उत्तराखंड # खेल विभाग ने कर दिया खेला, दबा ली अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी की ईनाम की रकम, हाईकोर्ट की फटकार के बाद सौंपा चेक

उत्तराखंड में खेल विभाग ने एक खिलाड़ी की ईनामी राशि पर ‘खेला’ कर दिया। खिल़ाड़ी को घोषित ईनामी राशि का आधा ही दिया गया। बार बार अनुरोध किए जाने के बाद भी जब खेल विभाग ने बकाया राशि नहीं दी तो खिलाड़ी को हाईकोर्ट की शरण लेनी पड़ी। हाईकोर्ट की फटकार के बाद खेल विभाग के अफसर हरकत में आए और खिलाड़ी को उसकी शेष बची राशि का चेक दिया। इस मामले से इतना तो स्पष्ट हो गया है कि भले ही सरकार खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की बात करती हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उत्तराखंड का एक खिलाड़ी भारत के लिए सोना जीतकर लाया था और उत्तराखंड सरकार की ओर से उसको पुरस्कार स्परूप साढ़े ग्यारह लाख देने की घोषणा की गई, मगर राज्य के खेल विभाग ने केवल साढ़े 5 लाख रुपए ही खिलाड़ी को दिए और बाकी की इनाम राशि अपनी जेब के अंदर दबा ली। यह सोच कर कि इस बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं लगेगा। मामला सामने आने के बाद हाई कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई। पीड़ित खिलाड़ी ने अपने साथ हुए इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का निर्णय लिया और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और हाईकोर्ट ने सरकार को जमकर फटकार लगाई जिसके बाद सरकार ने बाकी के बचे हुई इनाम राशि उनको सौंपी। दरअसल राज्य के अंतरराष्ट्रीय वॉक रेसिंग चैंपियन गुरमीत सिंह ने 2016 में जापान की 20 किलोमीटर वॉक रेस में गोल्ड मेडल अर्जित किया था और इसी के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर की कई स्पर्धाओं में देश का नाम रोशन करने वाले इस खिलाड़ी को सरकार ने साढ़े ग्यारह लाख की बजाए आधी ही रकम पुरस्कार के रूप में दी। जिसके बाद हार कर इंटरनेशनल धावक गुरमीत सिंह ने अपने अधिकार के लिए हाईकोर्ट में शरण ली। तब जाकर सरकार ने उनको बाकी के साढ़े 5 लाख की पुरस्कार राशि सौंपी। इस दौरान कोर्ट ने खेल विभाग के उपनिदेशक को फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर इंटरनेशनल लेवल के खिलाड़ियों के साथ ऐसा व्यवहार कैसे किया जा सकता है। कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए कहा कि अगर वह अपने जिम्मेदारियों का पालन नहीं कर सकते तो सजा भुगतने के लिए तैयार रहें। हाईकोर्ट ने जॉइंट डायरेक्टर को कोर्ट में पेश होने को कहा और सुनवाई के दौरान कोर्ट ने विभाग को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट केस के बाद के बाद खेल विभाग ने धावक गुरमीत को बाकी बची हुई पुरस्कार राशि का चेक सौंपा।


