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मौत के दो साल बाद राज्य आंदोलनकारी जेपी पांडेय कोर्ट से बरी, अब कांग्रेस नेता की पुलिस के खिलाफ कार्रवाई की मांग

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करीब ग्यारह साल पहले राज्य आंदोलनकारी व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता जेपी पांडेय सहित चार लोगों के खिलाफ दर्ज कराए गए ब्लैकमेलिंग सहित संबंधित धाराओं के मामले में कोर्ट ने चारों को बरी कर दिया है। कोर्ट में झूठी गवाही व साक्ष्य देने के आरोप में वादी सहित छह लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। विवेचना पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने दरोगा गणेश बौठियाल पर कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी और एसएसपी को भी पत्र भेजा है। मामला हरिद्वार का है। अब इस मामले को कांग्रेस ने भी मुद्दा बना लिया है और पुलिस के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
ज्वालापुर मैदानियान निवासी इलियास खान ने करीब 11 वर्ष पहले दिवंगत कांग्रेसी नेता जेपी पांडेय और फरमान, नदीम, अफजल अल्वी के खिलाफ ब्लैकमेलिंग, धमकी देने जैसे गंभीर आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज कराया था। मुकदमे में नामजद जेपी पांडेय की करीब दो साल पहले ही सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। इस मामले में कोर्ट में जब गवाही हुई तो वादी पक्ष व अन्य गवाह गवाही में पलट गए। इस मामले में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मुकेश चंद्र आर्य ने फैसला सुनाते हुए जेपी पांडेय, फरमान, नदीम और अफजल अल्वी को बरी कर दिया। झूठी गवाही व साक्ष्य देने के आरोप में वादी इलियास खान व उसके पुत्र आशु, कुरबान, सुलेमान, गुलशन और राजेश के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए हैं। साथ ही मामले की जांच करने वाले दरोगा के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई के लिए आदेश दिए। उधर, उत्तराखंड कांग्रेस के उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से इस मामले में गलत विवेचना करने वाले दरोगा गणेश बौठियाल को उनकी नौकरी से तत्काल बर्खास्त किए जाने और उन्हें जेल भेजने की मांग की है।एधीरेंद्र प्रताप ने कहा है कि स्वर्गीय जेपी पांडे क्योंकि समाज के तमाम हिस्सों में भ्रष्टाचार के विरुद्ध आवाज उठाते रहते थे। यही कारण था कि पुलिस दरोगा गणेश बौठियाल ने स्वर्गीय जेपी पांडे को 11 साल पहले एक झूठे मामले में फंसा दिया था। इसमें उन्हें कई दिनों तक हरिद्वार जेल में उत्पीड़न भी सहना पड़ा था और कांग्रेस पार्टी ने भी जेपी पांडे को बजाय उनके मदद करने से किनारा करके उन्हें भगवान के भरोसे छोड़ दिया था। धीरेंद्र प्रताप ने बताया उस दौरान वे अकेले कांग्रेस के ऐसे नेता थे, जो हरिद्वार जेल में उन्हें मिलने गए व उनकी लगातार मदद की।
धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि जिस तरह से अब हरिद्वार के विद्वान न्यायाधीश ने फैसला दिया है उससे स्पष्ट हो गया है कि स्वर्गीय जेपी पांडे बेदाग नेता थे और सामाजिक जीवन में सच्चे मुद्दों को लेकर लड़ने वाले नेताओं को किस तरह का उत्पीड़न झेलना पड़ता है यह घटना इसका जीता जागता प्रमाण थी। प्रताप ने इस मामले में अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की है कि वे इस मामले में तत्काल व्यक्तिगत हस्तक्षेप कर उक्त भ्रष्ट दरोगा को तत्काल पुलिस सेवा से बर्खास्त कर जेल भेजने का मार्ग प्रशस्त करें। साथ ही लोग भी जो दोषी हैं, उन्हें सजा मिलनी चाहिए।

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