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नाइट क्लब अग्निकांड: सुरेंद्र की मौत पर पत्नी को नहीं हो रहा यकीन, खटीमा में बन रहा था घर

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गोवा के नाइट क्लब अग्निकांड में पिथौरागढ़ के जमराड़ी गांव के रहने वाले सुरेंद्र सिंह की भी हो गई थी मौत

पिथौरागढ़। 6 दिसंबर शनिवार रात को गोवा के एक नाइट क्लब में भीषण अग्निकांड में पिथौरागढ़ के जमराड़ी गांव के रहने वाले सुरेंद्र सिंह (उम्र 28) की भी मौत हो गई। सुरेंद्र की मौत की सूचना मिलते ही परिजनों में कोहराम मचा है और क्षेत्र में शोक की लहर है। घटना के बाद परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है।

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गौर हो कि इस भीषण अग्निकांड से उत्तराखंड के एक और परिवार ने अपने लाल को खो दिया है। गोवा अग्निकांड में कुल 25 लोगों की मौत हुई, जिसमें 9 लोग उत्तराखंड के हैं। जानकारी के अनुसार पिथौरागढ़ के जमराड़ी गांव निवासी सुरेंद्र सिंह (उम्र 38 वर्ष) पुत्र अमर सिंह बीते एक माह से गोवा में काम कर रहा था। मृतक चार भाइयों में तीसरे नंबर का था। बताया कि मृतक सुरेंद्र की पत्नी खटीमा में रहती है। गोवा में पोस्टमार्टम की कार्रवाई के बाद सुरेंद्र के शव के गांव जल्द पहुंचने की संभावना जताई जा रही है। सुरेंद्र की मौत की खबर के बाद परिजनों में कोहराम मचा हुआ है।

सुरेंद्र सिंह बेंगलुरु से नौकरी करने गोवा पहुंचा था। जर्मनी में काम कर चुके सुरेंद्र दोबारा विदेश जाने के प्रयास में लगा था। सुरेंद्र सिंह खटीमा में नया घर भी बना रहा था, लेकिन आग की विभीषिका ने उसकी जिंदगी और परिवार के सपनों को राख कर दिया। पिथौरागढ़ नगर से लगे गुरना क्षेत्र के जमराड़ी सिमली गांव के रहने वाला सुरेंद्र लंबे समय से होटल सेक्टर से जुड़ा था।

सुरेन्द्र के पिता अमर सिंह ने बताया कि सुरेंद्र ने अपनी होटल की शुरुआत बेंगलुरु से की। पेशे से कुक सुरेंद्र अपनी मेहनत की बदौलत जर्मनी तक पहुंचा, चार साल तक विदेश में काम करने के बाद वह घर लौटा था। करीब पांच माह घर पर रुकने और फिर जर्मनी जाने के प्रयास में लग रहा। इसके लिए उसने वीजा के लिए आवेदन भी किया था, लेकिन दस्तावेजों में समस्या के कारण उसका आवेदन रिजेक्ट हो गया। उसने दस्तावेज दुरुस्त कर फिर वीजा के लिए आवेदन किया था, जिसमें समय लग रहा था।

गांव और आसपास के शहरों में रोजगार और उसकी योग्यता के अनुसार वेतन नहीं मिल रहा था। ऐसे में उसने बड़े शहरों का रुख करना पड़ा। पिता बताया कि बेंगलुरु के एक होटल में प्रतिमाह 50 हजार वेतन पर काम करने की बात हुई तो सुरेंद्र चला गया, लेकिन होटल से सुरेंद्र को 40 हजार ही वेतन मिला। गोवा हादसे ने एक हंसते खेलते परिवार का चिराग बुझा दिया।

मनीषा यकीन नहीं कर पा रही है कि अब पति सुरेंद्र इस दुनिया में नहीं रहे। दोनों ने मिलकर शहर में नए आशियाने का सपना साथ देखा था। दोनों खटीमा के महोलिया में घर बना रहे थे। सुरेंद्र के पिता अमर सिंह ने बताया कि करीब एक साल से भवन निर्माण का कार्य चल रहा है। वर्तमान में भी निर्माण कार्य पूरा नहीं हुआ है। मनीषा खटीमा में निर्माणाधीन मकान का काम देख रही थी। उधर मनीषा मोबाइल लेकर दिनभर पति के कॉल का इंतजार करती रही, लेकिन कॉल नहीं आया। वह खुद भी सुरेंद्र का नंबर मिलाती रही, संपर्क नहीं हुआ।

गोवा के नाइट क्लब में हादसा शनिवार रात हुआ, लेकिन यहां सुरेंद्र के परिजन घंटों बाद भी घटना से अंजान रहे। गोवा हादसे में सुरेंद्र की मौत की सूचना के बाद उनके पैतृक गांव जमराड़ी सिमली में शोक की लहर है। सामाजिक कार्यकर्ता ललित महर ने बताया कि सुरेंद्र का करीब तीन साल पहले ही मनीषा से विवाह हुआ था। उनकी कोई संतान नहीं है। सुरेंद्र चारों भाइयों में तीसरे नंबर का था। दो भाई टैक्सी संचालन का कार्य करते हैं। सुरेन्द्र के निधन पर विधायक मयूख महर, विधायक डीडीहाट बिशन सिंह चुफाल, जिला पंचायत अध्यक्ष जितेंद्र प्रसाद, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष दीपिका बोहरा समेत आदि ने दुख जताया है।