लोहाघाट : एक शताब्दी के घटनाक्रम के गवाह बने आजीवन निरोगी शिक्षक मोती सिंह मेहता, परिजनों व ग्रामीणों ने धूमधाम से मनाया सौवां जन्मदिन

सौवें वर्ष में प्रवेश दिन पर रेगड़ू के चाक मेहता गांव में उनका आशीर्वाद लेने पहुंचे सैकड़ो लोग

लोहाघाट/चम्पावत। कलयुग में किसी भी व्यक्ति के लिए उम्र का एक शताब्दी का पड़ाव किसी चमत्कार से कम नहीं होता है। इस दौरान बहुत कुछ बदला, मनुष्य की प्रवृत्ति, कार्य संस्कृति, आचार-विचार एवं संस्कार के साथ प्रकृति ने भी अपना मिजाज बदला, लेकिन नहीं बदला तो नौ गांव रेगड़ू क्षेत्र के चाक मेहता गांव के सर्वोदय विचारों के शिक्षक मोती सिंह मेहता का कार्य व्यवहार। जीवन के 100 बसंत देख चुके श्री मेहता को ईश्वर ने ऐसी आरोग्य प्रदान किया है कि इस उम्र में भी वह रोज 5 किलोमीटर पैदल चलते हैं। इनकी लाइफ स्टाइल, चट्टानी इरादे, संकल्प शक्ति एवं जीवन का अनुशासन आज देखकर हर व्यक्ति दांतों तले अगली दबाने लगता है।
16 मार्च 1926 को जन्मे श्री मेहता 2 मई 1944 को प्रा0वि0 कर्णकरायत से शिक्षक के रूप में कार्य शुरू करते हुए शिक्षा जगत से जुड़े। इसके बाद उन्होंने चमदेवल, खेतीखान, दूबड़ मंच, सैंदर्क, जू0हा0 चम्पावत, कोठेरा, सील ब्यरुडी, चौमेल, विविल, खतेड़ा, बापरू में सेवा दी। वे जानकीधार स्कूल से 30 जून 1988 को सेवानिवृत्त हुए। 44 वर्ष की उत्कृष्ट सेवा के बाद वह सरकारी सेवा से भले ही रिटायर हो गए, वे हमेशा समाजसेवा से जुड़े रहे। ग्रामवासियों को उनके रिटायर होने का इंतजार था। क्योंकि उसी वक्त पंचायती चुनाव होने थे। इस पर ग्रामीणों ने उन्हें ग्राम प्रधान चुना। उन्होंने भी ईमानदारी व कर्मठता से लोगों की सेवा की। आज भी इनके द्वारा ईमानदारी से कराए कार्य इनकी यादों को तरोताजा किए हैं।



अब स्वच्छंद रूप से सामाजिक कार्यों में जुट गए श्री मेहता ऐसे शिक्षक थे, जिन्होंने जीवनभर बच्चों के लिए कभी अवकाश नहीं लिया। उनका सोचना था कि यदि मैं स्कूल नहीं जाऊंगा तो मेरे बच्चों का जीवन का एक दिन बर्बाद हो जाएगा। उनके पढ़ाए बच्चे कई जो वृद्ध हैं, वह आज भी इनके बारे में तारीफ करते हैं। पर्यावरण संरक्षण के लिए वन पंचायत का गठन तथा लोगों को धर्म कर्म संस्कृति के साथ आगे बढ़ाने के लिए गांव में श्री रामलीला कमेटी का गठन, ग्राम विकास समिति मालगुजारी का कार्य के अलावा लोगों को संगठित कर उन्हें रचनात्मक एवं सृजनात्मक कार्य के लिए तैयार किया। उनके प्रयासों से गांव में श्रम शक्ति का पुनर्जागरण कर श्रमदान की परंपरा प्रवृत्ति को पंख लगे।
प्रकृति से आत्मसात करने से मिला दीर्घ जीवन
शिक्षक मेहता का कहना है कि प्रकृति से आत्मसात करने, मन वचन व कर्म से दूसरों का भला करने की सोच, जीवन में हर क्षेत्र में अनुशासन संकल्प शक्ति के साथ, जीवन का लक्ष्य तय करने से मनुष्य ठीक उसी प्रकार अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है जिस प्रकार पहाड़ों से निकलने वाली नदी यह किसी से नहीं पूछती की समुद्र कहां है। इसी प्रकार बच्चों को अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित कर उसे आगे बढ़ना चाहिए।
शिष्य को ऊंचे मुकाम में देखकर गुरु जी की बड़ी उम्र।
श्री मेहता की जीवन की खुशी उस समय बढ़ गई जब उन्होंने अपने शिष्य डॉक्टर रंजीत सिंह मेहता को पीएचडी चेंबर एस ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के महासचिव एवं सीईओ जैसे ऊंचे मुकाम पर पहुंचते देखा। इसके अलावा उनके शिष्यों की चौथी पीढ़ी भी कई क्षेत्रों में ऊंची उड़ान भर रही है।
शताब्दी वर्ष में प्रवेश पर गांव में बड़ा समारोह।
रेगड़ू के चाक मेहता गांव में श्री मेहता के आवास में उनके पुत्र पूर्व सैन्य कर्मी आनंद सिंह मेहता एवं शिक्षक लक्ष्मण सिंह मेहता ने अपने पिता के शताब्दी वर्ष में प्रवेश करने पर बहुत बड़ा सहभोज कार्यक्रम आयोजित किया। जिसमें हर वर्ग उम्र के लोगों ने अपनी भागीदारी कर श्री मेहता का फूल मालाओं से स्वागत कर आशीर्वाद प्राप्त किया तथा उनके दीर्घ जीवन की कामना की। शिक्षाविद वासुदेव ओली, गोविंद मेहता, बैंक कर्मी प्रकाश करायत, मोहन ढेक समेत तमाम लोगों ने श्री मेहता के दोनों पुत्रों को, पारिवारिक जनों को विशेष रूप से बधाई दी कि जिन्होंने बुजुर्गों को सम्मान देने की महान परंपरा शुरू कर नई पीढ़ी को नई सोच व प्रेरणा दी है।
