उत्तराखण्डउधमसिंह नगरक्राइमदेहरादून

देहरादून : डिजिटल अरेस्ट गिरोह का ‘मुखिया’ हुआ गिरफ्तार, 45 लाख की ठगी में गया जेल, एसटीएफ ने किया चौंकाने वाला खुलासा

ख़बर शेयर करें -

उत्तराखंड एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) को बड़ी कामयाबी मिली है। एसटीएफ ने डिजिटल अरेस्ट के नाम पर 45 लाख रुपए की धोखाधड़ी के मामले में मुख्य आरोपी को लखनऊ से गिरफ्तार किया है। इस गिरोह ने मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच के अधिकारी बनकर पीड़ित को करीब 36 घंटे तक डिजिटल अरेस्ट किया था।

उधम सिंह नगर जिले के काशीपुर में रहने वाले व्यक्ति ने जुलाई 2024 में पुलिस को तहरीर दी थी। अपनी शिकायत में पीड़ित ने पुलिस को बताया था कि 9 जुलाई 2024 को उसके मोबाइल पर अज्ञात नंबर से फोन और व्हाट्सएप कॉल आया था। कॉल करने वाले व्यक्ति ने पीड़ित को कहा था कि वो TRAI (Telecom Regulatory Authority of India) से बोल रहा है। उसने बताया कि मुंबई क्राइम ब्रांच पुलिस ने उनके आधार नंबर और रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर 17 मुकदमे की सूचना दी है। इसलिए उनका सिम बंद किया जा रहा है। इतना ही नहीं, आरोपियों ने कहा कि ये सूचना मुंबई पुलिस काइम ब्रांच तिलकनगर के पुलिस अधिकारी हेमराज कोहली ने दी है। इसलिए उनकी बात हेमराज कोहली से कराई जा रही है और आप हेमराज कोहली को अपना स्पष्टीकरण देकर क्लियरेंस ले लें।

पीड़ित की शिकायत के मुताबिक तभी ऑटो रिकॉर्डिंग कॉल ट्रांसफर होने की आवाज आयी और वीडियो कॉल के माध्यम से बात शुरू हो गयी। वीडियो कॉल में पीड़ित को पुलिस अधिकारी की वर्दी पहने हुए एक व्यक्ति नजर आया। इसके अलावा पुलिस अधिकारी के ऑफिस की तरह बैकग्राउंड दिखाई दे रहा था। फर्जी पुलिस अधिकारी को असली साबित करने के लिए आरोपियों ने व्हाट्सअप पर पुलिस अधिकारी की आईडी भी भेजी, जिसमें शक्ल नहीं दिखाई दे रही थी।

इसके बाद पीड़ित को अपने जाल में अच्छी तरह फंसाने के लिए आरोपियों ने एफआईआर की कॉपी भी भेजी, जिसमें पीड़ित का नाम लिखा हुआ था। साथ ही कहा कि व्यक्ति का नंबर और आधार कार्ड कैनरा बैंक मुंबई में 20 करोड़ के हवाला घोटाले में शामिल पाया गया। इसके बाद आरोपियों ने पीड़ित के नाम से एटीएम कार्ड और कैनरा बैंक का स्टेटमेंट भी व्हाट्सअप पर भेजा और कहा कि जब तक आपकी जांच पूरी नहीं होती वो कॉल नहीं रखेंगे। क्योंकि पूछताछ होगी तब तक वो उनकी कस्टडी में रहेंगे। पीड़ित से अकेले कमरे में रहने और निर्देशों का पालन करने को कहा गया।

साथ ही आरोपियों ने पीड़ित से कहा कि वो उनकी बिना परमिशन के आप कोई कार्य नहीं कर सकते हैं और न ही कहीं जा सकते हैं। यदि उनके निर्देशों का पालन नहीं किया तो वो तुरंत अरेस्ट कर लिया जाएगा। इससे पीड़ित और ज्यादा घबरा गया और उनकी बातों का उत्तर देने के लिए अकेले कमरे में चला गया। इसके बाद पीड़ित व्यक्ति आरोपियों के कहे अनुसार काम करने लगा। कुछ देर बाद ठगों ने पीड़ित के बैंक अकाउंट की डिटेल पूछनी शुरू की और खाते में जमा धनराशि की जानकारी ली और कहा कि उनके खाते की धनराशि रिफाइन होगी। अगर जांच में निर्दोष पाये जाएंगे तो पैसा वापस कर दिया जाएगा। इसके लिए उनके ‌द्वारा सुप्रीम कोर्ट रुलिंग और अन्य कागजात दिखाये गये। डरकर व इस मामले से बचने के लिए पीड़ित ने उनके कहे अनुसार अपने बैंक खाते की धनराशि रिफाइनरी के लिए उनके कहे अनुसार अभियुक्त ‌द्वारा बताये गये बैंक खाते में RTGS के माध्यम से 10 जुलाई को पैंतालीस लाख (45) चालीस हजार रुपए ट्रांसफर कर दिए।

इसके बाद पीड़ित को अहसास हुआ कि उसके साथ कोई बहुत बड़ी धोखाधड़ी हुई है। पीड़ित इस घटना से इतना भयभीत हो गया कि वह तुरंत घटना की शिकायत नहीं कर पाया। एसटीएफ ने विश्लेषण करते हुए डिजिटल साक्ष्य इकट्ठे कर इस घटना में शामिल मुख्य आरोपी को चिन्हित किया। इसके बाद टीम ने मुख्य आरोपी पंकज कुमार निवासी जिला देवरिया उत्तर प्रदेश को लखनऊ से गिरफ्तार किया। आरोपी से कब्जे से घटना में प्रयोग मोबाइल, जिसमें पीड़ित से 45 लाख 40 हजार की धनराशि ट्रांसफर करवाये गयी, दो सिम कार्ड और एक PNB बैंक की चैक बुक हुई।

गिरफ्तार आरोपी ने धोखाधडी में प्रयोग किए जा रहे बैंक खाते के खिलाफ देशभर के अलग-अलग राज्यों में अनेक शिकायतें और 02 मुकदमे पंजीकृत होना पाया गया। उत्तराखंड एसएसपी एसटीएफ नवनीत भुल्लर ने बताया कि आरोपी ने साइबर अपराध के लिए अलग-अलग लोगों के नाम पर फर्जी करेंट बैंक खाते खोलकर उन खातों का प्रयोग साइबर अपराध ठगी में किया। इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से संचालित करने के लिए एसएमएस अलर्ट नंबर और ईमेल आईडी का प्रयोग आरोपियों द्वारा किया जा रहा था। इन बैंक खातों के बैंक स्टेटमैन्ट में करोड़ो रुपये के लेनदेन किया जाना पाया गया है। जांच में यह भी पता चला कि इन बैंक खातों के खिलाफ देश के अलग-अलग राज्यों में अनेक साइबर अपराधों की शिकायतें और दो FIR दर्ज हैं। साथ ही आरोपियों ने साईबर धोखाधड़ी के लिए दूसरे व्यक्तियों के खातों का प्रयोग (कमीशन बेस्ड खाते) धोखाधड़ी की धनराशि प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल करते थे।