चम्पावत जिले में एक परीक्षा ऐसी भी # बोर्ड परीक्षार्थियों को पेपर देकर मोबाइल की रोशनी के सहारे लौटना पड़ रहा है घर


चम्पावत। जनपद में बोर्ड परीक्षा का एक परीक्षा केंद्र ऐसा भी है, जहां पर परीक्षा देने के लिए छात्र छात्राओं को आठ किमी पैदल चलना पड़ रहा है। परीक्षा समाप्ति के बाद बच्चों को घर लौटने में रात हो जा रही है। वे मोबाइल की रोशनी के सहारे घर लौट रहे हैं। ऐसे में उनकी सुरक्षा तो खतरे में पड़ ही रही है, वे काफी थक भी जा रहे हैं। ऐसे में उनकी परीक्षा प्रभावित होने का भी खतरा है। यह परीक्षा केंद्र पाटी विकास खंड में स्थित है।
12वीं की बोर्ड परीक्षा देने के बाद पाटी विकास खंड के रमक क्षेत्र के बच्चे रात के अंधेरे में घर पहुंच रहे हैं। रमक क्षेत्र के वारसी, सालियां रवा, रमक आदि गांवों के इंटर के अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्र से घर पहुंचने के लिए जंगल के बीच से आठ किमी की पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। घर पहुंचने से पहले ही अंधेरा होने के कारण वह मोबाइल की रोशनी का सहारा ले रहे हैं। रमक जीआईसी के 19 बच्चे (11 बालिकाएं और आठ बालक) इंटर बोर्ड की परीक्षा दे रहे हैं। परीक्षा के लिए उन्हें रमक क्षेत्र से करीब आठ किलोमीटर का पैदल मार्ग पार कर गरसाड़ी जीआईसी जाना पड़ता है। इंटर के परीक्षार्थियों का पेपर शाम पांच बजे छूटता है। इसके बाद इन परीक्षार्थियों को अपने घर तक पहुंचने में करीब ढाई से तीन घंटे लग रहे हैं। रात के अंधेरे में ये परीक्षार्थी मोबाइल की रोशनी का सहारा लेने के लिए मजबूर हैं। छात्रों का कहना है कि रात में इतनी लंबी दूरी से तय करने में उन्हें डर तो लगता है ही, थकान भी खूब होती है। शारीरिक और मानसिक परेशानी के अलावा अगली परीक्षा की तैयारी में भी कम समय मिलता है। छात्र छात्राओं का कहना है कि उनके कॉलेज में परीक्षा केंद्र नहीं होने से उन्हें बहुत दिक्कत हो रही है। देर से पेपर होने से अंधेरा हो रहा है। इस कारण परेशानी बढ़ रही है। हालांकि बेहतर भविष्य के लिए हमें यह मुश्किलें तो पार करनी ही पड़ेंगी। परीक्षा देने के बाद घर पहुंचने में काफी देर हो जाती है। रात में डर तो लगता ही है, परीक्षा के बाद इतना चलकर शारीरिक और मानसिक रूप से थक जाते हैं। इंटर के प्रश्नपत्रों का समय दो बजे के बजाय 12 बजे से होना चाहिए था।

रमक को बोर्ड परीक्षा केंद्र बनाने के लिए प्रयास किया गया था, लेकिन 75 से कम परीक्षार्थी होने से यह प्रस्ताव मंजूर नहीं हुआ। रमक जीआईसी के अभ्यर्थियों को लंबी दूरी तय करने के साथ रात में घर पहुंचने से कई तरह की दुश्वारी भी झेलनी पड़ रही हैं। शमशाद अली, प्रधानाचार्य, जीआईसी, रमक
