उधमसिंह नगरक्राइमनवीनतम

चार दिन बाद मिला नीरज का शव, घरवाले कोतवाली-चौकी भी गए, नहीं लिखी गई रिपोर्ट

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हल्द्वानी। सिडकुल स्थित बजाज फैक्टरी के कर्मी नीरज पंत के 28 अक्तूबर को लापता होने के बाद परिवार वाले उनकी तलाश में जुटे हुए थे। परिजनों के मुताबिक वे रुद्रपुर कोतवाली और सिडकुल चौकी के चक्कर काटते रहे, मगर पुलिस ने नहीं सुनी। न ही उनकी गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखी। अब मिला तो सिर्फ नीरज का शव।

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देवलचौड़ निवासी नीरज वर्ष 2011 से सिडकुल में नौकरी कर रहे थे। वह रोजाना वहां जाते थे। मगर 28 अक्तूबर को घर से जाने के बाद वह घर नहीं लौटे। किसी ने उनकी हत्या कर दी। बृहस्पतिवार शाम को उनका शव हल्द्वानी पहुंचा। नीरज के परिजनों ने बताया कि घर न लौटने पर अगले दिन वे लोग सिडकुल भी गए और उनकी तलाश की। कोतवाली भी गए और चौकी भी, मगर पुलिस ने रिपोर्ट नहीं लिखी। परिजनों ने बताया कि नीरज की किसी से दुश्मनी नहीं थी। बोले, पता नहीं किसने और क्यों हत्या कर दी। नीरज के पिता ने कहा, अब हत्यारों को सजा से ही नीरज की आत्मा को शांति मिलेगी, हम केवल यही इंसाफ चाहते हैं।

नीरज की हत्या से परिवार सदमे में है। वहीं पिता को घर में कई दिन से न देख करीब दो साल का बेटा देवांश सबसे ज्यादा परेशान है। वह घर की गली में कोई वाहन आने पर यही सोचता है कि पिता आ गए। दौड़कर बाहर जाता है और आवाज लगाता है। यही कारण रहा कि शव यहां पहुंचने से पहले ही देवांश को पड़ोस के एक घर में ले जाया गया। पड़ोसियों की मदद से परिजनों ने देवांश को पिता के शव के पास नहीं आने दिया। परिजन अंतिम संस्कार के बाद ही देवांश को अपने घर में लाए। परिजन झूठी मुस्कान के साथ बच्चे को खुश रहने की कोशिश कर रहे हैं।देवांश का पांच नवंबर को दूसरा जन्मदिन है। भाई हिमांशु पंत ने बताया कि उनके भाई ने अपने बेटे का जन्मदिन पैतृक गांव बेरीनाग में मनाने के लिए एक सप्ताह की छुट्टी मंजूर कराई थी। इससे पहले ही नीरज की हत्या हो गई।

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