ऐतिहासिक : उत्तराखंड में देश के सबसे लंबे जानसू टनल का हुआ ब्रेकथ्रू, सिलक्यारा टनल पर फिर हुआ खास और आम लोगों का जमावड़ा

उत्तराखंड के लिए आज 16 अप्रैल 2025 गुरुवार का दिन ऐतिहासिक रहा। आज प्रदेश में दो टनल का ब्रेकथ्रू हुआ है। टनल भी ऐसी कि जिसने एक हादसे के चलते बनने के दौरान ही देश दुनिया में खूब चर्चा बटोर ली थी। टनलों (सिलक्यारा और जानसू) के ब्रेकथ्रू को प्रदेश की धामी सरकार भी बड़ी उपलब्धि के तौर पर देख रही है। इन दोनों टनल को ब्रेकथ्रू करने के लिए कई चुनौतियों को पार करना पड़ा, जिसके बाद ये घड़ी आई है। बता दें कि साल 1853 में आज ही के दिन देश में पहली रेल बोरीबंदर से ठाणे के बीच चली थी। आज ही भारत देश की सबसे लम्बी ट्रांसपोर्टेशन टनल जानसू टनल का ब्रेकथ्रू भी हुआ है। 172 साल बाद उत्तराखंड में रेलवे को लेकर एक नया इतिहास बना है।

ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना के तहत पौड़ी के देवप्रयाग और जनासू के बीच बन रही टी-8 और टी-8एम सुरंग आज ब्रेकथ्रू हो गया है। इस अवसर पर सीएम पुष्कर सिंह धामी व केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मौजूद रहे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस चुनौतीपूर्ण परियोजना से जुड़े सभी इंजीनियरों, तकनीकी विशेषज्ञों और श्रमिकों को बधाई व शुभकामनाएं दी। इस दौरान पौड़ी गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी और मंत्री धन सिंह रावत भी मौजूद रहे।

- रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है।
- यह उत्तराखंड की 14.57 किलोमीटर लंबी ऋषिकेश-कर्णप्रयाग ब्रॉड गेज रेल परियोजना से जुड़ी है।
- इस परियोजना की टनल-8 भारत की सबसे लंबी रेल सुरंग है।
- इसी सुरंग में पहली बार टीबीएम यानी टनल बोरिंग मशीन की सफलता मिली है। यह एक ऐतिहासिक पल था।
- इस मौके पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद थे। उन्होंने खुद साइट पर जाकर इस पल को देखा।
- यह हिमालयन रेल कनेक्टिविटी के लिए एक बड़ी कामयाबी है।
- रेल मंत्री का दौरा वहां काम करने वाले मजदूरों और अधिकारियों के लिए प्रेरणा बना, जिन्होंने इस सफलता के लिए दिन-रात मेहनत की थी।
जर्मनी से मंगवाई गई टनल बोरिंग मशीन से हुई ड्रिलिंग
14.57 किलोमीटर लंबी इस सुरंग की खुदाई आधुनिक टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) ‘शक्ति’ की मदद से की गई, जो भारत की सुरंग निर्माण तकनीक के इतिहास में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। यह पहली बार है जब देश के पहाड़ी इलाकों में रेल सुरंग बनाने के लिए टीबीएम तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। 9.11 मीटर व्यास वाली इस सिंगल-शील्ड रॉक टीबीएम ने काम में जो तेजी और सटीकता दिखाई है, वह वैश्विक स्तर पर एक नया मापदंड स्थापित करती है। इस क्षेत्र की भूगर्भीय परिस्थितियों को देखते हुए ड्रिलिंग के लिए स्पेशल टीबीएम मशीनें जर्मनी से मंगाई गई थीं। वहीं, परियोजना की बाकी सुरंगों का निर्माण पारंपरिक ड्रिल एंड ब्लास्ट तकनीक से किया जा रहा है।
इसके साथ ही जनासू से लगभग 1.5 किलोमीटर दूर एक वर्टिकल शाफ्ट यानी कुआं नुमा सुरंग भी बनाई गई है, ताकि खुदाई और निर्माण कार्य में सहायता मिल सके। इस परियोजना के माध्यम से न केवल तीर्थ यात्रियों को राहत मिलेगी, बल्कि उत्तराखंड के सामाजिक, आर्थिक और सामरिक विकास को भी एक नई दिशा मिलेगी।
सीएम धामी ने कहा कि जिन सभी के परिश्रम, समर्पण और कौशल ने टनल का ब्रेकथ्रू को संभव हो पाया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस चुनौतीपूर्ण परियोजना से जुड़े सभी इंजीनियरों, तकनीकी विशेषज्ञों और श्रमिकों को बधाई व शुभकामनाएं दी। कहा कि जिन सभी के परिश्रम, समर्पण और कौशल ने टनल का ब्रेकथ्रू को संभव हो पाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पहाड़ पर रेल लाने का जो सपना था, वो अब साकार होता नजर आ रहा है। आने वाले कुछ महीनों में यह सुरंग पूरी तरह से तैयार हो जाएगी। ये सुरंग तकनीकी प्रगति, परिश्रम और सामूहिक प्रयासों का प्रतीक है। यह उपलब्धि आने वाले समय में प्रदेश के लिए विकास और कनेक्टिविटी के नए रास्ते खोलेगी।


रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आज बहुत ही ऐतिहासिक दिन है। आज भारत की सबसे लंबी ट्रांसपोर्ट टनल में टनल बोरिंग मशीन ने ब्रेकथ्रू किया है, जो रेलवे का ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट है, उसका मेजर सेक्शन है। ये बहुत की कॉम्प्लेक्स प्रोजेक्ट है। इसमें दो टनल हैं, जो बराबर में जाती हैं। उसमें एक और बड़ी उपलब्धि ये है कि हिमालय में टनल बोरिंग मशीन को सफल करना, एक बड़ा चैलेंज था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हमेशा बड़े टारगेट देते हैं और बड़े चैलेंजिंग काम को हाथ में देने के लिए प्रेरणा देते हैं। टनल बोरिंग मशीन को हिमालय कि जूलॉजी में चलाना काफी कठिन काम था।
गौर हो कि उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक पर देश की सबसे लंबी ट्रांसपोर्ट टनल थी। ये T-50 सुरंग 12.77 किमी लंबी है, जबकि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे परियोजना के तहत पौड़ी के देवप्रयाग और जनासू के बीच बन रही टी-8 और टी-8 एम सुरंग 14.57 किलोमीटर लंबी है।
सिलक्यारा टनल का सकुशल ब्रेकथ्रू…
आज उत्तरकाशी जिले में स्थित सिलक्यारा टनल का ब्रेकथ्रू हुआ। इस मौके पर टनल के निकट नवनिर्मित बाबा बौखनाग मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा भी की गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस कार्यक्रम में शिरकत की। वहीं आज दूसरी ओर सिलक्यारा टनल का भी ब्रेकथ्रू हो गया है। इस मौके पर टनल के निकट नवनिर्मित बाबा बौखनाग मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा भी की गई। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस कार्यक्रम में शिरकत की।
गौर हो कि टनल के बनने से गंगोत्री और यमुनोत्री के बीच की दूरी 26 किमी कम हो जाएगी। सिलक्यारा टनल के निर्माण के दौरान कई चुनौतियां बनी रही और साल 2023 में टनल में मजदूर फंसने से देश-दुनिया में सिलक्यारा सुर्खियों में छाया रहा। हादसे के बाद 17 दिन तक 41 मजदूर टनल के अंदर फंसे रहे। प्रधानमंत्री नरेंद मोदी और सीएम धामी के कुशल मार्गदर्शन में सफलता पूर्वक मजदूरों का रेस्क्यू ऑपरेशन किया गया था। सिलक्यारा टनल 4.531 किलोमीटर लंबी दो लेन और दो दिशा वाली सुरंग है।


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को सिलक्यारा सुरंग के ब्रेकथ्रू कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। गौरतलब है कि वर्ष 2023 में सिलक्यारा सुरंग निर्माण के दौरान 41 श्रमिक 17 दिनों तक भीतर फंस गये थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में चलाए गए रेस्क्यू ऑपरेशन के अंतर्गत सभी मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया था। सिलक्यारा सुरंग चारधाम यात्रा की दृष्टि से महत्वपूर्ण परियोजना है। लगभग 1384 करोड़ लागत की डबल लेन की इस सुरंग परियोजना की लंबाई 4.531 किलोमीटर है। सुरंग निर्माण से गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के बीच की दूरी 25 किलोमीटर तक कम हो जाएगी, जिससे यात्रियों को बेहतर सुविधा और समय की बचत होगी। इस परियोजना के पूर्ण होने से क्षेत्र में व्यापार, पर्यटन और रोजगार की संभावनाओं में वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने सिलक्यारा टनल ब्रेकथ्रू के अवसर पर परियोजना से जुड़े सभी इंजीनियरों, तकनीकी विशेषज्ञों, श्रमिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक अवसर न केवल उन्नत इंजीनियरिंग की सफलता का प्रतीक है, बल्कि आस्था और समर्पण की शक्ति का जीवंत उदाहरण भी है। उन्होंने कहा कि सिलक्यारा टनल अभियान दुनिया का सबसे जटिल और लंबा रेस्क्यू ऑपरेशन था। इससे जुड़े प्रत्येक व्यक्ति ने मानवता और टीम वर्क की एक अद्भुत मिसाल कायम की। यह घटना तकनीकी और मानवीय संकल्प की वास्तविक परीक्षा थी, सभी ने एकजुट होकर इस अभियान को सफल बनाया। उन्होंने समस्त रेस्क्यू टीम, रैट माइनर्स, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सहयोगी संस्थाओं का भी इस अभियान को सफल बनाने में आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिलक्यारा अभियान पर पूरी दुनिया की नजरें थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और भारत सरकार के पूर्ण सहयोग के चलते राज्य सरकार ने इस चुनौतीपूर्ण अभियान को सफलता पूर्वक संचालित किया। इस रेस्क्यू अभियान में देश और दुनिया में उपलब्ध आधुनिक संसाधनों और विशेषज्ञों का भी सहयोग लिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि सुरंग में फंसे मजदूरों ने जिस धैर्य का परिचय दिया, इससे हमारा हौसला बढ़ा।
बाबा बौखनाग मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए घर से भेंट और पूजा सामग्री लेकर सिलक्यारा पहुंचे मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर बाबा बौखनाग मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में भी प्रतिभाग किया। बौखनाथ मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के लिए देहरादून स्थित अपने घर से मुख्यमंत्री भेंट और पूजा सामग्री लेकर सिलक्यारा पहुंचे। सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमिकों के सकुशल रेस्क्यू के लिए मुख्यमंत्री ने स्वयं सिल्क्यारा अभियान के दौरान कैम्प कर रेस्क्यू अभियान की निरंतर निगरानी और निर्देशन किया था। रेस्क्यू अभियान की सफलता के लिए मुख्यमंत्री ने बाबा बौखनाग से मन्नत मांगते हुए मंदिर निर्माण का संकल्प लिया था।
मुख्यमंत्री ने बाबा बौखनाग से प्रदेश की खुशहाली और प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि की प्रार्थना की। उन्होंने कहा कि जब सुरंग के मुख पर बाबा बौखनाग को विराजमान किया, तभी फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकाला जा सका। उस समय उन्होंने बाबा बौखनाग का भव्य मंदिर बनाने की घोषणा की थी। आज मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने से संकल्प भी पूरा हुआ है और श्रद्धालु भी बाबा बौखनाग का आशीर्वाद प्राप्त कर सकेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि टनल निर्माण के दौरान 12 नवम्बर को अचानक हुए भूस्खलन में 41 श्रमिक इस सुरंग में फँस गए थे। उस समय देशभर से लोग इन श्रमिकों की कुशलता के लिए ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे। उस अँधेरी सुरंग में, जहाँ उम्मीद की किरणें भी धूमिल हो रही थी, बाबा बौखनाग ने पहाड़ों के रक्षक के रूप में शक्ति और विश्वास का संचार किया।
मुख्यमंत्री घोषणा
1- सिलक्यारा टनल का नाम बाबा बौखनाग के नाम पर किये जाने की कार्यवाही की जायेगी।
2- प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र गेंवला-ब्रह्मखाल को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाया जायेगा।
3- बौखनाग टिब्बा को पर्यटन केन्द्र के रूप में विकसित किया जायेगा।
4- स्यालना के निकट हेलीपैड का निर्माण किया जायेगा।
इस अवसर पर केन्द्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा, विधायक सुरेश चौहान, दुर्गेश्वर लाल, संजय डोभाल, प्रबंध निदेशक एनएचआईडीसीएल डॉ. कृष्ण कुमार, जिलाधिकारी उत्तरकाशी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट, एसपी सरिता डोभाल, जनप्रतिनिधिगण और अधिकारीगण उपस्थित थे।
