाशी जिलाधिकारी प्रशांत आर्य से वार्ता की।

इसके अलावा उन्होंने धराली आपदा के दौरान मलबे में दबे शवों को निकालने के लिए बड़ी मशीनों को हवाई मार्ग से प्रभावित क्षेत्र में भेजने की बात पर जोर दिया। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सड़क मार्ग खुलने पर धराली आपदा पीड़ितों से वार्तालाप कर उचित पुनर्वास योजना बनाने की बात कही। कहा कि धराली और थराली की आपदा की प्रकृति एक जैसी है। इसके कारणों का पता लगाया जाना चाहिए। उत्तराखंड में आपदाओं के मद्देनजर सरकार को जलवायु परिवर्तन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।