उत्तराखण्डनवीनतम

ऑपरेशन सिलक्यारा : ड्रिलिंग हुई शुरू, आज शाम तक बाहर आ सकते हैं मजदूर, भिजवाया गया नाश्ता

ख़बर शेयर करें -

सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को आज नाश्ते में दूध, ब्रेड और चने दिए गए। इससे पहले बृहस्पतिवार को नाश्ते में उपमा तथा लंच में दाल-भात खाया। एक विशेष टीम ने उन तक यह सब पहुंचाया। यह टीम सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों के साथ ही बचाव कार्य में लगे लोगों के भी खाने-पीने का भी ध्यान रखती है।

शाम तक मजदूरों के बाहर आने की उम्मीद
उत्तरकाशी सुरंग बचाव पर पीएमओ के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने कहा कि अभी स्थिति काफी ठीक है। कल रात हमें दो चीज़ों पर काम करना था। सबसे पहले, हमें मशीन के प्लेटफॉर्म का पुनर्गठन कर दिया और इसके बाद पाइप पर जो थोड़ा दबाव था उसे काटने का काम चल रहा है। ये पूरा हो जाने के बाद हमने ऑगर ड्रिलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पार्सन्स कंपनी ने ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार से जो अध्ययन किया है उसे हमें पता चला कि अगले 5 मीटर तक कोई धातु अवरोध नहीं है। इस हिसाब से अगर ड्रिल मशीन ठीक चली तो पाइप सुरंग में फंसे मजदूरों के बेहद करीब पहुंच जाएगा। शाम तक उनके बाहर आने की उम्मीद है।

चिकित्सका टीमों को अलर्ट मोड पर रखा गया
उत्तरकाशी के सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को निकाले जाने के बाद चिकित्सीय सुविधा देने के लिए एम्स ने भी पूरी तैयारियां की हैं। एम्स प्रशासन का कहना है कि यदि मजदूरों को एम्स भेजा गया तो उन्हें बेहतर चिकित्सीय सुविधा प्रदान की जाएगी।

आज उड़ीसा से रेक्स्यू सामान लेकर आएगी मालगाड़ी
उत्तरकाशी के सिलक्यारा में सुरंग में फंसे श्रमिकों को निकालने के लिए रेस्क्यू का सामान लेकर आज शुक्रवार को उड़ीसा से एक मालगाड़ी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पहुंचेगी। बुधवार को गुजराती के वापी से दो ड्रिलिंग मशीन को मंगाने के बाद एक मालगाड़ी ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पहुंची थी। यहां से चार ट्रकों से मशीन को उत्तरकाशी भेजा गया था। उड़ीसा से मालगाड़ी पहुंचने के बाद रेस्क्यू उपकरणों को उत्तरकाशी भेजा जाएगा। योगनगरी रेलवे स्टेशन के स्टेशन प्रबंधक जीएस परिहार ने बताया कि एक मालगाड़ी देर रात तक ऋषिकेश रेलवे स्टेशन पर पहुंचेगी।

केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री ने भी डाला डेरा
बृहस्पतिवार को बचाव अभियान का निरीक्षण करने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री जनरल (सेनि) वीके सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पहुंचे। निरीक्षण के बाद केंद्रीय मंत्री वीके सिंह जहां टनल से पहले बने कार्यालय में बैठ गए तो मुख्यमंत्री ने भी उत्तरकाशी के निकट स्थित मातली में डेरा डाल लिया। खबर लिखे जाने तक दोनों नेता मजदूरों के सकुशल बाहर आने का इंतजार कर रहे थे।

ड्रिलिंग के दौरान कंपन तेज होने से मशीन का बेस हिल
बीते गुरुवार रातभर मशीन का बेस मजबूत करने के लिए काम किया गया। बेस मजबूत होने के बाद ही ड्रिलिंग का दोबारा शुरू हो पाएगी। ऑगर मशीन का बेस हिलने के चलते ड्रिलिंग का काम शुरू नहीं हो पा रहा है। ड्रिलिंग के दौरान कंपन तेज होने से मशीन का बेस हिल गया था। वहीं सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को आज 13वां दिन हो चुका है। मजदूरों तक पहुंचने के लिए 800 एमएम के स्टील पाइपों से 51 मीटर तक एस्केप टनल तैयार की जा चुकी है।

रेस्क्यू अधिकारी ने बताई ड्रोन तकनीक की खासियत
बचाव अभियान में इस्तेमाल की जा रही ड्रोन तकनीक पर स्क्वाड्रन इंफ्रा माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड के एमडी और सीईओ सिरिएक जोसेफ कहते हैं कि यह (ड्रोन) नवीनतम तकनीकों में से एक है जो सुरंग के अंदर जा सकती है। जिन क्षेत्रों में जीपीएस का नहीं करता इसकी पहुंच वहां भी है।

मदजूरों के खाने-पीने के लिए तैयारी
सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों के लिए खाने-पीने का सामान पैक किया जा रहा है। आज उम्मीद की जा रही है कि कुछ समय की निर्बाध ड्रिलिंग के बाद सभी मजदूर बाहर निकाल लिये जाएंगे।

प्राथमिकता सुरंग में फंसे श्रमिक भाइयों को निकालना- धामी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, इस समय मेरी चिंता सुरंग में फंसे हुए उन श्रमिक भाइयों को लेकर है, जिनके लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकार के विश्व स्तरीय तकनीकी के प्रयास चल रहे हैं। बहुत जल्द हम इस ऑपरेशन को पूरा करने में सफल होंगे। वह क्षण हमारे लिए वास्तविक इगास का होगा। हम सभी प्रदेशवासियों की कामना है कि हम सब उनका मनोबल बढ़ाएं और प्रार्थना करें कि बचाव ऑपरेशन जल्द सफलतापूर्वक पूर्ण हो।

रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हैं केंद्र व राज्य सरकार की 19 एजेंसियां
सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन में केंद्र व राज्य सरकार की 19 एजेंसियां जुटी हैं। चारधाम महामार्ग परियोजना के तहत निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में हादसे के बाद सुरंग निर्माण करवा रही कार्यदायी संस्था एनएचआईडीसीएल, जिला प्रशासन, एसडीआरएफ, आईटीबीपी, आपदा प्रबंधन विभाग, पुलिस व होमगार्ड्स की टीम सबसे पहले मौके पर पहुंची थी।

लेकिन तकनीकी कारणों के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन लंबा खिंचने पर केंद्र सरकार की अन्य एजेंसियां भी यहां पहुंच गईं। इनमें बीआरओ, आरवीएनएल, एसजेवीएनएल, लार्सन एंड टूब्रो, टीएचडीसी, ओएनजीसी, भारतीय सेना, डीआरडीओ, परिवहन मंत्रालय व कोल इंडिया भी शामिल हुए।

जिनके बीच समन्वय के लिए भारत सरकार के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे, प्रधानमंत्री कार्यालय में उप सचिव मंगेश घिल्डियाल, राज्य सरकार में सचिव नीरज खैरवाल, आपदा सचिव डॉ. रंजीत सिन्हा, एनएचआईडीसील के एमडी महमूद अहमद, परिवहन मंत्रालय में सचिव अनुराग जैन, उत्तरकाशी डीएम अभिषेक रूहेला व एसपी अर्पण यदुवंशी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें से कई अधिकारी हादसे के बाद से ही सिलक्यारा में ही डेरा डाले हुए थे।

केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री ने डाला डेरा
बृहस्पतिवार को बचाव अभियान का निरीक्षण करने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में राज्य मंत्री जनरल (सेनि.) वीके सिंह और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी पहुंचे। निरीक्षण के बाद केंद्रीय मंत्री वीके सिंह जहां टनल से पहले बने कार्यालय में बैठ गए तो मुख्यमंत्री ने भी उत्तरकाशी के निकट स्थित मातली में डेरा डाल लिया। दिनभर दोनों नेता मजदूरों के सकुशल बाहर आने का इंतजार करते रहे।

41 मजदूरों को 12वां दिन भी सुरंग के भीतर ही बिताना पड़ा। ऑगर मशीन के सामने आए सरिया को काटने में ही घटों बीत गए, ये कटे तो मशीन का बेस हिलने से काम बाधित हो गया। देर शाम अफसरों ने बताया कि अब दोबारा ड्रिलिंग शुक्रवार सुबह ही शुरू होगी, वहीं ये भी चर्चाएं रहीं कि सुबह तक मजदूरों को निकाल लिया जाएगा।