नहीं रहे प्रमुख राज्य आंदोलनकारी एवं शिक्षक गणेश पुनेठा
अनेक राजनैतिक, सामाजिक शैक्षिक एवं राजनीतिक संगठनों ने जताया शोक
लोहाघाट/चम्पावत। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के शीर्ष पंक्ति के नेता, शिक्षक, पर्यावरणविद एवं प्रमुख समाजसेवी गणेश पुनेठा का निधन हो गया है। बुधवार की दोपहर बाद उनको लोगों ने लोहाघाट से घर जाते हुए देखा था कि अचानक उनका हृदय गति रुकने घर में निधन हो गया। श्री पुनेठा उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रथम पंक्ति के नेताओं में शामिल थे तथा उन्होंने अपने ओजस्वी भाषणों से राज्य आंदोलन की धार तेज की थी। उसके बाद वह लोहाघाट के राजकीय कन्या इंटरमीडिएट कॉलेज में प्रवक्ता पद पर नियुक्त हो गए तथा कुछ माहपूर्ण ही वह यहां से सेवानिवृत हुए थे। इसके बाद से वह सामाजिक कार्यों में जुट गए थे।

श्री पुनेठा के निधन का समाचार मिलते ही लोगों का रुख उनके भुमलाई स्थित आवास की ओर होने लगा। 61 वर्षीय श्री पुनेठा प्रखर वक्ता एवं उनमें समाज को बदलने की धुन सवार रहती थी। उनके निधन पर यहां के सामाजिक, राजनीतिक, शैक्षिक संगठनों ने शोक व्यक्त किया है। उनके राज्य आंदोलन के साथी एडवोकेट नवीन मुरारी, केडी सुतेडी़, बृजेश माहरा, दीपक मुरारी, हरीश कलखुड़िया, राजू गड़कोटी आदि का कहना था कि अभी भी वे अपने नेता नाथ लाल साह के निधन का सदमा भुले भी नहीं थे कि उन्हें इस घटना से तगड़ा आघात लगा है।
चम्पावत। राज्य आंदोलन में सक्रीय रहे और सेवानिवृत्ति शिक्षक गणेश पुनेठा के निधन पर जिला मुख्यालय में राज्य आंदोलन से जुड़े लोगों ने गहरे शोक इजहार किया है। जिला आंदोलनकारी संगठन के जिलाध्यक्ष बसंत तड़ागी ने कहा कि राज्य निर्माण के आंदोलन में उनकी सक्रीय भूमिका रही। उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। शोक जताने वालों वंचित राज्य आंदोलनकारी संगठन के जिलाध्यक्ष दिनेश पांडेय, बहादुर फर्त्याल, मोहन चौधरी, पुष्कर चौधरी, डीके पांडेय, खीमानंद पांडेय, मंदीप ढेक, सुनील गड़कोटी सहित तमाम लोग शामिल रहे।
