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डिजिटल अरेस्ट कर नैनीताल के शख्स से ठगे एक करोड़ रुपये, झारखंड के रांची से बाप-बेटे गिफ्तार

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देहरादून। उत्तराखंड एसटीएफ की टीम ने एक करोड़ रुपये से ज्यादा की साइबर धोखाधड़ी करने वाले 2 आरोपियों को झारखंड के रांची से गिरफ्तार किया है। आरोपी बाप-बेटे हैं। जिन्हें देहरादून आकर कोर्ट में पेश किया गया। जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर न्यायिक अभिरक्षा रिमांड में भेज दिया गया है।

आरोपी मोबाइल नंबर को बंद किए जाने की बात कह कर टेलीकॉम डिपार्टमेंट का अधिकारी बनकर साइबर ठगी को अंजाम देते थे। साथ ही फर्जी ईडी, सीबीआई अधिकारी के आदेश पर मोबाइल नंबर होने की बात कहकर डिजिटली अरेस्ट करते थे, फिर धोखाधड़ी को अंजाम देते थे। इतना ही नहीं कुछ ही दिनों में ही करीब 1.02 करोड़ रुपये की राशि पीड़ित से ठग ली थी। आरोपियों की ओर से महिला और ग्रामीण विकास कल्याण समिति नाम की एनजीओ का करंट अकाउंट खुलवा कर ठगी की जा रही थी।

दरअसल, नैनीताल निवासी पीड़ित ने मार्च 2025 में साइबर क्राइम पुलिस थाने में एक शिकायत दर्ज कराई थी। जिसमें पीड़ित ने बताया था कि अज्ञात व्यक्तियों ने फर्जी टेलीकॉम अधिकारी बनकर ईडी और सीबीआई के आदेश पर मोबाइल नंबर बंद होने की बात कही। जिसके बाद उसे डिजिटली अरेस्ट कर किया गया। मात्र 10 दिनों में अलग-अलग खातों में उससे 1.02 करोड़ की धनराशि धोखाधड़ी से जमा करवा ली गई। इस शिकायत पर साइबर पुलिस ने सामने आए बैंक खातों और मोबाइल नंबरों का सत्यापन किया।जिसमें आरोपी अजय कुमार और सौरभ शेखर निवासी पटना (बिहार) को चिन्हित कर उनकी तलाश शुरू की गई।

एसटीएफ की टीम ने आरोपी की गिरफ्तारी के लिए बैंकिंग ट्रांजेक्शन, नेट और मोबाइल बैंकिंग की आईपी एड्रेस, मोबाइल नंबरों की सीडीआर, ईमेल आईडी, जीमेल आदि पर तकनीकी एवं मैनुअली कार्य किया। जिसके तहत झारखंड पुलिस की सहायता से रांची से दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद दानों को उत्तराखंड लाया गया, फिर कोर्ट में पेश कर अजय कुमार सिन्हा और उसके बेटे सौरभ शेखर को वापस न्यायिक हिरासत में केंद्रीय कारागार भेज दिया गया। जांच में पता चला है कि आरोपियों के खिलाफ रांची में भी इसी प्रकार से एक महिला को डिजिटल अरेस्ट कर 55 लाख रुपये की साइबर ठगी का मुकदमा दर्ज हुआ है।

आरोपियों की ओर से पीड़ितों को टेलीकॉम अथॉरिटी का अधिकारी बताकर उनके मोबाइल नंबर बंद होने संबंधी ईडी (प्रवर्तन निदेशालय), सीबीआई का आदेश होने की बात कहकर और आधार कार्ड से फर्जी खाता खुलने समेत ह्यूमन ट्रैफिकिंग की बात कहकर डिजिटली अरेस्ट कर लिया जाता था। जिसके बाद पीड़ित को बताया जाता था कि कोर्ट की ओर से उसके केस को ऑनलाइन सुने जाने की अनुमति मिली है। जिसके लिए पीड़ितों को व्हाट्सएप पर ही गाइडलाइन भी भेजी जाती थी और प्रोटोकॉल बनाए रखने के लिए बताया जाता था। पीड़ितों से डिजिटली अरेस्टिंग के दौरान आरोपी लगातार व्हाट्सएप के माध्यम से जुड़ा रहता था। जिसके लिए हर घंटे में पीड़ित की ओर से आरोपी को व्हाट्सएप के माध्यम से ही जानकारी भी प्रदान करनी होती थी। पीड़ित से धोखाधड़ी करने के बाद धनराशि को तत्काल ही अन्य खातों में ट्रांसफर कर दिया जाता था।

आरोपी अजय कुमार सिन्हा ने साइबर ठगी के लिए अपने बेटे सौरभ शेखर के साथ मिलकर महिला और ग्रामीण विकास कल्याण समिति के नाम से एनजीओ पटना बिहार में बनाया था। जिसका संचालन अजय कुमार का बेटा सौरभ करता था। आरोपियों ने बैंक खाते में करीब 14,51,000 रुपये साइबर ठगी से हासिल किए थे।

आरोपी ने साइबर अपराध के लिए जिस बैंक खातों का इस्तेमाल किया है, उसमें कुछ समय में ही करोड़ों रुपयों का लेन-देन हुआ है। साथ ही आरोपी के बैंक खाते के खिलाफ देश के अलग-अलग राज्यों में कुल 7 साइबर अपराधों की शिकायतें दर्ज हैं। जिसके संबंध में जानकारी के लिए अन्य राज्यों की पुलिस के साथ संपर्क किया जा रहा है।- नवनीत भुल्लर, एसएसपी एसटीएफ, उत्तराखंड

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