तहसील गेट के पास सरकारी जमीन में अवैध रूप से चल रहा सुंअरबाड़ा हटेगा, प्रशासन ने जुर्माना कटा, नोटिस भी जारी होंगे
चम्पावत। पिछले लंबे समय से ललुवापानी रोड में तहसील गेट के पास अवैध रूप से सरकारी जमीन पर संचालित हो रहे सुंअरबाड़े के हटने की उम्मीद बढ़ गई है। अवैध रूप से सुंअरबाड़े का संचालन करने वालों पर प्रशासन ने जुर्माना लगाया है। साथ ही उन्हें नोटिस जारी करने की तैयारी चल रही है।
भाजयुमो नगर अध्यक्ष व सामाजिक कार्यकर्ता एडवोकेट गौरव पांडेय ने बुधवार को चम्पावत की प्रभारी एसडीएस सदर रिंकू बिष्ट को ज्ञापन सौंपा। जिसमें उन्होंने कहा था कि नगर पालिका में कार्यरत पर्यावरण कर्मियों द्वारा ललुवापानी रोड में तहसील गेट के पास अवैध रूप से सरकारी जमीन पर लंबे समय से सुंअरबाड़े का संचालन किया जा रहा है। जिससे सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे के साथ ही आम लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। सुबह व शाम के वक्त ललुवापानी रोड़ की ओर घूमने जाने वाले लोगों को सुंअरबाड़े के पास गंदगी की वजह से फैल रही दुर्गंध का सामना करना पड़ता है। पिछले दिनों वहां पाले जाने वाले सुंअर मादली क्षेत्र में खेतों तक भी पहुंच गए और वहां मंडुवे आदि की खेती को भी भारी नुकसान पहुंचाया। सुंअर दिन में घास काटने गई मादली क्षेत्र की महिलाओं के पीछे भी पड़ गए। बमुश्किल भागकर महिलाओं ने जान बचाई।
एडवोकेट गौरव पांडेय के पत्र में प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। देर शाम तहसीलदार ज्योति धपवाल की अगुवाई में राजस्व टीम ने मौके पर पहुंचकर जायजा लिया। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि सरकारी जमीन पर अवैध रूप से सुंअरबाड़ा संचालित किया जा रहा है। जिस पर तहसीलदार ने अवैध कब्जा करने वालों को कड़ी फटकार लगाई। उन्होंने कानूनगो एसके उनियाल और पटवारी अमित सिपाल को अवैध कब्जा करने वालों को नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। पालिका के ईओ चन्द्रशेखर शर्मा ने बताया कि एड गौरव पांडेय के पत्र पर कार्रवाई करते हुए मनोज कुमार और बालकिशन का 500-500 रुपये का जुर्माना काटा गया है।
जमीन का सदुपयोग कर पालिका बना सकती है आय का जरिया
चम्पावत। एडवोकेट गौरव पांडेय ने बताया कि सुंअरबाड़ा हटने के बाद नगर पालिका चाहे तो इस स्थान को अपने आय के स्रोत के रूप में शामिल कर सकती है। वहां पर बना शौचालय खराब अवस्था में है और लंबे समय से बंद होने से अनुपयोगी है। उसे ध्वस्त करके पालिका सरकारी जमीन का सीमांकन करवाकर दुकान आदि किराये हेतु भवन आदि का निर्माण कर सकती है। जिससे कि पालिका को स्थाई आय का स्रोत मिलेगा।