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चम्पावत में अब पीपीपी मोड में बनेगी चाय फैक्टरी, स्वीकृति के पांच साल बाद भी शुरू नहीं हो सका काम

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चम्पावत। सेहत और स्वाद से भरपूर जैविक चाय के लिए चम्पावत के चाय बागान मशहूर हैं, लेकिन चाय के लिए विख्यात चम्पावत अपनी जमीन पर चाय की फैक्टरी के लिए तरस गया है। पांच साल पूर्व 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस फैक्टरी की घोषणा की थी। काम पूरा होना तो दूर, फैक्टरी का काम ही शुरू नहीं हो पाया है। इस फैक्टरी के लिए बजट नहीं मिला है। अब इसे सरकारी स्तर के बजाय सार्वजनिक सहभागिता भागीदारी (पीपीपी) मोड पर बनाया जाएगा। देहरादून में 13 जुलाई को प्रस्तावित टी बोर्ड की बैठक में निर्णय होने की संभावना है।
जिला उद्यान अधिकारी टीएन पांडेय ने बताया है कि चाय की फैक्टरी के लिए 13 नाली एक मुट्ठी जमीन का हस्तांतरण किया जा चुका है। सीएनडीएस से बनी कार्ययोजना उद्यान एवं रेशम अनुभाग को भेजी गई थी, लेकिन बजट न मिलने से काम शुरू नहीं हो सका। पिछले साल दौरे पर आए उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल ने भी चाय फैक्टरी के लिए जल्द बजट अवमुक्त कराने की बात कही थी, लेकिन मामला आगे नहीं बढ़ सका। कुछ समय पहले 2.34 करोड़ रुपये की लागत वाली इस फैक्टरी के लिए बजट का प्रावधान स्थानीय स्तर पर करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन अब इसे पीपीपी मोड पर बनाने की तैयारी की जा चुकी है।

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किराये के भवन में है चाय फैक्टरी
चम्पावत में 2013 में चाय फैक्टरी स्थापित की गई थी। तबसे यह फैक्टरी कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) की बंद हो चुकी रोजिन फैक्टरी में किराए पर संचालित है। इस फैक्टरी में एक साल में कुल एक लाख किलो चाय प्रोसेस हो सकती है। चाय विकास बोर्ड चम्पावत के प्रभारी डेसमंड बर्कबेक बताते हैं कि चम्पावत जिले में छीड़ापानी, सिलिंगटाक, च्यूराखर्क, मुड़ियानी, लमाई, चौकी, भगाना भंडारी, लधौन, मौराड़ी, नरसिंहडांडा, गड़कोट, चौड़ा, मझेड़ा, मंच, खूना, बलाई, डिंगडई, बापरू, कठनौली में कुल 247.50 हेक्टेयर क्षेत्रफल में चाय के बागान हैं। इनमें 51 हजार किलो चाय का उत्पादन होता है। इससे करीब 350 से ज्यादा महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। यहां की लंबी पत्ती वाली चाय कोलकाता चाय बोर्ड में नीलामी के लिए जाती है। यूएसए की यंग माउंटेन टी संस्था इसकी प्रमुख खरीदार है।

… लेकिन बढ़ रहा है टी टूरिज्म
देश, दुनिया में विख्यात चम्पावत की जैविक चाय सिर्फ स्वाद का ही अहसास नहीं करा रही है, बल्कि ये चाय के बागान पर्यटन का सशक्त जरिया बन रहा है। सैलानियों के आकर्षण को देखते हुए यहां चाय बागान में पर्यावरण के संरक्षण, व्यू प्वाइंट, योग, ध्यान का केंद्र बनाया जा रहा है। टी टूरिज्म बढ़ाने के लिए 1.05 करोड़ रुपये से सिलिंगटाक चाय बागान के 21 हेक्टेयर में से चार हेक्टेयर को विकसित किया जा रहा है। बागान के दीदार करने वाले सैलानियों को जैविक टी कैफे और टी बुटीक के जरिये स्थानीय चाय पिलाई जाएगी। इस केंद्र में हरियाली के बीच ध्यान और योग करने की सुविधा भी होगी।

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