रविवार को चीर बंधन से होगा खड़ी होली का श्रीगणेश, पहाड़ में 19 तो मैदान में 18 को छरड़ी
सात दिन रहती है पहाड़ में राग, फाग और रंग के पर्व होली की धूम
चम्पावत। राग, फाग और रंग के पर्व में खड़ी होली का आगाज रविवार को चीर बंधन के साथ होगा। इस बार पहाड़ में 19 और मैदान में 18 मार्च को छरड़ी मनाई जाएगी। जबकि दोनों जगह होलिका दहन 17 की रात में होगा। देश के साथ ही उत्तराखंड खासकर कुमाऊं अंचल की होली अपने में खास पहचान बनाए हुए है। राग, फाग और रंग के इस पर्व को लेकर यहां के लोग खासे उत्साहित रहते हैं। विशेषकर खड़ी होली के गायन की शैली तो गजब की है। ढोल, झांझन के थाप पर होलियारों की कदमों की लय और चाल इसे और मनोहारी बना देती है। पत्रकार दिनेश पांडेय बताते हैं कि इस दफा 14 मार्च एकादशी को भद्रा होने के कारण दशमी के दिन 13 मार्च रविवार को चीर बंधन और रंग छिड़कने के साथ पहाड़ में सात दिनी रंगीले पर्व की शुरुआत हो जाएगी और होलियार घर घर जाकर होली गायन करेंगे।
18 मार्च को पूर्णिमा दिन के 12: 44 तक ही होने के कारण 17 मार्च की रात को होलिका दहन होना है और इस रोज रात 1:06 तक भद्रा है। इस वजह से दहन भोर में 4 से 5 बजे तक उपयुक्त और शास्त्रसम्मत माना गया है। छरड़ी को लेकर इस बार फिर भ्रम की स्थिति है। मैदान में 18 को और पहाड़ में 19 को छरड़ी होगी। पहाड़ में 18 को अबम्ब यानि खाली दिन रहेगा। 20 को दंपत्ति टीका और चीर लूटने के साथ होली पर्व का विधिवत समापन किया जाएगा।
चीरबंधन और रंग पड़ना
13 मार्च रविवार को दिन में 11:51 से 12:38 तक शुभ महूर्त है। वैसे दिन में 10:22 के बाद सूर्यास्त से पहले तक चीर बंधन और रंग पड़ सकता है।
होलिका दहन
17 मार्च गुरुवार की भोर में 4:05 से 5:05 तक उपयुक्त।क्योंकि 17 को दिन में 1:28 से रात 1:06 तक भद्रा है इस कारण दहन इसके बाद ही होना है।
छरड़ी
18 मार्च शुक्रवार मैदान में।
19 मार्च शनिवार पहाड़ में।