हरीश रावत बोले- एक पुराना शातिर खिलाड़ी उत्तराखंड पहुंच चुका है
वर्ष 2016 में दूध की जली कांग्रेस इस बार छाछ भी फूंक-फूंककर पी रही है। मतगणना से ठीक पहले भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय की उत्तराखंड में उपस्थिति के साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने लोकतंत्र के पहरूवों को सावधान किया है। उन्होंने कहा कि खरीद-फरोख्त में माहिर खिलाड़ी एक बार फिर उत्तराखंड पहुंच चुका है, हालांकि कांग्रेस पहले से सचेत है। राज्य में दो दिन बाद विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आने वाले हैं। उससे ठीक पहले भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय की उपस्थिति और भाजपा विधायक महेंद्र भट्ट के एक बयान ने हलचल बढ़ा दी है। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भाजपा पर तीखा प्रहार किया है। उन्होंने विधायक के बयान पर बड़ा सवाल खड़ा किया है।
दलबदल करवाने की घोषणा लोकतंत्र के लिए बड़ी भारी चेतावनी
हरीश रावत ने कहा कि भाजपा के निवर्तमान विधायक की एक सार्वजनिक स्वीकारोक्ति अत्यधिक शर्मनाक है। उन्होंने दावा किया है कि दूसरी पार्टियों के निर्वाचित होने के प्रतीक्षारत उम्मीदवारों से उनकी पार्टी की ओर से संपर्क साध लिया गया है। हरीश रावत ने कहा कि निर्वाचन से पहले ही दलबदल करवाने की यह घोषणा लोकतंत्र के लिए बड़ी भारी चेतावनी है। इतना ही नहीं हरीश ने आगे कहा है कि इतनी ही बड़ी चेतावनी है विधायक खरीदो अभियान के एक सिद्धहस्त भाजपाई नेता का उत्तराखंड आगमन। बंगाल में भी इन्होंने इसी तरीके की खरीद-फरोख्त की, लेकिन वहां पिट गए। बिहार में भी खरीद-फरोख्त की कोशिश की और अंतत: मात खाई। वर्ष 2016 में उत्तराखंड में की गई खरीद-फरोख्त के बाद अब फिर से इस पुराने शातिर खिलाड़ी ने उत्तराखंड का रुख किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पहले से सावधान है, लेकिन उत्तराखंड के लोकतंत्र के पहरूवों को भी सावधान हो जाना चाहिए।
विजयवर्गीय की उपस्थिति इसलिए मचा रही खलबली
मतदान के बाद मिले फिडबैक के बाद एक संभावना यह भी बन रही है कि राज्य की 70 में से लगभग दस सीटों पर बसपा, यूकेडी और निर्दलियों का कब्जा हो सकता है। ऐसे में शेष 60 सीटों में से बहुमत का आंकड़ा छूने में कांग्रेस या भाजपा को कठिनाई आ सकती है। अगर कांग्रेस सबसे बड़े दल के तौर उभरी और बहुमत के आंकड़े से दूर रही तो भारतीय जनता पार्टी बसपा, यूकेडी और निर्दलियों पर डोरे डाल सकती है। कैलाश विजयवर्गीय को जोड़-तोड़ की इस राजनीतिक का माहिर माना जाता है। ऐसे में मतगणना से पहले उनकी उत्तराखंड में एंट्री को जोड़-तोड़ के इस होकवर्क को पूरा करने के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मची हुई है।