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अल्मोड़ा के जयमित्र के फोटोग्राफ्स से सजी है मानसखंड भारत गौरव ट्रेन, उत्तराखंडी संस्कृति की दिखी झलक

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महाराष्ट्र के पुणे से शुरू हुई मानसखंड भारत गौरव ट्रेन को उत्तराखंड की संस्कृति के ओत-प्रोत चित्रों से सजाया गया है। इस ट्रेन के पहले कोचों में कुमाऊं संस्कृति की फोटो को लगाया गया है। इन फोटोग्राफ्स को पहले कोचों में प्रदर्शित करने का उद्देश्य कुमाऊं की संस्कृति को दुनिया के सामने लाना है। इन बेहतरीन फोटोग्राफ्स लेने का कार्य प्रसिद्ध फोटोग्राफर जयमित्र बिष्ट ने किया है।

उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद और भारतीय रेलवे के संयुक्त प्रयास से मानसखंड भारत गौरव ट्रेन 280 पर्यटकों को लेकर गुरुवार को कुमाऊं के टनकपुर पहुंची। मानसखंड भारत गौरव ट्रेन से आए महाराष्ट्र प्रदेश के तीर्थयात्रियों को टनकपुर से पर्यटक बसों के माध्यम से पर्यटन विभाग उत्तराखंड कुमाऊं के उन खूबसूरत प्राकृतिक और धार्मिक स्थलों से रूबरू करा रहा है, जहां पर सामान्य रूप से पर्यटक नहीं पहुंच पाते हैं। पुणे से टनकपुर तक आई मानसखंड भारत गौरव एक्सप्रेस ट्रेन के सारे कोचों को कुमाऊं (मानसखं) के चित्रों से सजाया गया है। जिससे पर्यटक और लोग कुमाऊं की संस्कृति और स्थलों से अवगत हो सकें। यात्री आगे की यात्रा गाड़ियों से करेंगे।

कुमाऊं मानसखंड के अल्मोड़ा निवासी प्रसिद्ध फोटोग्राफर जयमित्र बिष्ट पिछले 25 वर्षों से उत्तराखंड के मानसखंड (कुमाऊं) की संस्कृति, लोक जीवन, लोक पर्व और हिमालय के सुंदर दृश्य को अपनी फोटोग्राफी के माध्यम से सजोने का काम कर रहे हैं। उनके कुछ बेहतरीन फोटोग्राफ्स को मानसखंड एक्सप्रेस ट्रेन के सबसे पहले कोच में प्रदर्शित किया गया है। फोटोग्राफर जयमित्र बिष्ट ने कहा कि इस अनूठी ट्रेन को अनूठा बनाने में उनके फोटोग्राफ्स को चुना जाना बहुत खुशी की बात है। वह आगे भी उत्तराखंड की संस्कृति और विरासत को अपने फोटोग्राफ्स के माध्यम से संरक्षित करने का प्रयास करते रहेंगे। बताया कि इन फोटोग्राफ्स में अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ के छोलिया नर्तकों की फोटो के साथ-साथ अल्मोड़ा के सबसे अधिक ऊंचाई पर स्थित पिन्नाकेश्वर महादेव मंदिर, द्वाराहट के प्रसिद्ध दूनागिरी मंदिर, योगदा आश्रम, अल्मोड़ा के मल्ला महल में झोड़ा नृत्य करती कुमाऊंनी परिवेश में महिलाओं के चित्र शामिल हैं। रंगवाली पिछौड़ा पहने हुए स्वागत करती जीजीआईसी स्कूल अल्मोड़ा की छात्राएं, बागेश्वर उत्तरायणी के छोलिया नर्तकों, मुन्स्यारी की जोहारी महिला, पिथौरागढ़ के बजेठी की हिल जात्रा में हुड़का और मशकबीन बजाते लोक कलाकारों के साथ-साथ पिथौरागढ़ के सुदूर चौंदास घाटी में हर बारह साल में होने वाले कंडाली महोत्सव की रंग किशोरी के फोटोग्राफ्स शामिल हैं।