संस्कृत भाषा के पुनर्जागरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम, चम्पावत का खर्ककार्की बना आदर्श संस्कृत ग्राम
चम्पावत। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में रविवार को राजकीय प्राथमिक विद्यालय भोगपुर (देहरादून) में आयोजित राज्यस्तरीय कार्यक्रम में उत्तराखंड के 13 जिलों में चयनित 13 आदर्श संस्कृत ग्रामों का एक साथ लोकार्पण किया गया। प्रदेश की दूसरी राजभाषा संस्कृत के प्रचार-प्रसार और संवर्धन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से संचालित इस योजना का क्रियान्वयन उत्तराखंड संस्कृत अकादमी (उत्तराखंड सरकार) एवं केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (नई दिल्ली) के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने दोपहर 12:00 बजे वर्चुअल माध्यम से सभी संस्कृत ग्रामों का शुभारंभ किया। जनपद चम्पावत के आदर्श संस्कृत ग्राम खर्ककार्की का लोकार्पण यूनिवर्सल कॉन्वेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, खर्ककार्की के सभागार में भव्य समारोह के साथ संपन्न हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत 24 UK गर्ल्स बटालियन एनसीसी, अल्मोड़ा की छात्राओं द्वारा सलामी एवं स्वागत से हुई। कुर्मांचल एंग्लो संस्कृत उत्तर माध्यमा विद्यालय, चम्पावत के विद्यार्थियों ने संस्कृत में ‘महामहनीय मेधाविन’ स्वागत गीत प्रस्तुत कर अतिथियों का अभिनंदन किया।

कार्यक्रम के दौरान बच्चों ने आपस में पूरी वार्ता संस्कृत में की। उन्होंने न केवल अभिवादन, प्रश्नोत्तर और सामान्य संवाद संस्कृत में किया, बल्कि रोजमर्रा की वस्तुओं जैसे पानी, किताब, मेज, कुर्सी, भोजन, वस्त्र आदि के संस्कृत नाम और उनके प्रयोग भी बड़े आत्मविश्वास के साथ बताए। इस पहल का उद्देश्य नई पीढ़ी में संस्कृत भाषा के प्रति रुचि जगाना और इसे दैनिक जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित करना है। जनपद चम्पावत में कार्यक्रम की अध्यक्षता ग्राम प्रधान खर्ककार्की मीना कार्की ने की। मुख्य अतिथि के रूप में दर्जा राज्य मंत्री श्याम नारायण पांडे, विशिष्ट अतिथि के रूप में जिलाधिकारी मनीष कुमार, विधायक प्रतिनिधि प्रकाश तिवारी एवं शंकर दत्त पांडे उपस्थित रहे।

समारोह के दौरान मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कुर्मांचल संस्कृत विद्यालय, चम्पावत के कक्षा 7 के छात्र शुभम पांडे से वर्चुअल संवाद किया। उन्होंने छात्र से संस्कृत भाषा में बातचीत कर उसकी शिक्षा एवं प्रगति की जानकारी प्राप्त की और उसे प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर जिलाधिकारी मनीष कुमार ने कहा कि आदर्श संस्कृत ग्राम योजना न केवल भाषा के संरक्षण का माध्यम है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करने और युवा पीढ़ी को भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ने का महत्वपूर्ण प्रयास है। उन्होंने ग्रामवासियों से इस पहल को सफल बनाने में सक्रिय सहयोग देने का आह्वान किया। सहायक निदेशक, संस्कृत शिक्षा चम्पावत डॉ. यशोदा प्रसाद सेमल्टी एवं संस्कृत ग्राम प्रशिक्षक सूरज जोशी ने संस्कृत शिक्षा के महत्व और इसके जन-जन तक प्रसार के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पहल राज्य की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण और भावी पीढ़ी को भारतीय ज्ञान परंपरा से जोड़ने में मील का पत्थर साबित होगी।
यह आयोजन संस्कृत शिक्षा विभाग माध्यमिक शिक्षा विभाग एवं यूनिवर्सल कॉन्वेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल खर्ककार्की के संयुक्त सहयोग से संपन्न हुआ।
इस दौरान मुख्य शिक्षा अधिकारी मेहरबान सिंह बिष्ट, प्रधानाचार्य सीएस जोशी, डॉ. कीर्ति बल्लभ सक्टा, जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) प्रकाश सिंह जंगपांगी, जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक) तेज सिंह, स्वीप समन्वयक जीवन चंद्र कलौनी, सामाजिक कार्यकर्ता शंकर दत्त पांडे, बाराही देवी संस्कृत विद्यालय (देवीधुरा) एवं कुर्मांचल ऐंग्लो संस्कृत विद्यालय के शिक्षक-शिक्षिकाएं, छात्र-छात्राएं तथा बड़ी संख्या में ग्रामवासी मौजूद रहे।
