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नैनीताल का मेट्रोपोल होटल : कभी देश के सबसे आलीशान होटलों में था सुमार, अब हो चुका है जमींदोज, जानें होटल के शत्रु संपत्ति होने की दास्तान

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नैनीताल। कभी देश के आलीशान होटलों में सुमार नगर का मेट्रोपोल होटल (शत्रु संपत्ति) लंबे समय से अतिक्रमण के वाद-प्रतिवाद और कब्जा खाली कराए जाने को लेकर चर्चा के केंद्र में है। हालांकि कब्जा इसकी मुख्य इमारत में नहीं है, वह तो खंडहर हो चुकी है, लेकिन नैनीताल में बसासत के शुरुआती दशकों से लेकर एक सदी तक मेट्रोपोल होटल देश के सबसे आलीशान होटलों में शुमार किया जाता था।

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बड़े बड़े दिग्गज नेता, नामी फिल्मी कलाकार और धनाढ्य वर्ग के लोग तक यहां ठहरने में गर्व महसूस करते थे। नैनीताल में होने वाली फिल्मों की शूटिंग के मुख्य कलाकार यहीं ठहराए जाते थे। पाकिस्तान के जनक मुहम्मद अली जिन्ना ने अपनी दूसरी पत्नी रतनबाई उर्फ रूटी के साथ अपना हनीमून इसी होटल में मनाया था। स्टेनले वाल्पार्ट की ओर से लिखित जिन्ना की बायोग्राफी में इसका उल्लेख भी है। वर्ष 1880 में यह होटल लगभग आठ एकड़ भूमि पर बना था। उस दौर में इसमें 16 प्रथक कॉटेज, छह दर्जन से ज्यादा कमरे थे। इसके विशाल परिसर में गार्डन, क्यारियां और पांच टेनिस लॉन थे।

देश की आजादी के समय इस होटल के मालिक राजा महमूदाबाद सर मोहम्मद अली मोहम्मद खान थे, जो विभाजन के बाद ईरान चले गए और होटल अपने परिचितों को चलाने के लिए दे गए। बाद में 1957 में उन्होंने पाकिस्तान की नागरिकता ले ली। शत्रु संपत्ति अधिनियम लागू होने के बाद यह भी इसके दायरे में आ गया। दशकों तक इसके मालिकाना हक को लेकर राजा महमूदाबाद के वारिसों ने कानूनी लड़ाई भी लड़ी। बीते वर्षों में शत्रु संपत्ति अधिनियम में संशोधन के बाद इसके कस्टोडियन का प्रभार सरकार को मिल गया।

होटल की छत से मिला नैनीताल पैटर्न नाम
नैनीताल। मेट्रोपोल होटल की टीन की छत एक खास और तब तक अप्रचलित नए डिजाइन से बनाई गई थी। बाद में यह शैली नैनीताल पैटर्न रूफ के नाम से प्रसिद्ध हुई और देश के विभिन्न हिल स्टेशनों में तत्कालीन ब्रिटिशकालीन भवनों में इस पैटर्न का प्रयोग किया गया।

मेट्रोपोल में सांस्कृत्यायन ने लिखा था कुमाऊं गढ़वाल का इतिहास
नैनीताल। बीते कुछ साल में जीर्णशीर्ण होकर खुद इतिहास बन गए मेट्रोपोल होटल का अपना इतिहास तो गौरवशाली है। कभी इसी होटल में कुछ समय रहकर महान घुमक्कड़ रहे साहित्यकार और इतिहासकार राहुल सांस्कृत्यायन ने कुमाऊं-गढ़वाल के इतिहास का कुछ भाग लिखा था। बाद में उन्होंने लंबे समय तक यहां ओक लॉज में रहकर भी लेखन किया। उन्होंने यहां रहते हुए हिमालय समाज, संस्कृति, इतिहास और पर्यावरण पर भी अनेक लेख लिखे। दरअसल, प्रसिद्ध लेखक डॉ. सत्यकेतु विद्यालंकार ने कुछ समय तक इस होटल का संचालन किया था। विद्यालंकार, राहुल सांस्कृत्यायन के मित्र थे। उनके आमंत्रण पर राहुल सांस्कृत्यायन यहां आकर होटल में रहे फिर यहीं ओक लॉज में भवन किराए पर लेकर कुछ समय तक रहे।

उत्तराधिकारियों के नाम न हो सकी शत्रु संपत्ति
नैनीताल। लगभग छह साल पहले केंद्र सरकार की ओर से शत्रु संपत्ति संशोधन विधेयक को मंजूरी दिए जाने के बाद नैनीताल स्थित राजा महमूदाबाद की करोड़ों रुपये मूल्य की शत्रु संपत्ति पूरी तरह सरकार के अधीन हो गई थी। राजा के परिजनों के लाख प्रयास के बाद भी यह संपत्ति उनके वारिसान के पक्ष में हस्तांतरित नहीं हुई। तब से जिलाधिकारी इस शत्रु संपत्ति के कस्टोडियन हैं। इस संपत्ति पर लोग काबिज हो गए।
इतिहासकार प्रो. अजय रावत के मुताबिक, पूर्व अवध रियासत के सबसे बड़े जमींदार राजा महमूदाबाद ने आजादी के बाद पाकिस्तान की नागरिकता ले ली थी। लिहाजा सरकार ने उनकी करोड़ों रुपये मूल्य की संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कर अपने कब्जे में ले लिया। उनके निधन के बाद उनके पुत्र अमीर मोहम्मद खान ने अपने पिता की संपत्ति को वापस लेने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी जिसके बाद न्यायालय ने देश के विभिन्न हिस्सों में उन्हें उनके पिता की संपत्तियों का उत्तराधिकारी घोषित कर दिया था लेकिन नैनीताल समेत कुछ स्थानों पर मौजूद शत्रु संपत्ति के मामले अलग-अलग न्यायालयों में विचाराधीन होने के कारण यह संपत्ति राजा के उत्तराधिकारियों के नाम नहीं हो सकी।
बताया जाता है कि वर्ष 2002 में उत्तर प्रदेश स्थित शत्रु संपत्तियों का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। जहां से वर्ष 2004 में न्यायालय ने वादी अमीर मोहम्मद खान के पक्ष में फैसला दिया, लेकिन तब प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की। वर्ष 2010 में सरकार ने शत्रु संपत्ति पर कब्जा बरकरार रखने के लिए एक अध्यादेश जारी किया। तब केंद्र सरकार ने अध्यादेश को कानून में बदलने के लिए शत्रु संपत्ति विधेयक को संसद में पारित कराने के प्रयास किए, लेकिन तब कुछ पार्टियों के विरोध के चलते विधेयक पारित नहीं हो सका।
10 मार्च 2017 को शत्रु संपत्ति संशोधन एवं मान्यकरण विधेयक राज्यसभा में पारित हुआ था जिसे बाद में लोकसभा ने भी पारित कर दिया। तभी से शत्रु संपत्ति के सभी अधिकार कस्टोडियन के अधीन हो गए। इसी के बाद से शत्रु संपत्ति के हस्तांतरण की प्रक्रिया पर रोक लग गई। नैनीताल में वर्ष 1870 में निर्मित मेट्रोपोल होटल व इस परिसर में स्थित कई मकान व इससे लगी भूमि शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज है। वर्तमान में मेट्रोपोल परिसर में जिला प्रशासन की ओर से पार्किंग की व्यवस्था की गई है। डीएम इसके कस्टोडियन हैं।

यह है शत्रु संपत्ति
भारत-पाक और भारत-चीन युद्ध के बाद भारत में रहने वाले जो नागरिक चीन या पाकिस्तान में जाकर बस गए और बाद के वर्षों में उन्हें उसी देश की नागरिकता मिल गई ऐसे लोगों की संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित कर दिया गया। इसका स्वामित्व अब सरकार के पास है।

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